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'पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में ग्राम पंचायत को नगर पंचायत नहीं बना सकते'

बस्तर नगर पंचायत के 15 वार्ड के लोग पिछले 4 साल से अपनी नगर पंचायत को ग्राम पंचायत में बदलने की मांग कर रहे हैं. वे कई बार नेशनल हाईवे पर चक्काजाम भी कर चुके हैं. राज्यपाल अनुसुइया उइके ने इस फैसले को संविधान के खिलाफ बताया है.

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छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके
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Published : Feb 12, 2021, 4:03 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने के फैसले को राज्यपाल अनुसुइया उइके ने गलत ठहराया है. राज्यपाल ने कहा कि संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाना गलत है. राज्यपाल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची जिस क्षेत्र में लागू है, वहां ग्राम पंचायत को नगर पंचायत नहीं बनाया जा सकता है. संविधान के नियमों के तहत यह पूरी तरह से गलत है.

राज्यपाल अनुसुइया उइके का बयान

आखिर क्यों उठ रही बस्तर नगरीय निकाय को ग्राम पंचायत बनाने की मांग ?

राज्यपाल ने कहा कि अगर ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाया भी जाता है, तो उसके लिए राज्यपाल होने के नाते उनका अनुमोदन सबसे जरूरी है. उनके सामने बस्तर नगर पंचायत का केस आ चुका है. राज्यपाल ने इसके लिए जल्द ही राज्य सरकार से चर्चा करने की बात कही है.

अपनी नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग क्यों कर रहे हैं लोग ?

ETV भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी खबर
ग्रामीण पिछले 4 साल से बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग कर रहे हैं. ETV भारत ने भी इस खबर को खबर प्रमुखता से दिखाया था. अपने तीन दिवसीय दौरे पर बस्तर पहुंची राज्यपाल से जब ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे गलत ठहराया. राज्यपाल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के तहत ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाना सही नहीं है.

ज्यादा सुविधाओं के बजाय कम सुविधा में क्यों जीना चाहते हैं यहां के ग्रामीण ?

राज्य सरकार से की जाएगी चर्चा
राज्यपाल ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में भी है. इसको लेकर वे संविधान के तहत दिए गए नियमों की जानकारी भी ले रही हैं. आने वाले दिनों में इस पर राज्य सरकार से चर्चा की जाएगी.

आदिवासियों के साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा
राज्यपाल ने नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी नहीं है. इस बारे में जानकारी लेंगी कि भविष्य में किस तरह इस प्लांट को चलाया जाना है. राज्यपाल ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी कीमत पर यहां के आदिवासियों पर अन्याय होने नहीं देंगे. जो भी होगा आदिवासियों के हित में होगा.

आखिर ग्रामीण क्यों कर रहे विरोध ?

ग्रामीणों ने कहा कि नगर पंचायत बने 11 साल बीत चुके हैं, अब भी इस नगर पंचायत के 15 वार्ड के 22 पारा विकास से कोसों दूर हैं. ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. यही नहीं इस 11 साल में कोई भी उपलब्धि नगर पंचायत बनने के बाद हासिल नहीं की.

हमारी परंपराओं का हनन: आदिवासी

लोगों का आरोप है कि नगर पंचायत बनने के बाद आदिवासी परंपराओं का पूरी तरह से हनन हो रहा है. आदिवासी कई सारे तीज-त्यौहार मनाते हैं लेकिन नगर पंचायत बन जाने की वजह से सभी गांव के लोग अब जुट नहीं पाते हैं. अधिकारों का हनन भी कभी-कभी होने का आरोप लोग लगा रहे हैं.

'मनमाना टैक्स वसूला जा रहा'

ग्रामीणों का कहना है नगर पंचायत बनने के बाद उनसे मनमाने टैक्स वसूला जा रहा है. घर का टैक्स, कचरे का टैक्स सब तो लिया जा रहा है, लेकिन इसके एवज में कोई विकास का काम नहीं हो रहा है. लोग कह रहे हैं कि इतना टैक्स वे कैसे चुका पाएंगे ?. गांववाले बताते हैं कि नगर पंचायत की वजह से उनके बच्चों का भी भविष्य अधर में चला गया है. बिना टैक्स का भुगतान किेए नगर पंचायत के कर्मचारी जाति प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र नहीं बनाते हैं. ऐसे में गांव के कई बच्चों ने आधी-अधूरी शिक्षा ग्रहण कर पढ़ाई छोड़ दी है.

'नियमों का गलत इस्तेमाल किया'

नगरीय निकाय अधिनियम 1956-1961 के प्रावधान का इस्तेमाल करके सामान्य क्षेत्र के कानून के तहत पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में लागू कर दी गई. पांचवीं अनुसूची के तहत बिना ग्राम सभा के अनुमोदन के ग्राम पंचायत को नगर पंचायत नहीं बनाया जा सकता है. लोगों का आरोप है कि तत्कालीन भाजपा शासन काल में इस नियम का उल्लंघन करते हुए बस्तर नगर पंचायत बनाई गई थी. नगर पंचायत बनाने के बाद भी 11 साल से यहां कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है उनके द्वारा भी कई बार गांव में विकास कार्य के लिए कहे जाने के बावजूद कोई काम नहीं किया गया. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पिछले 4 सालों से वे सभी प्रशासनिक अधिकारियों, पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों तक से मिल चुके हैं. राज्यपाल और नगरीय प्रशासन मंत्री को भी आवेदन सौंप चुके हैं. यही नहीं बस्तर तहसील कार्यालय का घेराव करने के साथ जिला कलेक्ट्रेट का भी घेराव कर चुके हैं. बावजूद इसके उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

जगदलपुर: बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने के फैसले को राज्यपाल अनुसुइया उइके ने गलत ठहराया है. राज्यपाल ने कहा कि संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाना गलत है. राज्यपाल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची जिस क्षेत्र में लागू है, वहां ग्राम पंचायत को नगर पंचायत नहीं बनाया जा सकता है. संविधान के नियमों के तहत यह पूरी तरह से गलत है.

