जगदलपुर: बीजापुर और सुकमा बॉर्डर पर बसे सिलगेर गांव में नए पुलिस कैंप के खोले जाने के विरोध में पिछले कईं दिनों से स्थानीय ग्रामीणों का आंदोलन जारी है. लगातार ग्रामीण सिलगेर कैंप (Silger Camp) के बाहर अपना विरोध प्रदर्शित कर रहे हैं. इसी मामले में 16 मई को हुई गोलीबारी में मारे गए 3 लोगों और 17 लोगों के घायल होने के बाद, प्रदेश में सियासत भी गरमाई हुई है. एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश (judicial inquiry) दिए हैं. वहीं लगातार इन प्रभावित ग्रामीणों से मिलने राजनीतिक पार्टियों के नेता सिलगेर पहुंच रहे हैं. छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस और भाजपा का जांच दल इन ग्रामीणों से मुलाकात करने के बाद गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बस्तर सांसद के नेतृत्व में गठित 9 सदस्यों का जांच दल ग्रामीणों से मिलने बीजापुर पहुंचा है.
कौन-कौन शामिल है जांच दल में:
जांच दल में मंत्री कवासी लखमा को छोड़कर बस्तर संभाग के सभी आदिवासी विधायक शामिल हैं. बस्तर सांसद दीपक बैज (Bastar MP Deepak Baij) की अध्यक्षता में जनप्रतिनिधियों की जांच समिति में बस्तर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण (Bastar Development Authority) के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, केशकाल विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष संतराम नेताम, दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा, कांकेर विधायक एवं संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी, अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, बीजापुर विधायक और बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, नारायणपुर विधायक और छत्तीसगढ़ हस्त शिल्प विकास बोर्ड (Chhattisgarh Hand Crafts Development Board) के अध्यक्ष चंदन कश्यप शामिल हैं. इसके साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन के प्रतिनिधि भी इस टीम में शामिल हैं.
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कांग्रेस के जांच दल पर उठे सवाल
कांग्रेस कमेटी की ओर से बनाए गए इस जांच दल को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. आदिवासी महासभा के अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने इस जांच दल में कोंटा विधानसभा के विधायक और आबकारी मंत्री कवासी लखमा (minister kawasi lakhma) को शामिल नहीं किए जाने पर एतराज जताया है. उनका कहना है कि यह क्षेत्र कोंटा विधानसभा में आता है. ऐसे में स्थानीय विधायक को जांच दल में क्यों नहीं रखा गया. यह समझ से परे है.
कैसे हुई थी घटना?
सुरक्षाबल लगातार बस्तर के कोर इलाकों में कैंप स्थापित कर रहे हैं. पुलिस की माने तो नक्सलियों के दबाव में ग्रामीण इन कैंप का विरोध कर रहे हैं. 16 मई को भी इसी तरह 3 हजार के लगभग ग्रामीण सिलगेर में स्थापित हो रहे कैंप का विरोध करने पहुंचे थे. आंदोलन अचानक उग्र हुआ और ग्रामीण कैंप के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे. इस दौरान दोनों ओर से गोलीबारी हुई थी.