जगदलपुर : बस्तर में पिछले 611 सालों से मनाए जाने वाले गोंचा महापर्व का बुधवार को समापन हुआ. गोंचा महापर्व के आखिरी दिन बाहुड़ा रस्म अदायगी के दौरान भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को अपनी मौसी के घर जनकपुरी से श्री मंदिर के लिए रवाना किया गया. इस रस्म अदायगी के दौरान बस्तर के गोंचा पर्व समिति के लोगों ने 3 रथों की जगह एक ही रथ में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रहों को रथारूढ़ कर जगन्नाथ मंदिर के लिए रवाना किया.
इस मौके पर समिति के लोगों ने रथ को खींचकर शहर के सिरहसार भवन से जगन्नाथ मंदिर तक पहुंचाया. हालांकि कोरोना महामारी की वजह से इस बार गोंचा महापर्व बस्तर में कुछ फीका नजर आया. बुधवार को इस बाहुड़ा गोंचा के साथ ही इस महापर्व का समापन हुआ.
गोंचा पर्व समिति के अध्यक्ष हेमंत पांडेय ने बताया कि 23 जून को गोंचा पर्व की शुरुआत हुई थी. भगवान के विग्रहों को श्री मंदिर से जनकपुरी पहुंचाने के बाद यहां 10 दिनों तक भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की विशेष पूजा अर्चना की गई. हालांकि कोरोना की वजह से इस बार दूरदराज से लोग इस पर्व में शामिल नहीं हो सके. वहीं इस पर्व के दौरान होने वाले सभी रस्मों को स्थगित कर दिया गया था.
पढ़ें-जगदलपुर में मनाया गया गोंचा पर्व, कोरोना वायरस का दिखा असर
नियमों का किया गया पालन
रस्म के दौरान भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र के विग्रह को शहर के सिरहसार भवन में बने जनकपुरी से श्री मंदिर तक परिक्रमा करके ले जाया गया. वहीं इस दौरान जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए सारे नियमों का पालन किया गया.