जगदलपुर: बस्तर संभाग का एकमात्र नगर निगम स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. स्टाफ की कमी होने की वजह से कोरोनाकाल में शहर को सैनिटाइज करने का जिम्मा निगम के मात्र 4 से 5 कर्मचारियों पर है. स्टाफ की कमी की वजह से कर्मचारियों की जान पर मुसीबत आन पड़ी है. कर्मचारी 10 घंटे ड्यूटी करने को मजबूर है. वहीं निगम के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि ऐसे समय में अतिरिक्त कर्मचारी भर्ती करने की बजाय पर्याप्त स्टाफ होने की बात कह रहे हैं.
जगदलपुर नगर निगम के तीन कार्यकाल बीत जाने के बावजूद अब तक नगर निगम प्रभारियों के भरोसे ही चल रहा है और निगम के सबसे महत्वपूर्ण राजस्व विभाग से लेकर एसडीओ और कार्यपालन अभियंता के पद पर भी प्रभारियों को बैठाया गया है. अब तक इन पदों पर मूल पद के अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है. ऐसे में निगम में स्टाफ की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है.
भाजपा के पूर्व पार्षद सुरेश गुप्ता का भी कहना है कि नगर निगम के तीन कार्यकाल बीतने को है और ऐसे में निगम में स्टाफ की कमी लंबे समय से बनी हुई है. डेढ़ लाख के आबादी वाले जगदलपुर शहर में 48 वार्ड है, और पूरे 48 वार्ड की जिम्मेदारी निगम के कर्मचारियों पर है. जब पूरा देश कोरोना महामारी के संकट के दौर से गुजर रहा है ऐसे समय में जगदलपुर नगर निगम में शहर को सैनिटाइज करने की व्यवस्था केवल चार से पांच कर्मचारियों के भरोसे चल रही है.
सैनिटाइजेशन का जिम्मा 4 कर्मचारियों पर
भाजपा नेता सुरेश गुप्ता ने बताया कि वे खुद एक जनप्रतिनिधि हैं और उनके वार्ड में कोरोना संक्रमित मरीजों के घरों को सैनिटाइज करने के लिए निगम में फोन करने पर 2 से 3 दिन का समय लग जाता है. इतने समय में संक्रमण फैलने का खतरा और भी बढ़ जाता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि शहर के पूरे 48 वार्ड में केवल 4 कर्मचारी हैं. जो पूरे शहर को सैनिटाइज करने का जिम्मा संभाले हुए हैं.
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सैनिटाइजेशन की व्यवस्था भगवान भरोसे
जहां बाकी नगर निगमों में कर्मचारियों से शिफ्ट वाइज ड्यूटी कराई जाती है. वहीं जगदलपुर नगर निगम में 4 कर्मचारी 10 घंटे ड्यूटी कर अपनी जान जोखिम में डालते हैं. ऐसे समय में अगर वे भी संक्रमित हो जाते हैं तो जगदलपुर में सैनिटाइजेशन की व्यवस्था भगवान भरोसे है. यही नहीं वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी बताते हैं कि नगर निगम में सबसे महत्वपूर्ण राजस्व विभाग में राजस्व अधिकारी और सहायक राजस्व अधिकारी के अलावा कार्यपालन अभियंता और यहां तक की रेगुलर अनुविभागीय अधिकारी के पद भी खाली पड़े हैं.
नगर निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं
संजीव पचौरी कहते है कि इन पदों में प्रभारियों को नियुक्त किया गया है. इसके अलावा सफाई दरोगा का भी पद लंबे समय से खाली है. वहीं सेनेटरी इंस्पेक्टर भी नहीं है और न ही राजस्व निरीक्षक की नियुक्ति की गई है. इसके अलावा स्वास्थ्य अधिकारी भी नगर निगम में नहीं है और अधिकतर खाली पड़े पदों पर प्रभारियों को ही नियुक्त किया गया है. नगर निगम का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इन पदों में मूल पद के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए गंभीर नहीं है.
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10 साल से नहीं हुई पदोन्नति
निगम में जो कर्मचारी 10 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं उन्हें भी पिछले 10 सालों से पदोन्नति नहीं किया गया है. निगम में ऐसे कई अधिकारी हैं जिन्हें निगम में कार्य करते 10 साल से ऊपर हो गए हैं. लेकिन उनके पदोन्नति के लिए किसी तरह से कोई पहल नहीं की गई है. निगम के आयुक्त का कहना है कि शहर को सैनिटाइज करने लिए तीन से चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. जो पूरे शहर के कंटेनमेंट जोन और संक्रमित मरीजों के मकानों को सैनिटाइज करने का काम करते हैं.
महापौर ने मानी स्टाफ की कमी की बात
उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर या बड़ी जगहों पर सैनिटाइज के लिए होमगार्ड नगर सेना से मदद ली जाती है. वहीं निगम के महापौर सफीरा साहू का कहना है कि निगम में कर्मचारियों की कमी बनी हुई है और जो कर्मचारी है उनके लिए भी कोरोना संकट को देखते हुए प्रभारी मंत्री से भी बात कर उन्हें बीमा राशि या प्रोत्साहन राशि देने की मांग की गई है.
नई भर्ती के लिए अब तक नहीं बनी योजना
महापौर का कहना है कि कर्मचारियों के संक्रमित होने पर वैकल्पिक व्यवस्था के लिए निगम ने तैयारी कर रखी है. लेकिन लगातार कर्मचारी संक्रमित हो रहे हैं. ऐसे में निगम में कर्मचारियों की कमी की चिंता तो बनी हुई है. महापौर ने कहा कि फिलहाल निगम में स्टाफ की कमी की पूरा करने के लिए या नई भर्ती के लिए कोई योजना अभी नहीं बनाई गई है.