राज्यपाल अनुसुइया उइके का बयान

आखिर क्यों उठ रही बस्तर नगरीय निकाय को ग्राम पंचायत बनाने की मांग ?

राज्यपाल ने कहा कि अगर ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाया भी जाता है, तो उसके लिए राज्यपाल होने के नाते उनका अनुमोदन सबसे जरूरी है. उनके सामने बस्तर नगर पंचायत का केस आ चुका है. राज्यपाल ने इसके लिए जल्द ही राज्य सरकार से चर्चा करने की बात कही है.

अपनी नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग क्यों कर रहे हैं लोग ?

ETV भारत ने प्रमुखता से दिखाई थी खबर
ग्रामीण पिछले 4 साल से बस्तर नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग कर रहे हैं. ETV भारत ने भी इस खबर को खबर प्रमुखता से दिखाया था. अपने तीन दिवसीय दौरे पर बस्तर पहुंची राज्यपाल से जब ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसे गलत ठहराया. राज्यपाल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के तहत ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाना सही नहीं है.

ज्यादा सुविधाओं के बजाय कम सुविधा में क्यों जीना चाहते हैं यहां के ग्रामीण ?

राज्य सरकार से की जाएगी चर्चा
राज्यपाल ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में भी है. इसको लेकर वे संविधान के तहत दिए गए नियमों की जानकारी भी ले रही हैं. आने वाले दिनों में इस पर राज्य सरकार से चर्चा की जाएगी.

आदिवासियों के साथ अन्याय नही होने दिया जाएगा
राज्यपाल ने नगरनार में निर्माणाधीन एनएमडीसी स्टील प्लांट के निजीकरण को लेकर भी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस मामले की जानकारी नहीं है. इस बारे में जानकारी लेंगी कि भविष्य में किस तरह इस प्लांट को चलाया जाना है. राज्यपाल ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी कीमत पर यहां के आदिवासियों पर अन्याय होने नहीं देंगे. जो भी होगा आदिवासियों के हित में होगा.

आखिर ग्रामीण क्यों कर रहे विरोध ?

ग्रामीणों ने कहा कि नगर पंचायत बने 11 साल बीत चुके हैं, अब भी इस नगर पंचायत के 15 वार्ड के 22 पारा विकास से कोसों दूर हैं. ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं. यही नहीं इस 11 साल में कोई भी उपलब्धि नगर पंचायत बनने के बाद हासिल नहीं की.

हमारी परंपराओं का हनन: आदिवासी

लोगों का आरोप है कि नगर पंचायत बनने के बाद आदिवासी परंपराओं का पूरी तरह से हनन हो रहा है. आदिवासी कई सारे तीज-त्यौहार मनाते हैं लेकिन नगर पंचायत बन जाने की वजह से सभी गांव के लोग अब जुट नहीं पाते हैं. अधिकारों का हनन भी कभी-कभी होने का आरोप लोग लगा रहे हैं.

'मनमाना टैक्स वसूला जा रहा'

ग्रामीणों का कहना है नगर पंचायत बनने के बाद उनसे मनमाने टैक्स वसूला जा रहा है. घर का टैक्स, कचरे का टैक्स सब तो लिया जा रहा है, लेकिन इसके एवज में कोई विकास का काम नहीं हो रहा है. लोग कह रहे हैं कि इतना टैक्स वे कैसे चुका पाएंगे ?. गांववाले बताते हैं कि नगर पंचायत की वजह से उनके बच्चों का भी भविष्य अधर में चला गया है. बिना टैक्स का भुगतान किेए नगर पंचायत के कर्मचारी जाति प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र नहीं बनाते हैं. ऐसे में गांव के कई बच्चों ने आधी-अधूरी शिक्षा ग्रहण कर पढ़ाई छोड़ दी है.

'नियमों का गलत इस्तेमाल किया'

नगरीय निकाय अधिनियम 1956-1961 के प्रावधान का इस्तेमाल करके सामान्य क्षेत्र के कानून के तहत पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में लागू कर दी गई. पांचवीं अनुसूची के तहत बिना ग्राम सभा के अनुमोदन के ग्राम पंचायत को नगर पंचायत नहीं बनाया जा सकता है. लोगों का आरोप है कि तत्कालीन भाजपा शासन काल में इस नियम का उल्लंघन करते हुए बस्तर नगर पंचायत बनाई गई थी. नगर पंचायत बनाने के बाद भी 11 साल से यहां कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है उनके द्वारा भी कई बार गांव में विकास कार्य के लिए कहे जाने के बावजूद कोई काम नहीं किया गया. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पिछले 4 सालों से वे सभी प्रशासनिक अधिकारियों, पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों तक से मिल चुके हैं. राज्यपाल और नगरीय प्रशासन मंत्री को भी आवेदन सौंप चुके हैं. यही नहीं बस्तर तहसील कार्यालय का घेराव करने के साथ जिला कलेक्ट्रेट का भी घेराव कर चुके हैं. बावजूद इसके उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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