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रंग लाई इंद्रावती नदी को बचाने की मुहिम, इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन - इंद्रावती बचाओ मंच

इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई है. नदी में तेजी से घटते जल स्तर को लेकर राज्य शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है.

protection of Indravati river
इंद्रावती बचाओ मंच
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Published : Oct 11, 2021, 3:00 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर की प्राणदायिनी नदी इंद्रावती को बचाने के लिए तरह तरह के जतन किए जा रहे हैं. 2 साल पहले शहर के बुद्धिजीवियों की ओर से गठित इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई है. नदी में तेजी से घटते जल स्तर को लेकर राज्य शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है. इस प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है. साथ ही इस प्राधिकरण की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.

इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन

नदी को बचाने के लिए उठाए जाए ठोस कदम

इधर इंद्रावती प्राधिकरण का गठन होने से इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्यों के साथ ही बस्तरवासियों में भी काफी खुशी है और मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है. मंच के सदस्यों ने कहा कि उम्मीद है कि अब बस्तर की जीवनदायिनी नदी को बचाने ठोस कदम उठाए जाएंगे. साथ ही 12 महीने अब इंद्रावती नदी में जल का स्तर बने रहने की संभावना है.

Indravati river
इंद्रावती नदी

सीएम ने जारी की अधिसूचना

दरअसल साल 2019 में शहर के बुद्धिजीवियों की ओर से इंद्रावती नदी को बचाने के लिए आंदोलन की शुरुआत की गई थी और इस आंदोलन का नाम इंद्रावती बचाओ मंच रखा गया था. इस मंच में 91 वर्ष के पद्मश्री धर्मपाल सैनी के साथ शहर के कई गणमान्य नागरिक और पर्यावरण प्रेमी शामिल है. मंच के द्वारा तेजी से इंद्रावती नदी में घट रहे जलस्तर को देखते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने लगातार पदयात्रा कर और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर जल्द से जल्द अपनी अस्तित्व खोती इंद्रावती को बचाने के लिए प्रयास करने की मांग की गई थी. इसके बाद आखिरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंद्रावती विकास प्राधिकरण (Indravati Development Authority) के गठन की घोषणा की और हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजपत्र जारी कर इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है.

इंद्रावती नदी में नाव पलटी, बाल बाल बचे तीन ग्रामीण

कई प्रस्ताव पर चर्चा

राज्य शासन की ओर से जारी अधिसूचना पत्र में इंद्रावती नदी जल ग्रहण क्षेत्र के विकास का उपाय करना है. जिससे इंद्रावती नदी में 12 माह पानी रहे. इसमें नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक आधार पर भी कई आवश्यक संरचनाओं के निर्माण के लिए प्रस्ताव और उपाय भी शामिल किए गए हैं. इसके अलावा इंद्रावती नदी के जल क्षेत्र में बन रहे सभी सिंचाई परियोजना का पूरी क्षमता से सिंचाई के लिए संधारण के प्रस्ताव और सुझाव को भी शामिल किया गया है.

Indravati river
इंद्रावती नदी बोर्ड

उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बीच जल बंटवारा विवाद

इसके अलावा इंद्रावती के जल क्षेत्र में निर्माणाधीन सभी योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए भी आदेश जारी की गई है. साथ ही इंद्रावती नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए भी आवश्यक उपाय भी किये जाने की बात लिखी गयी है. मंच के सदस्य किशोर पारख ने बताया कि इस इंद्रावती विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं और ये काफी हर्ष का विषय है. मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में जल्द से जल्द इस नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा जोरा नाला में इंद्रावती नदी में बने स्ट्रक्चर से भी बस्तर को कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है और ऐसे में प्राधिकरण गठन होने के बाद इन विषयों पर ही मुख्य रूप से चर्चा कर समाधान निकाला जाना है.

इंद्रावती नदी में जल संकट?

किशोर पारख ने कहा कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में जल बंटवारे को लेकर हुई संधि के बावजूद भी उड़ीसा सरकार बस्तर वासियों के साथ छल कर रही है. ऐसे में अगर जल्द से जल्द इस पर राज्य सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो इंद्रावती नदी में जल संकट का खतरा तेजी से मंडराने लगेगा.

गठन से दूर होगी समस्या

वहीं मंच के सदस्यों ने उम्मीद जताई है कि इंद्रावती गठन के साथ ही अब जल्द ही इस जीवनदायिनी नदी को बचाने सरकार के तरफ से ठोस कदम उठाए जाएंगे. जिसका बस्तरवासी भी पूरा समर्थन करेंगे. मंच के सदस्यों ने उम्मीद जताई है कि जल्द से जल्द इस प्राधिकरण की पूरे सदस्यों का भी गठन कर लिया जाएगा.

