बस्तर: बस्तर संभाग में हुए आफत की बारिश से आम जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. बस्तर संभाग के सुकमा जिले के अंतिम छोर में 1986 के बाद इस साल रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई है. इस बारिश से कोंटा के 10 वार्ड डूब चुके हैं. इन वार्डो से लगभग 3000 ग्रामीणों को राहत शिविर केंद्र पहुंचाया गया है. दरअसल, छत्तीसगढ़ से लगे आंध्र प्रदेश में स्थित गोदावरी नदी का जलस्तर 70 फीट के पार कर गया है, जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ के नदी-नाले की स्थिति भयावह (Kawasi Lakhma took stock of flood affected areas in Bastar) है.
लखमा ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का लिया जायजा: कोंटा नगर पंचायत के 10 वार्डों के ग्रामीणों को कोंटा मुख्यालय में बने राहत शिविर केंद्रों तक पहुंचाया गया है. इस बीच प्रदेश के उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा बस्तर संभाग में हुए बारिश और बाढ़ का जायजा लेने के लिए हेलीकॉप्टर से पहुंचे. मंत्री कवासी लखमा पहले सुकमा जिले के कोंटा पहुंचे. ग्रामीणों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया. इसके अलावा मंत्री कवासी लखमा ने बस्तर संभाग में नक्सली मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बल के जवानों से भी मुलाकात की. लखमा हवाई मार्ग से जायजा लेते हुए दंतेवाड़ा के अलावा बीजापुर के अंतिम छोर भी पहुंचे.
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सीएम ने दिया है निर्देश: मंत्री कवासी लखमा ने कहा, "बस्तर के 3 जिलों में बाढ़ का कहर है, जिसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चिंतित है. उन्होंने मुझे निर्देश दिया है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लें. अधिकारियों के साथ इसकी समीक्षा करें और अंतिम व्यक्ति तक मदद पहुंचाये. बस्तर संभाग के सभी लोग मेरे परिवार हैं. इस आपदा के अवसर में मैं उनके साथ हूं. किसी को भी किसी तरह की कोई दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. हम हर संभव मदद पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन और मीडिया सभी बेहतर तरीके से राहत बचाव के काम में जुटी है. हम सब मिलकर इस मुसीबत की घड़ी को पार कर लेंगे."