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ताड़मेटला कांड में दो जवान समेत एक सरेंडर नक्सली ने दर्ज कराया बयान

ताड़मेटला और मोरपल्ली में हुई आगजनी मामले में सीआरपीएफ के दो जवान और सरेंडर नक्सली ने अपना बयान आयोग के सामने दर्ज कराया है.

बस्तर संभाग आयुक्त
बस्तर संभाग आयुक्त
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Published : Feb 11, 2020, 7:40 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: सुकमा जिले के ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुरम में हुई आगजनी के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की सुनवाई में सीआरपीएफ के दो जवानों ने अपने बयान दर्ज कराए. आयोग ने सीआरपीएफ के 7 जवानों को समन भेजा था, जिसमें से दो जवानों ने आयोग के सामने उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया. दोनों जवान घटना के समय सुकमा जिले के चितंलनार इलाके में कोबरा बटालियन में पदस्थ थे. वहीं इन दोनों जवानों के अलावा एक आत्मसमर्पित नक्सली ने भी अपना बयान आयोग के सामने दर्ज कराया है.

100 कोबरा जवानों की पार्टी रवाना की गई
जवानों ने अपने बयान में कहा कि 10 मार्च 2011 को कंपनी कमांडर एसके सविता के इनपुट पर सर्चिंग के लिए 100 कोबरा जवानों की पार्टी रवाना की गई थी और सभी के पास हथियार थे. नक्सलियों से इस दल की मुठभेड़ हुई, जिसके बाद सभी वापस लौट आए.

'नक्सलियों ने ग्रामीणों के घरों को फूंका'
जवानों ने बताया कि, उन्हें ट्रैप में फंसाने की साजिश के तहत वापस लौट रहे नक्सलियों ने ग्रामीणों के घरों को फूंक दिया. सीनियर अफसरों को ट्रैप का शक था, लिहाजा लौट रहे नक्सलियों का पीछा नहीं किया गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीआरपीएफ की टीम गांव से एक किलोमीटर दूर ही रही और ताड़मेटला में क्या हुआ इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

तिम्मापुर गांव में ही हुई थी मुठभेड़
जवानों के अलावा अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे आत्मसमर्पित नक्सली हिड़मा ने तिम्मापुर की घटना का ब्यौरा देते हुए बताया कि मोरपल्ली में मुठभेड़ हुई थी और इस मुठभेड़ में 3 पुलिस वाले मारे गए थे और 9 घायल हुए थे, जबकि एक नक्सली भी मारा गया था. लौटते समय रास्ते में 40 जवानों की एक टुकड़ी पर नक्सलियों के दो दलों ने मिलकर जवानों को घेरा और फायरिंग करने लगे. यह मुठभेड़ तिम्मापुर गांव में ही हुई थी. गांव के लोग डर के मारे दूसरे गांव पलायन कर गए थे, लेकिन ताड़मेटला और मोरपल्ली में घर कैसे जले, इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

7 लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे
इधर, सीआरपीएफ के अन्य 5 अधिकारी बयान दर्ज कराने नहीं पहुंच पाए, लिहाजा अब सुनवाई की अगली तारीख 28 और 29 जून को कर दी गई है, जिसमें केंद्रीय पुलिस बल के 7 लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे.

आयोग का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म
दरअसल, कथित रूप से फोर्स के जवानों पर आरोप लगा था कि उन्होंने ग्रामीणों के घरों को आग लगा दी, जिसके बाद जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया और 31 मार्च को आयोग का कार्यकाल खत्म हो रहा है. वहीं पुलिस, सीआरपीएफ, सरकारी कर्मचारियों और पीड़ित पक्ष के लोगों को मिलाकर अब तक 300 से अधिक लोगों की गवाही हो चुकी है.

