बस्तर: छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्र का नाम सुनते ही जहन में सबसे पहले बस्तर का खयाल आता है, लेकिन जल्द ही जिले की धरती अब बारूद के गंध से नहीं, बल्कि बस्तर की कॉफी से महकेगी. जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र दरभा (coffee production in Naxalite affected area Darbha) में किसानों ने प्रायोगिक तौर पर अपनी जमीन पर कॉफी प्लांटेशन किया था. जिसकी सफलता के बाद अब जिला प्रशासन बस्तानार विकासखंड के डिलमिली इलाके में लगभग 100 एकड़ (coffee production in Dilmili) जमीन पर कॉफी का प्लांटेशन कराने जा रहा है.
इस इलाके के करीब 40 किसानों ने अपनी-अपनी जमीन पर कॉफी के प्लांटेशन के लिए सहमति दे दी है. इस मुहिम से न सिर्फ यहां के किसानों को फायदा पहुंचेगा, बल्कि बस्तर में बड़ी मात्रा में कॉफी उत्पादन कर इसे देश-विदेशों में निर्यात किया जा सकेगा. इधर जिला प्रशासन ने उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर डिलमिली के किसानों की बंजर भूमि पर ढाई करोड़ की लागत से कॉफी प्लांटेशन का काम शुरू कर दिया है.
डिलमिली की 100 एकड़ जमीन पर किया जाएगा कॉफी प्लांटेशन
दरअसल 4 साल पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र दरभा के लगभग 20 एकड़ जमीन पर कॉफी की खेती की गई. जिसमें सफतला मिलने के बाद जिला प्रशासन ने कॉफी प्लांटेशन को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को अपने खेत में कॉफी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके लिए प्रशासन ने डिलमिली क्षेत्र के 40 किसानों को ट्रेनिंग दी. इन किसानों ने भी अपनी लगभग 100 एकड़ जमीन पर कॉफी प्लांटेशन करने के लिए सहमति जताई. इसमें से कुछ जमीन बंजर पड़ी थी, वहीं कुछ जमीनों पर किसानों ने नीलगिरी के पेड़ लगा रखे थे. जिसमें आधे से ज्यादा किसानों ने इसे कटवा दिया. जिसके बाद अब पूरी 100 एकड़ जमीन कॉफी प्लांटेशन के लिए तैयार की जा रही है.
ढाई करोड़ की लागत से होगी कॉफी की खेती
जिला प्रशासन करीब ढाई करोड़ रुपए कॉफी प्लांटेशन (2.5 crore rupees will be spent for coffee plantation) के लिए खर्च करेंगे. बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ( Bastar collector Rajat Bansal) का कहना है कि इससे पहले दरभा में 20 एकड़ में कॉफी के पौधे रोपे गए थे. जिनकी गुणवत्ता की जांच के बाद बस्तर कॉफी के नाम से इसे स्थानीय बाजार में उतारा गया था. जहां प्रदेश में लोगों ने इसे काफी पसंद किया. बस्तर कॉफी के प्रचलित होने के बाद मार्केट में इसकी डिमांड भी बढ़ने लगी. जिसे देखते हुए जिला प्रशासन कॉफी की खेती के लिए दरभा की तरह ही पहाड़ी जमीन तलाश रहे थे.
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हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी खेती
बस्तर का डिलमिली इलाका पूरी तरह से कॉफी प्लांटेशन के लिए उपयुक्त पाया गया, जिसके बाद वहां के किसानों को भरोसे में लेते हुए ट्रेनिंग दी गई, साथ ही उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिकों की मदद से काम भी शुरू कर दिया गया. कलेक्टर का कहना है कि डिलमिली में किसानों को कॉफी प्लांटेशन का काफी फायदा मिलेगा. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी, साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा. ये किसान बस्तर में धान के साथ कॉफी की खेती कर अन्य किसानों के सामने एक मिसाल पेश करेंगे.
अरेबिका और रॉबस्टा किस्म की कॉफी का होगा प्लांटेशन
कलेक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि डिलमिली की इस 100 एकड़ पहाड़ी जमीन पर लगभग एक लाख अरेबिका और रॉबस्टा किस्म की कॉफी (Arabica and robusta coffees will be planted) के पौधे लगाए जाएंगे, जिसकी तैयारी कर ली गई है. कलेक्टर ने बताया कि प्लांटेशन करने के बाद आने वाले 3 सालों तक उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिकों (Horticulture college scientists) की निगरानी में इसकी देखरेख की जाएगी. इसके बाद इसे किसानों को सौंप दिया जाएगा.
किसानों की होगी हर साल 40 से 50 हजार रु/एकड़ आमदनी
बस्तर की भौगोलिक परिस्थिति और मौसम कॉफी की फसल के लिए काफी अनुकूल है. इसके बेहतर उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए कॉफी के पौधे बेंगलुरु और चेन्नई से मंगाए जा रहे हैं, जो कम समय में यहां पर आसानी से तैयार हो जाएंगे. कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि किसानों को कॉफी की खेती करने के लिए समझाइश देने के साथ ही उन्हें प्रोत्साहित भी किया गया है. क्षेत्र के किसान जिला प्रशासन की बात को समझते हुए अपनी पहाड़ी जमीन पर कॉफी के खेती के लिए तैयार हो गए. उन्हें आने वाले समय में बड़े पैमाने पर इसका लाभ मिलेगा. बस्तर कलेक्टर ने बताया कि कॉफी की उन्नत नस्ल के पौधे होने से इसका उत्पादन प्रति एकड़ 10 क्विंटल होगा. जिससे किसानों को हर साल 40 से 50 हजार रु प्रति एकड़ आमदनी हो सकती है.
40 किसानों के सौ एकड़ जमीन पर कॉफी प्लांटेशन का काम शुरू
हॉर्टिकल्चर कॉलेज के वैज्ञानिकों का मानना है कि बस्तर जिले के दरभा से लेकर ककनार कॉलेंग, डिलमिली और ऐसे दर्जनों इलाके हैं, जो पहाड़ी क्षेत्र हैं. जहां आसानी से कॉफी की खेती की जा सकती है. दरभा में 20 एकड़ में कॉफी के प्लांटेशन को भारी सफलता मिलने के बाद अब जिला प्रशासन और उद्यानिकी कॉलेज के वैज्ञानिक पूरी तरह से बस्तर जिले के पहाड़ी इलाकों में ज्यादा से ज्यादा कॉफी का प्लांटेशन कर पाएं, इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने में लगे हुए हैं. फिलहाल वर्तमान में डिलमिली में 40 किसानों की 100 एकड़ जमीन पर कॉफी प्लांटेशन का काम शुरू कर दिया गया है.