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जगदलपुर में जगतू माहरा को मंत्री कवासी लखमा ने किया नमन

Jagdalpur school collage Namkaran जगतुगुड़ा को जगदलपुर के रूप में जाना जाता है. लेकिन इसे बनाने में जगतू माहरा ने अहम भूमिका निभाई. आज उन्हें पूरा जगदलपुर याद कर रहा है. मंत्री कवासी लखमा ने जगदलपुर में जगतू माहरा को नमन किया.जगतू माहरा के नाम पर हाईस्कूल का नाम जगदलपुर में रखा गया है

Minister Kawasi Lakhma paid tribute to Jagtu
जगतू माहरा को मंत्री कवासी लखमा ने किया नमन
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Published : Oct 21, 2022, 11:07 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: जगतुगुड़ा को जगदलपुर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जगतू माहरा के नाम पर आज बस्तर हाईस्कूल का नामकरण किया गया. वहीं इसके साथ ही बस्तर संभाग के शिक्षा के महत्वपूर्ण केन्द्र धरमपुरा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले धरमू माहरा के नाम पर शासकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नामकरण किया गया. Jagdalpur school collage Namkaran

कवासी लखमा ने जगतू माहरा को किया याद: प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने इस अवसर पर कहा कि जगदलपुर में बस्तर रियासत की राजधानी बसाने में जगतू माहरा का महत्वपूर्ण योगदान था. अब यह शहर प्रशासनिक और व्यावसायिक केन्द्र होने के कारण पूरे संभाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है. उन्होंने कहा कि इसी तरह उनके भाई धरमू माहरा के नाम पर आज धरमपुरा बसा है. जो संभाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र है.

यह भी पढ़ें: जगदलपुर: दीपावली त्यौहार के पहले खाद्य विभाग ने की मिठाई दुकानों पर कार्रवाई

जगदलपुर था जगतुगुड़ा: उल्लेखनीय है कि चौराहों के शहर के नाम से जाना जाने वाला जगदलपुर शहर आज से लगभग ढाई सौ साल पहले जगतुगुड़ा नाम की एक छोटी बस्ती थी. जिसका मुखिया जगतू माहरा था. यह घने जंगलों से घिरी हुई थी. उस समय हिंसक वन्य जानवरों से मानव और पालतू पशुओं की सुरक्षा की गुहार जगतू माहरा ने बस्तर राजा दलपत देव से की थी. जो एक कुशल शिकारी भी थे. बताया जाता है कि इस गुहार पर दलपत देव जब बस्तर से इंद्रावती नदी पार कर जगतुगुड़ा पहुंचे. तब उनके साथ शिकारी कुत्ते भी शामिल थे. इंद्रावती नदी को पार करने के बाद दलपत देव ने एक बड़ी अजीब घटना देखी. जब उनके शिकारी कुत्ते के आगे खरगोशों ने डरने के बजाए शिकारी कुत्तों को ही डरा दिया. जब उन्होंने इस घटना की चर्चा जगतू माहरा के समक्ष की, तब उन्होंने इसे काछन देवी का प्रताप बताया. दलपत देव ने अभय प्रदान करने वाली इस भूमि को राजधानी बनाने का विचार कर जगतू माहरा के समक्ष रखा. तब जगतू माहरा ने इसे सहर्ष स्वीकार करते हुए इसे राजधानी बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसी कारण जगतू माहरा के नाम से जग और दलपत देव के नाम से दल मिलाकर जगदलपुर शहर का नामकरण किया गया.

जगतू माहरा के भाई ने निभाई अहम जिम्मेदारी: जगतू माहरा के छोटे भाई धरमू माहरा के नाम पर धरमपुरा है. बताया जाता है कि यहां चार तालाब थे. जिन्हें एक किया गया, जो वर्तमान में दलपत सागर के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोग इसे समुंद कहते हैं. जो समुद्र का अपभ्रंश है. यह भी उल्लेखनीय है कि दलपत देव की पत्नी का नाम समुंद देवी था. वर्तमान में धरमपुरा पूरे बस्तर संभाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र है. यहां शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय स्थापित है. इसके साथ ही यहां इंजीनियरिंग कॉलेज, उद्यानिकी महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक कॉलेज, क्रीड़ा परिसर भी स्थापित है.

