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बस्तर: चाइनीज झालर ने फीकी की कुम्हारों की दिवाली, बारिश ने भी किया मायूस - बस्तर

बस्तर में दीये विक्रेताओं को बारिश और चाइनीज झालरों की वजह से निराश होना पड़ रहा है.

बारिश ने बढ़ाई दीया विक्रेताओं की मुश्किले
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Published : Oct 26, 2019, 5:25 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर : दीपों के पर्व दीपावली की बस्तर में भी धूमधाम से तैयारी चल रही है. सभी इस पर्व को धूमधाम से मनाने की तैयारी में लगे हुए हैं. लेकिन, बस्तर में बदले मौसम की वजह से व्यापारियों और छोटे ग्रामीण विक्रेताओं में मायूसी छाई हुई है. वहीं दूसरी तरफ मार्केट में आए चीन की झालरों ने दीये की डिमांड को फीका कर दिया है. मिट्टी और गोबर के दीये खरीदने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संदेश का भी बस्तर में कुछ खास असर नहीं दिख रहा है.

चाइनीज झालर ने फीकी की कुम्हारों की दिवाली, बारिश ने भी किया मायूस

मिट्टी के दीये बेचने आए ग्रामीण विक्रेताओं का कहना है कि मिट्टी के दीये बनाने में उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन, वर्तमान में हालात कुछ ऐसे हैं कि उनको मेहनताना भी नहीं मिल रहा, मुनाफा तो दूर की बात है.

बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें

विक्रेताओं का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल दीये की डिमांड काफी कम है. बस्तर में हो रही बारिश से वे परेशान हैं .वहीं दूसरी तरफ शहर में बिक रहे चाइनीज झालरों की वजह से दीये के बाजार सूने पड़े हैं. लेकिन विक्रेताओं का कहना है कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी दिए बनाते आ रहे हैं. वे हर साल इसी उम्मीद से आते हैं कि उनके दीये बिकेंगे और उनका घर चल पाएगा.

पढें :5 लाख 51 हजार दीपों से जगमगाया अयोध्या

'दीपावली में मिट्टी के दीये का अलग महत्व'

मुख्यमंत्री ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को मिट्टी के दिये लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा. जिसके बाद कलेक्टर ने सोशल मीडिया के माध्यम से दीपावली में मिट्टी के दिए उपयोग करने का संदेश जारी किया था. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि दीपावली में मिट्टी के दीये का अलग ही महत्व होता है और इसका पारंपरिक महत्व भी है.

जगदलपुर : दीपों के पर्व दीपावली की बस्तर में भी धूमधाम से तैयारी चल रही है. सभी इस पर्व को धूमधाम से मनाने की तैयारी में लगे हुए हैं. लेकिन, बस्तर में बदले मौसम की वजह से व्यापारियों और छोटे ग्रामीण विक्रेताओं में मायूसी छाई हुई है. वहीं दूसरी तरफ मार्केट में आए चीन की झालरों ने दीये की डिमांड को फीका कर दिया है. मिट्टी और गोबर के दीये खरीदने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संदेश का भी बस्तर में कुछ खास असर नहीं दिख रहा है.

चाइनीज झालर ने फीकी की कुम्हारों की दिवाली, बारिश ने भी किया मायूस

मिट्टी के दीये बेचने आए ग्रामीण विक्रेताओं का कहना है कि मिट्टी के दीये बनाने में उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन, वर्तमान में हालात कुछ ऐसे हैं कि उनको मेहनताना भी नहीं मिल रहा, मुनाफा तो दूर की बात है.

बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें

विक्रेताओं का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल दीये की डिमांड काफी कम है. बस्तर में हो रही बारिश से वे परेशान हैं .वहीं दूसरी तरफ शहर में बिक रहे चाइनीज झालरों की वजह से दीये के बाजार सूने पड़े हैं. लेकिन विक्रेताओं का कहना है कि वे पीढ़ी दर पीढ़ी दिए बनाते आ रहे हैं. वे हर साल इसी उम्मीद से आते हैं कि उनके दीये बिकेंगे और उनका घर चल पाएगा.

पढें :5 लाख 51 हजार दीपों से जगमगाया अयोध्या

'दीपावली में मिट्टी के दीये का अलग महत्व'

मुख्यमंत्री ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों को मिट्टी के दिये लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा. जिसके बाद कलेक्टर ने सोशल मीडिया के माध्यम से दीपावली में मिट्टी के दिए उपयोग करने का संदेश जारी किया था. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि दीपावली में मिट्टी के दीये का अलग ही महत्व होता है और इसका पारंपरिक महत्व भी है.

Intro:जगदलपुर । दीपों के पर्व दीपावली की बस्तर में भी धूमधाम से तैयारी चल रही है। सभी लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाने के लिए इसकी तैयारी में लगे हुए हैं। लेकिन एक तरफ जहां बस्तर में बदले मौसम की वजह से व्यापारियों और छोटे ग्रामीण विक्रेताओं में मायूसी छाई हुई है। वहीं दूसरी तरफ मार्केट में आए चाइनीस झालरों ने दिए की डिमांड को फीका कर दिया है। वही मिट्टी और गोबर के दिए खरीदने प्रदेश के मुख्यमंत्री के संदेश का भी बस्तर में कुछ खास असर नहीं दिख रहा है।


Body: बस्तर के दूरदराज ग्रामीण अंचलों से मिट्टी के दिए बेचने आए ग्रामीण विक्रेताओं का कहना है कि मिट्टी के दिए बनाने में उन्हें मेहनत करना पड़ता है। मिट्टी खोदने के साथ ही दीए बनाने के लिए कई क्रम से गुजरना पड़ता है। तब जाकर यह दिए तैयार होते हैं। लेकिन वर्तमान में स्थिति यह है कि उनके मेहनताना का भी फल नहीं मिल पाता मुनाफा तो दूर की बात है । विक्रेताओं का कहना है कि पिछले सालों की तुलना में इस साल दिए की डिमांड काफी कम है। एक तरफ जहां बस्तर में हो रही बारिश ने उनके रोजी में अत्यधिक फर्क डाला है । वहीं दूसरी तरफ शहर में बिक रहे चाइनीज झालरों की वजह से दीए के बाजार सूने पड़े हैं। विक्रेताओं का कहना है कि जितना लागत उन्हें इन दियो को बनाने में लगता है। वह लागत भी बमुश्किल निकल पाता है। लेकिन वे पीढ़ी दर पीढ़ी दिए बनाते आ रहे हैं। इस वजह से वे हर साल इसी उम्मीद से आते हैं कि उनके दिए बिकेंगे और उनका घर चल पाएगा।


Conclusion:इधर राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के संदेश का बस्तर में कुछ खास असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। दरअसल मुख्यमंत्री ने सभी प्रशासनिक बड़े अधिकारियों को मिट्टी के दिए लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा। जिसके बाद जिलो के कुछ कलेक्टर ने सोशल मीडिया के माध्यम से दीपावली में मिट्टी के दिए उपयोग करें यह संदेश भी जारी किया था। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि दीपावली में मिट्टी के दीए का अलग ही महत्व होता है। और इसका पारंपरिक महत्व भी है । लेकिन उनका कहना है कि पहले की तुलना में अब दिए कम ही लोग लेना पसंद करते है। क्योंकि मार्किट में आये तरह तरह के चाइनीस झालरों ने दिए की डिमांड घटा दी है।

बाईट-राजेश नाग, दिया विक्रेता

बाईट2-दिलीप सिंह, स्थानीय
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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