जगदलपुर: बस्तर में भी राइस मिल मालिकों की मनमानी सामने आ रही है. इसकी वजह से खरीदी केंद्रों में करीब 6 लाख 50 हजार क्विंटल धान डंप पड़ा है. धान का उठाव न होने से खरीदी बंद होने के कगार पर पहुंच गई है. खरीदी केंद्र प्रभारियों का आरोप है कि मिलर्स धान नहीं ले रहे हैं, जिससे खरीदी केंद्रों में जगह की कमी होते जा रही है. धान को सुरक्षित रखने में भी परेशानी हो रही है.
सरकार की धान खरीदी नीति विफल
बस्तर के पूर्व सांसद और भाजपा नेता दिनेश कश्यप का कहना है कि सरकार की धान खरीदी नीति पूरी तरह विफल है. पूरे बस्तर संभाग में धान खरीदी चरमराई हुई है. कई केंद्रों में लाखों क्विंटल धान जाम है, लेकिन सरकार मिलर्स पर धान उठाने के लिए दबाव नहीं बना रही है. कई केंद्रों में धान खरीदी प्रभावित भी हो सकती है.
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बारदानों की कमी के साथ धान उठाव नहीं होना बनी समस्या
भाजपा नेता दिनेश कश्यप ने कहा कि धान खरीदी को लेकर गड़बड़ी के मामले सामने आते जा रहे हैं. बारदाने की कमी के साथ-साथ धान का उठाव नहीं करना किसानों के लिए मुसीबतों का सबब बन सकता है. सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. जल्द से जल्द केंद्रों से धान का उठाव करवाना चाहिए.
केंद्रों से धान का उठाव नहीं कर रहे मिलर्स
जिले के 22 हजार 917 किसानों ने अबतक 10 लाख 41 हजार 480 क्विंटल धान बेचा है. खरीदा गया धान लक्ष्य से करीब 2 लाख क्विंटल कम है. करीब 10 हजार किसान अबतक धान नहीं बेच पाए हैं. खरीदी प्रभारियों ने बताया कि जो किसान धान बेचने के लिए अबतक नहीं आए हैं, उनमें सबसे ज्यादा किसान जिले के बकावंड, जगदलपुर और बस्तर ब्लॉक के हैं. ये किसान हर साल की तरह इस साल भी देरी से धान बेचने पहुंच रहे हैं.