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Kotumsar Cave: देश की सबसे लंबी कोटमसर गुफा का जानिए रहस्य, बारिश में भूलकर भी ना जाए यहां

Kotumsar Cave बस्तर की कोटमसर गुफा 110 दिन बाद पर्यटकों के लिए खुल गई है. हर साल बारिश के दिनों में इसे बंद कर दिया जाता है. जिसके पीछे बहुत बड़ी वजह है.

Kotumsar Cave
कोटमसर गुफा
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 20, 2023, 1:29 PM IST

बस्तर: नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर बस्तर की कांगेर वैली नेशनल पार्क के अंदर देश की सबसे लंबी गुफा मौजूद है. पहले इस गुफा का नाम गोपनसर (छिपी हुई गुफा) गुफा था जिसे बाद में कोटमसर गांव के पास होने के कारण कोटमसर गुफा के नाम से पहचान मिली.

Kotumsar Cave
देश की सबसे लंबी कोटमसर गुफा

कोटमसर गुफा में क्या है खास: जगदलपुर शहर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कोटमसर गुफा को छत्तीसगढ़ का पाताल लोक भी कहा जाता है. इस गुफा में किसी भी तरफ से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती. टॉर्च या गाइड की मदद से ही इस गुफा के अंदर पहुंचा जा सकता है. इस गुफा की खोज साल 1951 में प्रसिद्ध भूगोल वैज्ञानिक डॉ. शंकर तिवारी ने की थी. गुफा का निर्माण प्राकृतिक परिवर्तन के कारण पानी के प्रवाह के कारण हुआ है. चूने के पत्थर से बनी इस गुफा की बाहरी और आंतरिक सतह के अध्ययन से पता चलता है कि इसका निर्माण लगभग 250 मिलियन वर्ष पहले हुआ था. कोटमसर गुफा 60 से लेकर 120 फीट गहरी है. 4500 फीट लंबी है. बस्तर के इस गुफा की तुलना विश्व की सबसे लंबी गुफा कर्ल्सवार ऑफ केव अमेरिका से की जाती है. जैव विविधताओं से भरे कांगेर वेली नेशनल पार्क में मौजूद कोटमसर गुफा भारत देश की सबसे बड़ी गुफा मानी जाती है.

Kotumsar Cave
बारिश के दिनों में बंद रहती है कोटमसर गुफा
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कोटमसर गुफा में मिलती है दुर्लभ मछलियां: कोटमसर गुफा के अंदर दुर्लभ प्रजाति की अंधी मछलियां पाई जाती है. ये मछलियां यहां बरसाती नाले में बाढ़ के दौरान कांगेर नदी से चढ़कर गुफा के कुंडों तक पहुंचती हैं. इन मछलियों को ग्रामीण पखना तुरू कहते हैं. जिसका वैज्ञानिक नाम इंडोनियोरेक्टस इवेजार्डी है. गुफा में अंधेरा होने के कारण इन मछलियों की आंखों की उपयोगिता खत्‍म होती गई जिससे उस पर चर्बी की परत चढ़ गई और वे अंधी हो गई. सूर्य की रोशनी नहीं मिलने के कारण मछलियों की त्वचा भी सफेद हो गई है. इसलिए इन्हें एल्बिनिक भी कहा जाता है. इन मछलियों की 15 से 25 मिलीमीटर लंबी मूछें होती हैं. गुफा के पानी में मौजूद सूक्ष्म जीव इनका आहार है. गुफा में जमीन से लगभग 40 फीट की गहराई में महल के सभागार सा विशाल स्थान है. करीब 150 फीट तक ऊंची दीवारें और इसके ऊपर झूमरनुमा आकृतियां हैं.

Kotumsar Cave
देश की सबले लंबी गुफा

बारिश में बंद रहती है कोटमसर गुफा: बस्तर के कांगेर वेली नेशनल पार्क के अंदर मौजूद कोटमसर गुफा को बारिश के मौसम में पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है. गहरा होने के कारण बारिश के दिनों में बाढ़ का पानी गुफा के अंदर भर जाता है. इस दौरान गुफा के अंदर जाना काफी खतरनाक हो सकता है. इस वजह से बारिश के दिनों में कोटमसर गुफा बंद कर दी जाती है. शुक्रवार को कोटमसर गुफा पर्यटकों के लिए खोल दी गई हैं. कांगेर वेली प्रबंधक ने इस बार बस्तर आने वाले पर्यटकों के लिए खास इंतजाम किए हैं. यहां के स्थानीय लोगों के माध्यम से बस्तर की लोक संस्कृति रहन-सहन वेशभूषा रीति रिवाज और रहवास से पर्यटकों को रूबरू कराया जाएगा. नए नए पर्यटक स्थल व बस्तर की लोक सांस्कृतिक गतिविधियों को भी स्थापित किया है.

