बस्तर : पीएम मोदी के दौरे से पहले सर्व आदिवासी समाज ने दौरे का विरोध करना शुरु कर दिया है. सर्व आदिवासी समाज ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 3 अक्टूबर को बस्तर बंद का आह्वान किया है. सर्व आदिवासी समाज 2 अक्टूबर कोअपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर शहर में धरना देगा और एक विशाल रैली निकालेगा.इसी बाद तीन अक्टूबर को बस्तर बंद का आह्वान किया जाएगा.
क्या है सर्व आदिवासी समाज की मांगें : सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर के मुताबिक आदिवासी समाज ने 2 अक्टूबर को 4 बिंदुओं को लेकर एक दिवसीय रैली आमसभा करने के निर्णय लिया गया है. जिनमें नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध, NMDC का मुख्यालय बस्तर में होने की मांग, नगरनार स्टील प्लांट में स्थानीय लोगों की भर्ती और जातिगत जनगणना कराने की मांग शामिल है. यह मांग पिछले 7 सालों से उठ रही है. लेकिन केंद्र सरकार के कानों तक जूं तक नहीं रेंगी.
'' प्रधानमंत्री के प्रवास को देखते हुए आदिवासी समाज ने बस्तर संभाग बंद करने का निर्णय लिया गया है.पूरे बस्तर संभाग के सभी जिलों से बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुचेंगे. विशाल सभा और रैली होगी.'' प्रकाश ठाकुर,संभागीय अध्यक्ष,सर्व आदिवासी समाज
कांग्रेस ने दिया बंद को समर्थन : सर्व आदिवासी समाज के बंद को लेकर कांग्रेस ने समर्थन दिया है.इस बारे में उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि जैसे भीमराव अंबेडकर ने कहा है कि अपने अधिकारों के लिए लड़ो.ठीक उसी तरह आदिवासी अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.
'' कांग्रेस पार्टी भी 3 अक्टूबर को बस्तर संभाग में होने वाले बंद को समर्थन देगी. बैलाडीला में NMDC प्लांट है. नगरनार में NMDC प्लांट है. तो इसका मुख्यालय भी बस्तर में होना चाहिए. जिसके लिए लड़ाई लड़ेंगे.'' कवासी लखमा, उद्योग मंत्री
बंद का नहीं होगा असर : वहीं सर्व आदिवासी समाज के बंद और कांग्रेस के समर्थन देने की बात पर बीजेपी ने इसे राजनीतिक मामला बताया है.बीजेपी के मुताबिक आदिवासी समाज ने बंद का आह्वान इसलिए किया है,ताकि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम प्रभावित हो.लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
केंद्र को गंभीरता से सोचने की जरुरत : सर्व आदिवासी समाज के बंद को लेकर राजनीति के जानकारों का मानना है कि सभा को लेकर कोई दिक्कत नहीं होगी.क्योंकि पार्टियां अपने लोग पूरे कर लेती हैं.लेकिन अब चुनाव से पहले एनएमडीसी को लेकर बीजेपी को जरुर सोचना होगा.
''NMDC प्लांट को लेकर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है. यदि सरकार निजीकरण के लिए आगे बढ़ती है तो उन्हें एक बहुत बड़ा विरोध का सामना बस्तर में करना पड़ेगा.'' संजीव पचौरी,राजनीति के जानकार
वहीं वरिष्ठ पत्रकार श्रीनिवास रथ की माने तो बस्तर के आदिवासी स्थानीय मुद्दों को लेकर आंदोलन करते हैं.जिसमें दोष उन लोगों का है जो बिना सोचे समझे योजनाएं बनाते हैं.ऐसी योजनाओं को बस्तर में लागू करने पर विरोध होता है.आदिवासी पीएम मोदी का नहीं बल्कि योजनाओं का विरोध कर रहे हैं.इसलिए इसका असर नहीं होगा.