जगदलपुर: जगतुगुड़ा को जगदलपुर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले जगतू माहरा के नाम पर आज बस्तर हाईस्कूल का नामकरण किया गया. वहीं इसके साथ ही बस्तर संभाग के शिक्षा के महत्वपूर्ण केन्द्र धरमपुरा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले धरमू माहरा के नाम पर शासकीय महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज का नामकरण किया गया. Jagdalpur school collage Namkaran

कवासी लखमा ने जगतू माहरा को किया याद: प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने इस अवसर पर कहा कि जगदलपुर में बस्तर रियासत की राजधानी बसाने में जगतू माहरा का महत्वपूर्ण योगदान था. अब यह शहर प्रशासनिक और व्यावसायिक केन्द्र होने के कारण पूरे संभाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है. उन्होंने कहा कि इसी तरह उनके भाई धरमू माहरा के नाम पर आज धरमपुरा बसा है. जो संभाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र है.

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जगदलपुर था जगतुगुड़ा: उल्लेखनीय है कि चौराहों के शहर के नाम से जाना जाने वाला जगदलपुर शहर आज से लगभग ढाई सौ साल पहले जगतुगुड़ा नाम की एक छोटी बस्ती थी. जिसका मुखिया जगतू माहरा था. यह घने जंगलों से घिरी हुई थी. उस समय हिंसक वन्य जानवरों से मानव और पालतू पशुओं की सुरक्षा की गुहार जगतू माहरा ने बस्तर राजा दलपत देव से की थी. जो एक कुशल शिकारी भी थे. बताया जाता है कि इस गुहार पर दलपत देव जब बस्तर से इंद्रावती नदी पार कर जगतुगुड़ा पहुंचे. तब उनके साथ शिकारी कुत्ते भी शामिल थे. इंद्रावती नदी को पार करने के बाद दलपत देव ने एक बड़ी अजीब घटना देखी. जब उनके शिकारी कुत्ते के आगे खरगोशों ने डरने के बजाए शिकारी कुत्तों को ही डरा दिया. जब उन्होंने इस घटना की चर्चा जगतू माहरा के समक्ष की, तब उन्होंने इसे काछन देवी का प्रताप बताया. दलपत देव ने अभय प्रदान करने वाली इस भूमि को राजधानी बनाने का विचार कर जगतू माहरा के समक्ष रखा. तब जगतू माहरा ने इसे सहर्ष स्वीकार करते हुए इसे राजधानी बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. इसी कारण जगतू माहरा के नाम से जग और दलपत देव के नाम से दल मिलाकर जगदलपुर शहर का नामकरण किया गया.

जगतू माहरा के भाई ने निभाई अहम जिम्मेदारी: जगतू माहरा के छोटे भाई धरमू माहरा के नाम पर धरमपुरा है. बताया जाता है कि यहां चार तालाब थे. जिन्हें एक किया गया, जो वर्तमान में दलपत सागर के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोग इसे समुंद कहते हैं. जो समुद्र का अपभ्रंश है. यह भी उल्लेखनीय है कि दलपत देव की पत्नी का नाम समुंद देवी था. वर्तमान में धरमपुरा पूरे बस्तर संभाग में शिक्षा का सबसे बड़ा केन्द्र है. यहां शहीद महेन्द्र कर्मा विश्वविद्यालय स्थापित है. इसके साथ ही यहां इंजीनियरिंग कॉलेज, उद्यानिकी महाविद्यालय, पॉलिटेक्निक कॉलेज, क्रीड़ा परिसर भी स्थापित है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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