जलाए गए थे 250 ग्रामीणों के घर
बता दें, सुकमा जिले के ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुर में सन 2011 में 11 मार्च से 16 मार्च के बीच पुलिस और सलवा जुड़ूम समर्थकों ने कथित तौर पर 250 ग्रामीणों के घर जला दिए थे. इस प्रकरण से जुड़े ताड़मेटला के 103 और तिम्मापुर के 37 गवाहों के बयान अभी लिए जाने बाकी हैं. वहीं इस वारदात की जांच सीबीआई काफी पहले पूरी कर चुकी है.

जगदलपुर: सुकमा जिले के ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुरम में हुई आगजनी के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की सुनवाई में सीआरपीएफ के दो जवानों ने अपने बयान दर्ज कराए. आयोग ने सीआरपीएफ के 7 जवानों को समन भेजा था, जिसमें से दो जवानों ने आयोग के सामने उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया. दोनों जवान घटना के समय सुकमा जिले के चितंलनार इलाके में कोबरा बटालियन में पदस्थ थे. वहीं इन दोनों जवानों के अलावा एक आत्मसमर्पित नक्सली ने भी अपना बयान आयोग के सामने दर्ज कराया है.

100 कोबरा जवानों की पार्टी रवाना की गई
जवानों ने अपने बयान में कहा कि 10 मार्च 2011 को कंपनी कमांडर एसके सविता के इनपुट पर सर्चिंग के लिए 100 कोबरा जवानों की पार्टी रवाना की गई थी और सभी के पास हथियार थे. नक्सलियों से इस दल की मुठभेड़ हुई, जिसके बाद सभी वापस लौट आए.

'नक्सलियों ने ग्रामीणों के घरों को फूंका'
जवानों ने बताया कि, उन्हें ट्रैप में फंसाने की साजिश के तहत वापस लौट रहे नक्सलियों ने ग्रामीणों के घरों को फूंक दिया. सीनियर अफसरों को ट्रैप का शक था, लिहाजा लौट रहे नक्सलियों का पीछा नहीं किया गया. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीआरपीएफ की टीम गांव से एक किलोमीटर दूर ही रही और ताड़मेटला में क्या हुआ इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

तिम्मापुर गांव में ही हुई थी मुठभेड़
जवानों के अलावा अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे आत्मसमर्पित नक्सली हिड़मा ने तिम्मापुर की घटना का ब्यौरा देते हुए बताया कि मोरपल्ली में मुठभेड़ हुई थी और इस मुठभेड़ में 3 पुलिस वाले मारे गए थे और 9 घायल हुए थे, जबकि एक नक्सली भी मारा गया था. लौटते समय रास्ते में 40 जवानों की एक टुकड़ी पर नक्सलियों के दो दलों ने मिलकर जवानों को घेरा और फायरिंग करने लगे. यह मुठभेड़ तिम्मापुर गांव में ही हुई थी. गांव के लोग डर के मारे दूसरे गांव पलायन कर गए थे, लेकिन ताड़मेटला और मोरपल्ली में घर कैसे जले, इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

7 लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे
इधर, सीआरपीएफ के अन्य 5 अधिकारी बयान दर्ज कराने नहीं पहुंच पाए, लिहाजा अब सुनवाई की अगली तारीख 28 और 29 जून को कर दी गई है, जिसमें केंद्रीय पुलिस बल के 7 लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे.

आयोग का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म
दरअसल, कथित रूप से फोर्स के जवानों पर आरोप लगा था कि उन्होंने ग्रामीणों के घरों को आग लगा दी, जिसके बाद जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया और 31 मार्च को आयोग का कार्यकाल खत्म हो रहा है. वहीं पुलिस, सीआरपीएफ, सरकारी कर्मचारियों और पीड़ित पक्ष के लोगों को मिलाकर अब तक 300 से अधिक लोगों की गवाही हो चुकी है.

जलाए गए थे 250 ग्रामीणों के घर
बता दें, सुकमा जिले के ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुर में सन 2011 में 11 मार्च से 16 मार्च के बीच पुलिस और सलवा जुड़ूम समर्थकों ने कथित तौर पर 250 ग्रामीणों के घर जला दिए थे. इस प्रकरण से जुड़े ताड़मेटला के 103 और तिम्मापुर के 37 गवाहों के बयान अभी लिए जाने बाकी हैं. वहीं इस वारदात की जांच सीबीआई काफी पहले पूरी कर चुकी है.

