जगदलपुर: बस्तर में अतिथि शिक्षकों ने बोनस लेने से साफ इनकार कर दिया है. राज्य सरकार की ओर से मिल रहे इस बोनस का विरोध जताते हुए अतिथि शिक्षकों ने जिला शिक्षा अधिकारी को गुरुवार को ज्ञापन सौंपा है. दरअसल राज्य सरकार ने अतिथि शिक्षकों को बोनस देने के नाम पर शिक्षक और सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने के आदेश जारी किए हैं. जबकि अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यह बोनस उनके लिए प्रमोशन नहीं बल्कि डिमोशन है.
ये प्रमोशन नहीं डिमोशन: अतिथि शिक्षकों का कहना है कि यह बोनस उनके लिए प्रमोशन नहीं बल्कि डिमोशन है. इसलिए वे बोनस नहीं लेना चाहते हैं. जिले के सभी अतिथि शिक्षकों ने बस्तर जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर बोनस को लेने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है.
अतिथि शिक्षकों का आरोप: ज्ञापन सौंपने पहुंची अतिथि शिक्षक आंचल पांडे ने ईटीवी भारत को बताया कि सरकार के द्वारा दिया गया यह नंबर केवल प्रलोभन मात्र है. पहले 2 अंक दिया गया. विरोध करने पर 2 अंक को चार और छ: में तब्दील कर दिया गया. क्योंकि अतिथि शिक्षक व्याख्याता के पद पर काम कर रहे थे. इस कारण शिक्षक और सहायक शिक्षक पर बोनस मंजूर नहीं है." अतिथि शिक्षकों की मानें तो बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में 8 सालों तक उन्होंने व्याख्याता के पद पर अपनी सेवा दी है. हर अंदरूनी क्षेत्रों के बच्चों का भविष्य सुधारा है. इतने सालों तक काम करने के बाद कोई डिमोशन क्यों लेगा? हर एक व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ना चाहता है. छत्तीसगढ़ सरकार हाथों में गंगाजल लेकर कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था. लेकिन अब सरकार अपने वादे से मुकर रही है.
भविष्य में काम आएगा ये अंक: जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान का कहना है कि अतिथि शिक्षकों को बोनस के तौर पर मिलने वाले अंक उनके भविष्य में काफी काम आने वाले हैं. आने वाले दिनों में निकलने वाली भर्ती में उन्हें सहायता मिलेगा. इसके साथ ही उन्हें रोजगार का मौका मिलेगा.
उग्र आंदोलन की चेतावनी: अतिथि शिक्षकों ने जबरदस्ती 2 अंक बोनस के रूप में दिए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रही हैं. इसके साथ ही अतिथि शिक्षकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इसका असर देखने को मिल सकता है.