जगदलपुर: बस्तर की प्राणदायिनी नदी इंद्रावती को बचाने के लिए तरह तरह के जतन किए जा रहे हैं. 2 साल पहले शहर के बुद्धिजीवियों की ओर से गठित इंद्रावती बचाओ मंच की मेहनत रंग लाई है. नदी में तेजी से घटते जल स्तर को लेकर राज्य शासन ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन किया है. इस प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल है. साथ ही इस प्राधिकरण की अधिसूचना भी जारी कर दी गई है.

इंद्रावती बेसिन विकास प्राधिकरण का गठन

नदी को बचाने के लिए उठाए जाए ठोस कदम

इधर इंद्रावती प्राधिकरण का गठन होने से इंद्रावती बचाओ मंच के सदस्यों के साथ ही बस्तरवासियों में भी काफी खुशी है और मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है. मंच के सदस्यों ने कहा कि उम्मीद है कि अब बस्तर की जीवनदायिनी नदी को बचाने ठोस कदम उठाए जाएंगे. साथ ही 12 महीने अब इंद्रावती नदी में जल का स्तर बने रहने की संभावना है.

Indravati river
इंद्रावती नदी

सीएम ने जारी की अधिसूचना

दरअसल साल 2019 में शहर के बुद्धिजीवियों की ओर से इंद्रावती नदी को बचाने के लिए आंदोलन की शुरुआत की गई थी और इस आंदोलन का नाम इंद्रावती बचाओ मंच रखा गया था. इस मंच में 91 वर्ष के पद्मश्री धर्मपाल सैनी के साथ शहर के कई गणमान्य नागरिक और पर्यावरण प्रेमी शामिल है. मंच के द्वारा तेजी से इंद्रावती नदी में घट रहे जलस्तर को देखते हुए सरकार का ध्यान आकर्षित करने लगातार पदयात्रा कर और जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर जल्द से जल्द अपनी अस्तित्व खोती इंद्रावती को बचाने के लिए प्रयास करने की मांग की गई थी. इसके बाद आखिरकार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंद्रावती विकास प्राधिकरण (Indravati Development Authority) के गठन की घोषणा की और हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजपत्र जारी कर इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है.

इंद्रावती नदी में नाव पलटी, बाल बाल बचे तीन ग्रामीण

कई प्रस्ताव पर चर्चा

राज्य शासन की ओर से जारी अधिसूचना पत्र में इंद्रावती नदी जल ग्रहण क्षेत्र के विकास का उपाय करना है. जिससे इंद्रावती नदी में 12 माह पानी रहे. इसमें नरवा कार्यक्रम के अंतर्गत वैज्ञानिक आधार पर भी कई आवश्यक संरचनाओं के निर्माण के लिए प्रस्ताव और उपाय भी शामिल किए गए हैं. इसके अलावा इंद्रावती नदी के जल क्षेत्र में बन रहे सभी सिंचाई परियोजना का पूरी क्षमता से सिंचाई के लिए संधारण के प्रस्ताव और सुझाव को भी शामिल किया गया है.

Indravati river
इंद्रावती नदी बोर्ड

उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के बीच जल बंटवारा विवाद

इसके अलावा इंद्रावती के जल क्षेत्र में निर्माणाधीन सभी योजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए भी आदेश जारी की गई है. साथ ही इंद्रावती नदी को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए भी आवश्यक उपाय भी किये जाने की बात लिखी गयी है. मंच के सदस्य किशोर पारख ने बताया कि इस इंद्रावती विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं और ये काफी हर्ष का विषय है. मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में जल्द से जल्द इस नदी को बचाने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा जोरा नाला में इंद्रावती नदी में बने स्ट्रक्चर से भी बस्तर को कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है और ऐसे में प्राधिकरण गठन होने के बाद इन विषयों पर ही मुख्य रूप से चर्चा कर समाधान निकाला जाना है.

इंद्रावती नदी में जल संकट?

किशोर पारख ने कहा कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में जल बंटवारे को लेकर हुई संधि के बावजूद भी उड़ीसा सरकार बस्तर वासियों के साथ छल कर रही है. ऐसे में अगर जल्द से जल्द इस पर राज्य सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया जाता है तो इंद्रावती नदी में जल संकट का खतरा तेजी से मंडराने लगेगा.

गठन से दूर होगी समस्या

वहीं मंच के सदस्यों ने उम्मीद जताई है कि इंद्रावती गठन के साथ ही अब जल्द ही इस जीवनदायिनी नदी को बचाने सरकार के तरफ से ठोस कदम उठाए जाएंगे. जिसका बस्तरवासी भी पूरा समर्थन करेंगे. मंच के सदस्यों ने उम्मीद जताई है कि जल्द से जल्द इस प्राधिकरण की पूरे सदस्यों का भी गठन कर लिया जाएगा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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