बस्तर:ड्रीम प्रोजेक्ट बस्तर बोधघाट परियोजना को मुख्यमंत्री ने निरस्त कर दिया. जिसके बाद अब भाजपा इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को लगातार घेर रही है. मुद्दे पर लगातार सियासत जारी (Politics on Bodhghat project canceled Indravati river in Bastar) है. पूर्व मंत्री और भाजपा के प्रवक्ता केदार कश्यप ने इस विषय पर कांग्रेस पर आरोप लगाया है, "बोधघाट परियोजना के नाम पर लोगों को भ्रम में रखकर भूपेश बघेल सरकार ने करोड़ों का भ्रष्टाचार किया है. एक बड़े रकबे को इस प्रोजेक्ट के जरिए सिंचित किया जाना संभव नहीं है."
भाजपा का बघेल सरकार पर आरोप: भाजपा प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा, " मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के लोगों को उनकी कृषि भूमि को सिंचित किए जाने का सपना दिखाया और सर्वे के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया. अब अपना हित साध लेने के बाद भूपेश बघेल इस परियोजना को निरस्त किए जाने की बात कह रहे हैं. यदि पहले बघेल को यह परियोजना उचित लग रही थी तो अब अचानक ऐसा क्या हुआ कि इसे निरस्त कर दिया गया है. ये महज भ्रष्टाचार का खेल है."
लगातार भाजपा कांग्रेस को घेर रही: बता दें कि सीएम भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बस्तर बड़ाजी ग्राम की सभा में यह घोषणा की थी कि बस्तर के कई संगठन बोधघाट परियोजना के पक्ष में नहीं है. इसी वजह से इस परियोजना को निरस्त किया जा रहा. इस खबर के आते ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज थी. अब भाजपा सीधे तौर पर इस मामले में प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है.
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इस परियोजना की आधारशिला: बता दें कि इंद्रावती नदी में बनने वाली इस परियोजना की आधारशिला वर्ष 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने रखी थी. तब इसे पन विद्युत परियोजना के रूप में मंजूरी दी गई थी. इससे 500 मेगावाट विद्युत उत्पादन होना था, इसके लिए भू-अधिग्रहण, टनल, कर्मचारियों के लिए पृथक कॉलोनी, पक्की सड़कों से लेकर क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण तक के कार्य करवाए गए थे. इस परियोजना पर लगभग 150 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके थे. आदिवासियों के विरोध के कारण 1987 में पीएम ने एक विशेष कमेटी गठित की. जिसकी रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण सचिव टी. एन. सेशन ने 1994 में पर्यावरण की मंजूरी निरस्त कर दी थी. इसके बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था. राज्य सरकार ने फरवरी 2020 में बोधघाट विद्युत परियोजना का नाम बदलकर सिंचाई परियोजना के नाम से पुनर्जीवित करने की कोशिश की थी.
बोधघाट परियोजना से संबंधित तकनीकी जानकारियां
- 380 टीएमसी इंद्रावती नदी में जल है
- 22633 करोड़ परियोजना की अनुमानित लागत
- 90 मीटर बांध की ऊंचाई
- 4418 घन मीटर जल भंडारण
- 3.66 लाख हेक्टेयर कुल सिंचाई क्षमता
- 42 गांव डूबान से प्रभावित
- 2488 विस्थापित परिवार
- 13783 हेक्टेयर भूमि डूबान से होगी प्रभावित
- 15280 वर्ग किलोमीटर जल ग्रहण क्षेत्र
- 300 मेगावाट विद्युत उत्पादन