जगदलपुर: नक्सल मामलों में पिछले 4 साल से जगदलपुर केंद्रीय जेल में बंद पत्रकार संतोष यादव समेत 18 ग्रामीणों को गुरुवार को एनआईए कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है. इसके साथ ही 14 ग्रामीणों को गुरुवार केंद्रीय जेल जगदलपुर से रिहा कर दिया गया है. इन सभी ग्रामीणों को साल 2015 में नक्सलियों का सहयोगी बताकर स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इसकी जांच एनआईए कर रही थी.
4 साल बाद आखिरकार इन ग्रामीणों को बेगुनाह मानते हुए एनआईए कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है. इधर, रिहा ग्रामीणों से मिलने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी जगदलपुर केंद्रीय जेल पहुंची.
रिहाई को लेकर लगातार प्रयास जारी
रिहा ग्रामीणों से मिलने पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी ने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए रिहाई मंच के लगातार प्रयास से आज ग्रामीणों को एनआईए कोर्ट से न्याय मिला है और वे दोषमुक्त हुए हैं. बस्तर पुलिस ने नक्सल सहयोगी बताकर कई बेकसूर ग्रामीणों को जेल में बंद कर दिया है, जिनकी रिहाई को लेकर उनका प्रयास जारी है.
सोढ़ी ने कहा कि, 'इनके रिहाई को लेकर राज्य सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है, लेकिन हम मांग करते हैं कि जल्दी ही नक्सल मामलों में निर्दोष सैकड़ों ग्रामीणों की रिहाई के लिए सरकार जल्द से जल्द कदम उठाए और सभी को रिहा करें.'
साल 2015 का है मामला
दरअसल, इन ग्रामीणों को 22 अगस्त सन 2015 को दरभा झीरम घाटी में सड़क काटने और विभिन्न नक्सली हमले में शामिल होने के साथ नक्सलियों के लिए मुखबिरी करने और उनका साथ देने जैसे 29 धाराएं लगाकर दरभा पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया था. इन ग्रामीणों में एक दरभा का स्थानीय पत्रकार संतोष यादव भी शामिल है. हालांकि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने संतोष यादव को जमानत पर रिहा कर दिया गया.
इन 19 ग्रामीणों में एक ग्रामीण की जेल में ही किसी कारणवश मौत हो गई जबकि आज 14 ग्रामीणों को जेल से रिहा कर दिया गया. इसके अलावा 4 ग्रामीणों पर फिलहाल अन्य मामले के तहत सुनवाई जारी है इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया गया.