बस्तर: नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर बस्तर की कांगेर वैली नेशनल पार्क के अंदर देश की सबसे लंबी गुफा मौजूद है. पहले इस गुफा का नाम गोपनसर (छिपी हुई गुफा) गुफा था जिसे बाद में कोटमसर गांव के पास होने के कारण कोटमसर गुफा के नाम से पहचान मिली.

Kotumsar Cave
देश की सबसे लंबी कोटमसर गुफा

कोटमसर गुफा में क्या है खास: जगदलपुर शहर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कोटमसर गुफा को छत्तीसगढ़ का पाताल लोक भी कहा जाता है. इस गुफा में किसी भी तरफ से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती. टॉर्च या गाइड की मदद से ही इस गुफा के अंदर पहुंचा जा सकता है. इस गुफा की खोज साल 1951 में प्रसिद्ध भूगोल वैज्ञानिक डॉ. शंकर तिवारी ने की थी. गुफा का निर्माण प्राकृतिक परिवर्तन के कारण पानी के प्रवाह के कारण हुआ है. चूने के पत्थर से बनी इस गुफा की बाहरी और आंतरिक सतह के अध्ययन से पता चलता है कि इसका निर्माण लगभग 250 मिलियन वर्ष पहले हुआ था. कोटमसर गुफा 60 से लेकर 120 फीट गहरी है. 4500 फीट लंबी है. बस्तर के इस गुफा की तुलना विश्व की सबसे लंबी गुफा कर्ल्सवार ऑफ केव अमेरिका से की जाती है. जैव विविधताओं से भरे कांगेर वेली नेशनल पार्क में मौजूद कोटमसर गुफा भारत देश की सबसे बड़ी गुफा मानी जाती है.

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कोटमसर गुफा में मिलती है दुर्लभ मछलियां: कोटमसर गुफा के अंदर दुर्लभ प्रजाति की अंधी मछलियां पाई जाती है. ये मछलियां यहां बरसाती नाले में बाढ़ के दौरान कांगेर नदी से चढ़कर गुफा के कुंडों तक पहुंचती हैं. इन मछलियों को ग्रामीण पखना तुरू कहते हैं. जिसका वैज्ञानिक नाम इंडोनियोरेक्टस इवेजार्डी है. गुफा में अंधेरा होने के कारण इन मछलियों की आंखों की उपयोगिता खत्‍म होती गई जिससे उस पर चर्बी की परत चढ़ गई और वे अंधी हो गई. सूर्य की रोशनी नहीं मिलने के कारण मछलियों की त्वचा भी सफेद हो गई है. इसलिए इन्हें एल्बिनिक भी कहा जाता है. इन मछलियों की 15 से 25 मिलीमीटर लंबी मूछें होती हैं. गुफा के पानी में मौजूद सूक्ष्म जीव इनका आहार है. गुफा में जमीन से लगभग 40 फीट की गहराई में महल के सभागार सा विशाल स्थान है. करीब 150 फीट तक ऊंची दीवारें और इसके ऊपर झूमरनुमा आकृतियां हैं.

Kotumsar Cave
देश की सबले लंबी गुफा

बारिश में बंद रहती है कोटमसर गुफा: बस्तर के कांगेर वेली नेशनल पार्क के अंदर मौजूद कोटमसर गुफा को बारिश के मौसम में पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है. गहरा होने के कारण बारिश के दिनों में बाढ़ का पानी गुफा के अंदर भर जाता है. इस दौरान गुफा के अंदर जाना काफी खतरनाक हो सकता है. इस वजह से बारिश के दिनों में कोटमसर गुफा बंद कर दी जाती है. शुक्रवार को कोटमसर गुफा पर्यटकों के लिए खोल दी गई हैं. कांगेर वेली प्रबंधक ने इस बार बस्तर आने वाले पर्यटकों के लिए खास इंतजाम किए हैं. यहां के स्थानीय लोगों के माध्यम से बस्तर की लोक संस्कृति रहन-सहन वेशभूषा रीति रिवाज और रहवास से पर्यटकों को रूबरू कराया जाएगा. नए नए पर्यटक स्थल व बस्तर की लोक सांस्कृतिक गतिविधियों को भी स्थापित किया है.

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