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खतरे में भारत का नियाग्रा: सूखने के कगार पर इंद्रावती नदी, बचाने को चली मुहिम - मेयर

देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात के पूरी तरह सूख जाने के बाद बस्तर के प्रकृति प्रेमी दंडक दल ने शहर वासियों के साथ इंद्रावती बचाने के लिए जल सत्याग्रह किया. उन्होंने सरकार से इंद्रावती के गिरते जल स्तर पर ठोस कदम उठाने की मांग की.

इंद्रावती नदी
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Published : Apr 20, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: बस्तर के प्रकृति प्रेमी दंडक दल ने शहरवासियों के साथ इंद्रावती बचाने के लिए जल सत्याग्रह किया. इस सत्याग्रह में दंडक दल के सदस्यों समेत शहर के कई वरिष्ठ और प्रमुखों ने भी अपनी सहभागिता दिखाते हुए उपस्थिति दर्ज कराई. इस सत्याग्रह में सभी ने इंद्रावती नदी में आधे घंटे तक खड़े होकर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से इंद्रावती नदी के गिरते जल स्तर पर ठोस कदम उठाने की मांग की.

खतरे में भारत का नियाग्रा

सूखने की कगार पर इंद्रावती नदी
बढ़ती गर्मी और पड़ोसी राज्य ओडिशा में बनाए गए जोरा नाला एनीकट की वजह से इंद्रावती नदी लगभग सूखने के कगार पर पहुंच गई है. यही वजह है कि पहली बार देश का मिनी नियाग्रा कहे जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात पूरी तरह से सूख गया है. चित्रकोट जलप्रपात के सूख जाने से प्रकृति प्रेमियों में चिंता बढ़ी और सभी ने इंद्रावती के अस्तित्व को बचाने के लिए जल सत्याग्रह करने का फैसला किया.

लोगों ने किया जल सत्याग्रह
इस सत्याग्रह को शहर वासियों समेत कई समाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपना समर्थन देते हुए जल सत्याग्रह किया. सभी ने लगभग आधे घंटे तक पानी में खड़े होकर इंद्रावती नदी को बचाने की अपील की और सरकार से इस ओर ठोस कदम उठाने की मांग की.

समर्थन देने पहुंचे शहर के महापौर
सत्याग्रह को अपना समर्थन देने पहुंचे शहर के महापौर जतिन जयसवाल ने कहा कि इंद्रावती की स्थिति को देखते हुए भविष्य का जल संकट नजर आ रहा है. इसी नदी से पूरे शहर को पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है. यदि यही स्थिति रही तो आगे चलकर शहर की प्यास बुझाना एक बड़ी समस्या बन जाएगी. महापौर ने आश्वासन देते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया तक ये समस्या पहुंचाई जाएगी जिससे वे पड़ोसी राज्य से चर्चा कर इस समस्या का स्थाई समाधान निकाल सकें.

बस्तर की एकमात्र लाइफ लाइन
वहीं सत्याग्रह को समर्थन देने पहुंचे लोगों ने कहा कि पूरे बस्तर की ये एकमात्र लाइफ लाइन है. शहर से ज्यादा इससे गांव जुड़े हुए हैं. यदि इस नदी को नहीं बचाया गया तो किसानों पर बड़ी विपत्ति आ सकती है. आज शुरू हुए इस आंदोलन को समाज द्वारा सभी किसानों और ग्रामीणों तक पहुंचाया जाएगा ताकी सभी इस मुहिम से जुड़ सकें.

इसके अलावा बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों ने भी लगातार सूख रहे इंद्रावती नदी को चिंता का विषय बताते हुए आगामी दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसके स्थाई समाधान के लिए कदम उठाने की मांग की. साथ ही समाधान न होने पर आंदोलन जारी रखने की बात कही है.

जगदलपुर: बस्तर के प्रकृति प्रेमी दंडक दल ने शहरवासियों के साथ इंद्रावती बचाने के लिए जल सत्याग्रह किया. इस सत्याग्रह में दंडक दल के सदस्यों समेत शहर के कई वरिष्ठ और प्रमुखों ने भी अपनी सहभागिता दिखाते हुए उपस्थिति दर्ज कराई. इस सत्याग्रह में सभी ने इंद्रावती नदी में आधे घंटे तक खड़े होकर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से इंद्रावती नदी के गिरते जल स्तर पर ठोस कदम उठाने की मांग की.

खतरे में भारत का नियाग्रा

सूखने की कगार पर इंद्रावती नदी
बढ़ती गर्मी और पड़ोसी राज्य ओडिशा में बनाए गए जोरा नाला एनीकट की वजह से इंद्रावती नदी लगभग सूखने के कगार पर पहुंच गई है. यही वजह है कि पहली बार देश का मिनी नियाग्रा कहे जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात पूरी तरह से सूख गया है. चित्रकोट जलप्रपात के सूख जाने से प्रकृति प्रेमियों में चिंता बढ़ी और सभी ने इंद्रावती के अस्तित्व को बचाने के लिए जल सत्याग्रह करने का फैसला किया.

लोगों ने किया जल सत्याग्रह
इस सत्याग्रह को शहर वासियों समेत कई समाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपना समर्थन देते हुए जल सत्याग्रह किया. सभी ने लगभग आधे घंटे तक पानी में खड़े होकर इंद्रावती नदी को बचाने की अपील की और सरकार से इस ओर ठोस कदम उठाने की मांग की.

