जगदलपुर: बस्तर में 17 करोड़ रुपए की धान लापरवाही की भेंट चढ़ गई. धान का उठाव सही समय पर नहीं होने से 17 करोड़ रुपये का धान सूख गया. दरसअल बस्तर संभाग के करीब 294 धान खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की गई थी. वहां उठाव को लेकर आ रही समस्या की वजह से 17 करोड़ का धान मौजूद नहीं है. लैंप्स संचालकों का कहना है कि, ऐसा सूखती की वजह से हुआ है. यानी कि खरीदे गए धान का समय पर उठाव नहीं होने की वजह से यह सूख गया है. जिसकी वजह से धान की वजन में कमी आ गई है. हाल यह है कि अभी 1800 क्विंटल धान बस्तर के 2 जिलों के धान खरीदी केंद्रों के स्टॉक में पड़ा हुआ है. जिसका उठाव समय पर नहीं किया जा सका है, वहीं अगर ये भी धान सूख जाते हैं तो सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
धान खरीदी को लेकर बड़े-बड़े दावे बेशक किए जा रहे हो, लेकिन खरीदी प्रक्रिया में लापरवाही की कीमत सरकार को ही चुकानी पड़ रही है. सिर्फ बस्तर संभाग के 7 जिले की बात करें तो समय पर धान का उठाव नहीं होने की वजह से करीब 17 करोड़ रु का धान सूख गया है. जिला सहकारी बैंक के अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में अभी भी 1800 क्विंटल धान कोंडागांव और बीजापुर जिले में बारिश के दौरान रखा हुआ है. जिसका उठाव नहीं हो सका है. अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही उसका उठाव तो करवा लिया जाएगा. लेकिन बारिश के दौरान रखरखाव की कमी के वजह से इस धान की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है.
बेमेतरा: एक लाख क्विंटल धान खराब होने के कगार पर
वही रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर संभाग के 294 धान खरीदी केंद्रों में लगभग 17 करोड़ रु से अधिक का धान गायब हुआ है. जिसे लैम्प्स प्रबंधक सुखत बता रहे हैं. यानी खरीदी के बाद लंबे समय से धान रखे रहने के दौरान सूखने की वजह से कुल वजन घटा है.खरीदी के आंकड़ों में मौके पर धान की मात्रा कम होने पर इसका अंदाजा लगाया जा रहा है. इधर लैम्प्स खरीदी केंद्रों के प्रबंधकों का आरोप है कि, सरकार बार-बार उन पर दबाव बना रही है. इस धान सुखत का खामियाजा उन्हें अपनी जेबों पर झेलना पड़ रहा है और असल में धान अगर समय से उठा लिया जाता तो ऐसी समस्या नहीं आती. वहीं उन्होंने इस सुखत कि भरपाई उनसे कराने के आदेश के विरोध में अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर हाल ही में लैम्प्स प्रबंधकों ने बड़ी हड़ताल भी की थी.
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से धान के उठाव को लेकर जिला विपणन अधिकारी के द्वारा सरकार को पत्राचार किया जा रहा था. लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नहीं देने की वजह से अब लगभग 17 करोड़ का धान सुखत में चला गया. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि उसकी भरपाई सभी केंद्र के प्रबंधकों से करवाई जाएगी, लेकिन वही लेंस प्रबंधकों का कहना है कि धान के उठाव में लापरवाही बरतने की वजह से यह धान सूख गया है ऐसे में इसकी भरपाई हम नहीं करेंगे.