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बस्तर में मक्के की फसल पर वर्मी का खतरा, किसान परेशान

बस्तर में मक्के की खेती करने वाले किसान फसल में कीट लगने से परेशान है. हालांकि कृषि अधिकारी का दावा है कि फसल को कुछ खास नुकसान नहीं हो रहा है. पिछले 2 सालों से कीट मक्के की फसल पर लगते हैं लेकिन दवा का छिड़काव करने से वो चले जाते हैं.

Insect threat on maize crop in Bastar
मक्के की फसल पर कीट
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Published : Jul 28, 2021, 8:12 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में मक्के की खेती आदिवासियों की नई उन्नत खेती की पहचान है. लेकिन मक्के की फसल लेते किसान इन दिनों परेशान हैं. सरकार जहां मक्का खरीदने की घोषणा कर रही है. वहीं किसान मक्के की फसल लगाने से घबरा रहे हैं. इसकी वजह बस्तर में पहुंचा फॉल वर्मी है. इससे पहले इस कीट ने श्रीलंका व मलेशिया में खेतों में तबाही मचा दी है. महज 2 साल की छोटी अवधि में यह विदेशों में मक्के की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर चुका है. पौधे उगने के साथ ही इस कीट का आक्रमण शुरू हो जाता है. यह पौधे के पत्तों को चट करते हुए धीरे-धीरे इन्हें कमजोर कर देता है.

मक्के की फसल पर कीट

बस्तर में कम लागत और अच्छे दाम मिलने की वजह से मक्के की खेती में काफी तेजी आई थी. बस्तर के किसान पिछले कुछ सालों से एक बड़े रकबे में मक्के की खेती कर रहे हैं. हर साल इसके रकबे में वृद्धि हो रही है, कृषि विभाग के अधिकारी के मुताबिक खरीफ सीजन 2020 में 15373 हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी. 2021 में 18230 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें से अब तक केवल 12892 हेक्टेयर में पूर्ति हो पाई है. इस कीट के बस्तर पहुंचने से किसानों में दहशत का माहौल बना हुआ है क्योंकि यह कीट मक्के की फसल को काफी बुरी तरह से प्रभावित करता है. इस वजह से अब किसान मक्के की खेती करने में डर सा महसूस कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक इस कीट से बचने के लिए एमामेंक्टिंग बेंजोएट कोराजन एमाप्लोग वापीन जैसे कीटनाशक के उपयोग की सलाह दे रहे हैं.

छत्तीसगढ़ की सोसायटियों में खाद-बीज की किल्लत से किसान हो रहे परेशान

कृषि अधिकारी विकास साहू का कहना है कि 'बाहरी देशों से होते हुए यह कीट दक्षिण प्रदेश पहुंचा. वहां से प्रदेश के बस्तर संभाग पहुंचा है. यह कीट अभी ज्यादा फसलों को नुकसान नहीं किया है, लेकिन धीरे-धीरे अब यह कीट समूचे बस्तर संभाग में पहुंच रहा है. पिछले दो सालों से कीट खेतों में पहुंच रहा है हालांकि दवा डालने के बाद कीट का प्रकोप कम हो जाता है. कीट के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए लगातार फील्ड कृषि विभाग की टीम दवाई की जानकारी देने के साथ-साथ इसके बचाव के उपाय भी किसानों को बता रहे हैं'.

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर में मक्के की खेती आदिवासियों की नई उन्नत खेती की पहचान है. लेकिन मक्के की फसल लेते किसान इन दिनों परेशान हैं. सरकार जहां मक्का खरीदने की घोषणा कर रही है. वहीं किसान मक्के की फसल लगाने से घबरा रहे हैं. इसकी वजह बस्तर में पहुंचा फॉल वर्मी है. इससे पहले इस कीट ने श्रीलंका व मलेशिया में खेतों में तबाही मचा दी है. महज 2 साल की छोटी अवधि में यह विदेशों में मक्के की फसल को पूरी तरह से बर्बाद कर चुका है. पौधे उगने के साथ ही इस कीट का आक्रमण शुरू हो जाता है. यह पौधे के पत्तों को चट करते हुए धीरे-धीरे इन्हें कमजोर कर देता है.

मक्के की फसल पर कीट

बस्तर में कम लागत और अच्छे दाम मिलने की वजह से मक्के की खेती में काफी तेजी आई थी. बस्तर के किसान पिछले कुछ सालों से एक बड़े रकबे में मक्के की खेती कर रहे हैं. हर साल इसके रकबे में वृद्धि हो रही है, कृषि विभाग के अधिकारी के मुताबिक खरीफ सीजन 2020 में 15373 हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई थी. 2021 में 18230 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था. जिसमें से अब तक केवल 12892 हेक्टेयर में पूर्ति हो पाई है. इस कीट के बस्तर पहुंचने से किसानों में दहशत का माहौल बना हुआ है क्योंकि यह कीट मक्के की फसल को काफी बुरी तरह से प्रभावित करता है. इस वजह से अब किसान मक्के की खेती करने में डर सा महसूस कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिक इस कीट से बचने के लिए एमामेंक्टिंग बेंजोएट कोराजन एमाप्लोग वापीन जैसे कीटनाशक के उपयोग की सलाह दे रहे हैं.

छत्तीसगढ़ की सोसायटियों में खाद-बीज की किल्लत से किसान हो रहे परेशान

कृषि अधिकारी विकास साहू का कहना है कि 'बाहरी देशों से होते हुए यह कीट दक्षिण प्रदेश पहुंचा. वहां से प्रदेश के बस्तर संभाग पहुंचा है. यह कीट अभी ज्यादा फसलों को नुकसान नहीं किया है, लेकिन धीरे-धीरे अब यह कीट समूचे बस्तर संभाग में पहुंच रहा है. पिछले दो सालों से कीट खेतों में पहुंच रहा है हालांकि दवा डालने के बाद कीट का प्रकोप कम हो जाता है. कीट के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए लगातार फील्ड कृषि विभाग की टीम दवाई की जानकारी देने के साथ-साथ इसके बचाव के उपाय भी किसानों को बता रहे हैं'.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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