Intro:जगदलपुर। सुकमा जिले के ताडमेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुरम मे हुए आगजनी काण्ड के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग की सुनवाई मे सीआरपीएफ के दो जवानो ने अपने बयान दर्ज कराये। आयोग ने सीआऱपीएफ के 7 जवानो को समन भेजा था जिसमे से दो जवानो ने आयोग के सामने उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराया । ये दोनो जवान घटना के वक्त सुकमा जिले के चितंलनार ईलाके मे कोबरा बटालियन मे पदस्थ थे, इन दोनो जवानो के अलावा एक आत्मसमर्पित नक्सली ने भी अपना बयान आयोग के समक्ष दर्ज करवाया।




Body:जवानों ने अपने बयान में कहा कि 10 मार्च 2011 को कंपनी कमांडर एसके सविता के इनपुट पर सर्चिंग के लिए 100 कोबरा जवानों की पार्टी रवाना की गई.  सभी के पास हथियार थे और नक्सलियों से इस दल की मुठभेड़ हुई जिसके बाद सभी वापस लौट आए। जवानो ने बताया कि हमें ट्रेप में फंसाने की साजिश के तहत् वापस लौट रहे नक्सलियों ने ग्रामीणों के घरों को फूंक दिया ।  सीनियर अफसरों को ट्रेप का शक था, लिहाजा लौट रहे नक्सलियों का पीछा नहीं किया गया। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सीआरपीएफ की टीम गांव से एक किलोमीटर दूर ही रही और ताड़मेटला में क्या हुआ  इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।

जवानो के अलावा अपना बयान दर्ज कराने पंहुचे आत्मसमर्पित नक्सली हिडमा ने तिम्मापुर की घटना का ब्यौरा देते हुए बताया कि मोरपल्ली में मुठभेड़ हुई थी और इस मुठभेड़ में 3 पुलिस वाले मारे गए थे और 9 घायल हुए, जबकि एक नक्सली भी मारा गया था। लौटते वक्त रास्ते में 40 जवानों के एक टुकडी पर नक्सलियों के दो दल ने मिलकर  जवानों को घेरा और फायरिंग खोल दी। यह मुठभेड़ तिम्मापुर गांव में ही हुई थी, गांव के लोग डर के मारे दूसरे गांव पलायन कर गए थे। लेकिन ताड़मेटला और मोरपल्ली में घर कैसे जले, इस बारे में उसे कोई जानकारी नही है।


Conclusion:इधर सीआरपीएफ के अन्य  5 अधिकारी बयान दर्ज करवाने नहीं पहुंच पाए, लिहाजा अब सुनवाई की अगली तारीख 28 और 29  जून को कर दी गई है जिसमे केंद्रीय पुलिस बल के 7 लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे।
दरअसल कथित रूप से फोर्स के जवानों पर आरोप लगा था कि उन्होंने ग्रामीणों के घरों को आग लगा दी, जिसके बाद जस्टिस टीपी शर्मा की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया  और 31 मार्च को आयोग का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वही  पुलिस, सीआरपीएफ, सरकारी कर्मचारियों और पीड़ित पक्ष के लोगों को मिलाकर अब तक 300 से अधिक लोगो की गवाही हो चुकी है।
गौरतलब है कि सुकमा जिले के ताड़मेटला,मोरपल्ली और तिम्मापुर में सन 2011 मे 11 मार्च से 16 मार्च के बीच पुलिस और सलवा जुडूम समर्थकों ने कथित तौर पर250 ग्रामीणों के घर जला दिए थे। इस प्रकरण से जुड़े ताड़मेटला के 103 और तिम्मापुर के 37 गवाहों के बयान अभी लिए जाने बाकी हैं। वहीं इस वारदात की जांच सीबीआई काफी पहले पूरी कर चुकी है। 
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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