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विश्व आदिवासी दिवसः सरकारी योजनाओं के लिए तरस रहा पल-पल मौत की ओर बढ़ता ये दिव्यांग

भटगांव के पुनिराम को कुदरत ने तो पैर दिया था, लेकिन बीमारी ने उसके पैर छीन लिए, जिसके बाद से पुनिराम बैसाखी के सहारे दर-दर की ठोकरे खा रहा है.

बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी
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Published : Aug 9, 2019, 9:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

बलौदाबाजार: वैसे कहने को तो आज विश्व आदिवासी दिवस है, जिसको लेकर देशभर में जश्न मनाया जा रहा है, आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं की बौछारें हो रही हैं. वहीं दूसरी ओर बलौदाबाजार के भटगांव में रहने वाले पुनिराम हाथों में बैसाखी थामे सरकार की योजनाओं की बाट जोह रहा है.

बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी
भटगांव के पुनिराम को कुदरत ने तो पैर दिया था, लेकिन बीमारी ने उसके पैर छीन लिए. तब से 47 वर्षीय पुनिराम बैसाखी के सहारे ही एक पैर पर चलते हैं. उसका अपना कोई परिवार नहीं है, भाई हैं तो वो अपने परिवार के साथ अलग रह रहे हैं, जिससे पिछले 10 साल से पुनिराम अपने किस्मत की मार झेल रहा है.

बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी

सरकार से नहीं मिली सुविधाएं
पुनिराम बताते हैं उनके पैर में 'हाथी पांव' बीमारी हो गयी थी, जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल गया जो शरीर को गलाने लगा. सही समय पर इलाज नहीं होने से पैर में कैंसर हो गया और पैर को काटना पड़ा. गांववालों ने पुनिराम की तंगहाली को देख कर उसकी मदद की, उसे बैसाखी दी, जिससे वो चल सके. लेकिन, सरकार ने इनके हाथ में कटोरा थमा दिया.

पढ़ें : जगदलपुर: जम्मू-कश्मीर पर सरकार के फैसले से लोग खुश

महीनों से नहीं मिला पेंशन
पुनिराम बताते हैं सरकार से मिलने वाला पेंशन ही एकमात्र सहारा है. लेकिन, सरकारी पेंशन भी पिछले कई महीने से नहीं मिला. अब पुनिराम की भूखे मरने की नौबत आ गई है.

बलौदाबाजार: वैसे कहने को तो आज विश्व आदिवासी दिवस है, जिसको लेकर देशभर में जश्न मनाया जा रहा है, आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं की बौछारें हो रही हैं. वहीं दूसरी ओर बलौदाबाजार के भटगांव में रहने वाले पुनिराम हाथों में बैसाखी थामे सरकार की योजनाओं की बाट जोह रहा है.

बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी
भटगांव के पुनिराम को कुदरत ने तो पैर दिया था, लेकिन बीमारी ने उसके पैर छीन लिए. तब से 47 वर्षीय पुनिराम बैसाखी के सहारे ही एक पैर पर चलते हैं. उसका अपना कोई परिवार नहीं है, भाई हैं तो वो अपने परिवार के साथ अलग रह रहे हैं, जिससे पिछले 10 साल से पुनिराम अपने किस्मत की मार झेल रहा है.

बैसाखी के सहारे कट रही जिंदगी

सरकार से नहीं मिली सुविधाएं
पुनिराम बताते हैं उनके पैर में 'हाथी पांव' बीमारी हो गयी थी, जो धीरे-धीरे कैंसर में बदल गया जो शरीर को गलाने लगा. सही समय पर इलाज नहीं होने से पैर में कैंसर हो गया और पैर को काटना पड़ा. गांववालों ने पुनिराम की तंगहाली को देख कर उसकी मदद की, उसे बैसाखी दी, जिससे वो चल सके. लेकिन, सरकार ने इनके हाथ में कटोरा थमा दिया.

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महीनों से नहीं मिला पेंशन
पुनिराम बताते हैं सरकार से मिलने वाला पेंशन ही एकमात्र सहारा है. लेकिन, सरकारी पेंशन भी पिछले कई महीने से नहीं मिला. अब पुनिराम की भूखे मरने की नौबत आ गई है.

Intro: बलौदाबाजार - आज विश्व आदिवासी दिवस है और आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं की लंबी फेहरिस्त है लेकिन क्या इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंदो को मिल पा रहा है ये एक बड़ा सवाल है,विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों के विकास के नाम पर गाथे गाये जाएंगे और तरह तरह के आयोजन सरकार के द्वारा भी की जाएगी लेकिन बलौदाबाजार जिले के भटगांव में आज हम आपको एक ऐसे विकलांग आदिवासी व्यक्ति के बारे में दिखाने जा रहे है जिनका इन योजनाओं से दूर दूर तक कोई नाता नहीं है।

Body:बैसाखी के सहारे एक पैर में चलते ये है भटगांव के 47 वर्षीय पुनिराम सिदार, पुनिराम सिदार का अपना कोई परिवार नहीं है,भाई है तो वो अपने परिवार के साथ अलग रहकर जीवन यापन कर रहे हैं,आज से दस साल पहले पुनिराम के पैर में हाथी पांव हो गया था,सही समय पर इलाज नहीं होने से इनके पैर में कैंसर हो गया और इनके पैर को काटना पड़ा,जब इनके पैर को काटा गया तब समाज के कुछ लोगों ने इनकी गरीबी और तंगहाली को देखते हुए कुछ मदद जरूर की लेकिन वो मदद भी चंद दिनों ले लिए ही थी,ऐसे में अगर पुनिराम को किसी से आस थी तो वो है सरकारी योजनाओं से..सरकारी योजनाओं से आस लिए बैठे पुनिराम को मदद के नाम पर अगर कुछ मिला तो वो था चंद किलो चावल और महीने का पेंशन,पुनिराम के पास आज जीवन यापन करने के लिए कोई रोजगार उपलब्ध नहीं है,जीवन यापन करने के लिए सरकार से मिलने वाला पेंशन ही एकमात्र सहारा है लेकिन सरकारी पेंशन भी पुनिराम को हर महीने नहीं मिल पाता,हर महीने पेंशन नहीं मिल पाने की स्थिति में पुनिराम के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाती है, आज विश्व आदिवासी दिवस है और पुनिराम को पिछले 6 महीनों से पेंशन नहीं मिल पाया है अब आप खुद ही ये अंदाजा लगाइए कि सरकारी योजनाओं को लेकर ढोल तो खूब पीटा जाता है लेकिन वास्तविक में इन योजनाओं की स्थिति कैसी है, पुनिराम को देखकर सहसा ही मन में ये सवाल उठता है कि ये कैसा आदिवासी दिवस है जिसमें जरूरतमंदों को तो योजनाओं का लाभ नहीं लेकिन इनके विकास के गाथा गाने के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिए जाते है।

Conclusion:बाइट 01 - पुनिराम सिदार - पीड़ित

बाइट 02 - सहदेव सिदार - प्रदेश युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष सावरा समाज
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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