बस्तर : बस्तर में लगातार नक्सली सक्रिय हैं. नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए कहीं ना कहीं छुटपुट घटनाओं को अंजाम देते हैं. जिसके कारण लोगोंं के मन से नक्सलियों का खौफ चाहकर भी नहीं जा पा रहा है. हालांकि बस्तर पुलिस का दावा है कि दो-तीन साल में नक्सल घटनाओं में कमी आई है.
बस्तर में नक्सलियों की सक्रियता पर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि '' साल 2018-19 की तुलना में साल 2022 में 45 प्रतिशत नक्सली घटनाओं में कमी देखने को मिली है. यदि 2007 की तुलना में देखा जाए तो 65 प्रतिशत नक्सली घटनाओं में कमी आई है. बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में 61 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं. नक्सल विरोधी अभियान के साथ ही इलाके में विकास कार्यों को भी गति दी गई है. जो बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाके माने जाते थे, उस इलाके में भी सड़क, पुल पुलिया, बिजली आपूर्ति और मूलभूत सुविधा दी जा रही है.''
सुरक्षा कैंप के कारण नक्सली बैकफुट पर : आईजी ने यह भी बताया कि '' बीते 4 साल में 61 नए सुरक्षा कैंप खोलने के कारण नक्सलियों का क्षेत्रफल कम होते जा रहा है. नक्सलियों का कोई नया बेस नहीं बन पा रहा है. वो इलाके जिन्हें नक्सलियों के बेस, कोर इलाके के रूप में पहचाना जाता था जैसे मीनपा, पोटकपल्ली, एलमागुण्डा, गलगम, चिन्नागेलूर इन इलाकों में नए सुरक्षा कैंप लगने के कारण नक्सलियों का क्षेत्रफल सिमट गया है.''
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5 साल में कई गांव नक्सल मुक्त : बस्तर पुलिस से मिले सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते 5 वर्षों में 589 ग्राम पंचायत नक्सल मुक्त हुए हैं. बस्तर संभाग के सभी जिले सुकमा, बीजापुर, बस्तर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा की पंचायतें शामिल हैं. बावजूद इसके कई जगहों पर अब भी नक्सली बड़ी वारदात कर रहे हैं. सुरक्षाबल के जवानों के ऊपर हमला करना, आईडी ब्लास्ट करना, जनप्रतिनिधियों की हत्या करना, आगजनी जैसी वारदातें बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों के अंदरूनी इलाकों में हो रही है.