बस्तर : छत्तीसगढ़ में दिन प्रतिदिन सड़क हादसों में इजाफा हो रहा है. यदि अकेले बस्तर की बात करें तो बीते पांच महीनों में 115 लोगों ने सड़क हादसों में जान गवाई है.सड़क हादसों में 138 लोग घायल हुए हैं.वहीं इन हादसों में 2.6 फीसदी लोगों की आंखों की रौशनी हमेशा के लिए चली गई.साथ ही साथ ये भी खुलासा हुआ कि हादसों में 70 फीसदी कारण शराब का नशा था. इन आंकड़ों को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज की रिसर्च टीम ने जारी किया है.
सड़क हादसे में आंखों को भी पहुंची क्षति : शोधकर्ता डॉ. शगुफ्ता आमीन के मुताबिक इसके लिए हादसों को लिए शोध किया गया. सड़क दुर्घटनाओं पर किस प्रकार से नेत्र क्षति होती है. किस हद तक नेत्र हानि होती है. नेत्र के किन हिस्से में चोट पहुंचती है. इस पर शोध किया था. शोध में ये पता चला कि 2.6 लोगों के सड़क दुर्घटनाओं में इस हद तक आंखों की क्षति होती है कि, उनकी रोशनी पूरी तरह से चली जाती है. ऐसे हादसे में लोगों के आंखों की ज्योति वापस नहीं आ पाती है.
'' सड़क दुर्घटना के वक्त लगभग 70 प्रतिशत लोगों ने शराब का सेवन किया हुआ था. 84 प्रतिशत मोटरसाइकिल में सवार लोगों ने हेलमेट नहीं पहना था. चार पहिया वाहन चालकों ने सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं किया था. इस कारण से सड़क हादसे में आंखों पर गंभीर चोटें लगी. इन हादसों को रोकने के लिए नियमित रूप से यातायात नियमों का पालन करना आवश्यक है.'' डॉ शगुफ्ता अमीन, शोधकर्ता
रेटिना डैमेज पर भी अध्ययन : इस शोध में रेटिना डैमेज पर भी अध्ययन किया गया. रेटिना शोधकर्ता डॉ. अनुषा सिंह ने बताया कि नेत्र विभाग में पहुंचने वाले सभी मरीजों के पीछे की रेटिना जांच की गई.इस अध्ययन से पता चला कि 64 फीसदी मरीज शुगर की बीमारी से पीड़ित हैं. जिसे मेडिकल टर्म्स में डायबिटीज रिक्नोपैथी कहते हैं. साथ ही यह पता चला कि जिन लोगों को लंबे समय से ब्लड शुगर की बीमारी है और साथ में किडनी की समस्या है. उनमे रेटिनोपैथी समस्याएं होती हैं.इसके लिए नियमित रूप से ब्लड शुगर को कंट्रोल करना जरुरी होता है.
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यह पहला शोध कार्य डिमरापाल अस्पताल में किया गया है. यह शोध कार्य थर्ड ईयर के पीजी छात्रों ने किया है. आने वाले समय में हर बैच में 2 विषयों पर शोध कार्य किया जाएगा. हर वर्ष इस तरह से 2 शोध कार्य किये जायेंगे.