समर्थन देने पहुंचे शहर के महापौर
सत्याग्रह को अपना समर्थन देने पहुंचे शहर के महापौर जतिन जयसवाल ने कहा कि इंद्रावती की स्थिति को देखते हुए भविष्य का जल संकट नजर आ रहा है. इसी नदी से पूरे शहर को पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है. यदि यही स्थिति रही तो आगे चलकर शहर की प्यास बुझाना एक बड़ी समस्या बन जाएगी. महापौर ने आश्वासन देते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया तक ये समस्या पहुंचाई जाएगी जिससे वे पड़ोसी राज्य से चर्चा कर इस समस्या का स्थाई समाधान निकाल सकें.

बस्तर की एकमात्र लाइफ लाइन
वहीं सत्याग्रह को समर्थन देने पहुंचे लोगों ने कहा कि पूरे बस्तर की ये एकमात्र लाइफ लाइन है. शहर से ज्यादा इससे गांव जुड़े हुए हैं. यदि इस नदी को नहीं बचाया गया तो किसानों पर बड़ी विपत्ति आ सकती है. आज शुरू हुए इस आंदोलन को समाज द्वारा सभी किसानों और ग्रामीणों तक पहुंचाया जाएगा ताकी सभी इस मुहिम से जुड़ सकें.

इसके अलावा बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों ने भी लगातार सूख रहे इंद्रावती नदी को चिंता का विषय बताते हुए आगामी दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसके स्थाई समाधान के लिए कदम उठाने की मांग की. साथ ही समाधान न होने पर आंदोलन जारी रखने की बात कही है.

Intro:जगदलपुर। देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर चित्रकोट जलप्रपात के पूरी तरह सूख जाने के बाद बस्तर के प्रकृति प्रेमी दंडक दल ने शहर वासियों के साथ आज इंद्रावती बचाने के लिए जल सत्याग्रह किया । इस सत्याग्रह में दंडक दल के सदस्यों समेत शहर के कई वरिष्ठ व समाज प्रमुखों ने भी अपनी सहभागिता दिखाते हुए उपस्थिति दर्ज कराई। इस सत्याग्रह में सभी ने इंद्रावती नदी में आधे घंटे तक खड़े होकर एक सांकेतिक प्रदर्शन किया। व इंद्रावती के गिरते जल स्तर पर ठोस कदम उठाने की मांग सरकार से की।


Body:वो1- बढ़ती गर्मी व पड़ोसी राज्य उड़ीसा में बनाए गए जोरा नाला एनीकट की वजह से इंद्रावती नदी लगभग सूखने के कगार पर पहुंच गई है। और यही वजह है कि पहली बार देश का मिनी नियाग्रा कहे जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात पूरी तरह से सूख गया है । चित्रकोट जलप्रपात के पूरी तरह सूख जाने से प्रकृति प्रेमियों में चिंता बढ़ी और सभी ने इंद्रावती के अस्तित्व को बचाने के लिए जल सत्याग्रह करने का फैसला किया। इस सत्याग्रह को शहर वासियों समेत कई समाजों ने भी अपना समर्थन देते हुए जल सत्याग्रह किया । सभी ने लगभग आधे घंटे तक पानी में खड़े होकर इंद्रावती नदी को बचाने सभी से अपील किया व सरकार से इस ओर ठोस कदम उठाने की मांग की । सत्याग्रह को अपना समर्थन देने पहुंचे शहर के महापौर जतिन जयसवाल ने कहा कि इंद्रावती की स्थिति को देखते हुए भविष्य का जल संकट नजर आ रहा है इसी नदी से पूरे शहर को पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है । यदि यही स्थिति रही तो आगे चलकर शहर की प्यास बुझाना एक बड़ी समस्या हो जाएगी । महापौर ने आश्वासन देते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया तक यह समस्या पहुंचाई जाएगी जिससे वे पड़ोसी राज्य से चर्चा कर इस समस्या का स्थाई समाधान निकाल सके । वहीं सत्याग्रह को समर्थन देने पहुंचे विभिन्न समाज के लोगों ने कहा कि पूरे बस्तर की यह एकमात्र लाइफ लाइन है शहर से ज्यादा इससे गांव जुड़े हुए हैं । यदि इस नदी को नहीं बचा गया तो किसानों पर बड़ी विपत्ति आ सकती है । आज शुरू हुए इस आंदोलन को समाज के द्वारा सभी किसानों को ग्रामीणों तक पहुंचाया जाएगा जिससे सभी इस मुहिम से जुड़ सके। इसके अलावा बस्तर चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों ने भी लगातार सूख रहे इंद्रावती नदी को चिंता का विषय बताते हुए आगामी दिनों में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसके स्थाई समाधान के लिए कदम उठाने की मांग करेंगे वरना आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

बाईट1- जतीन जायसवाल, महापौर , वाइट टीशर्ट में

बाईट2- अर्जुन नेताम, हल्बा समाज प्रमुख, बुजुर्ग व्यक्ति

बाईट3- किशोर पारख, अध्यक्ष बस्तर चेम्बर ऑफ कॉमर्स


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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