बस्तर: बस्तर कांग्रेस में चुनावी घमासान और अंतर्कलह की तस्वीरें सामने आई है. दिल्ली से पहुंचे कांग्रेस के पर्यवेक्षक श्रीवेल्ला प्रसाद के सामने कांग्रेस के नेता आपस में उलझते और नारेबाजी करते दिखे. यहां जगदलपुर के राजीव भवन में कांग्रेस के बीच प्रत्याशियों और टिकट बंटवारे को लेकर अंतर्कलह देखने को मिला. यहां जगदलपुर विधायक रेखचंद जैन, इंद्रावती विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष राजीव शर्मा और राजमन वेंजाम को लेकर नारेबाजी शुरू हो गई. गहमागहमी का माहौल करीब 20 मिनट तक जारी रहा. इस हंगामे को कांग्रेस पर्यवेक्षक श्रीवेल्ला प्रसाद चुपचाप देखते रहे. कांग्रेसियों को चुप कराने की कोशिश की गई. लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिल पाई. यह हंगामा जारी रहा.
बस्तर कांग्रेस में बवाल (Infighting In Bastar Congress ): बस्तर कांग्रेस में बवाल की यह तस्वीर देख कांग्रेस के आला नेता मायूस हो गए. यहां दो गुटों में बस्तर कांग्रेस में नारेबाजी होती रही. कांग्रेस कार्यकर्ता एक तरफ रेखचंद जैन और एक तरफ राजीव शर्मा को लेकर नारेबाजी करते दिखे. तीसरा गुट राजमन बेंजाम के समर्थन में नारे लगाता रहा. गनीमत रही इस दौरान कि यह गहमागहमी बवाल में तब्दील नहीं हुई. नहीं तो हालात और बिगड़ सकते थे.
हंगामे पर बोलने से बचते दिखे कांग्रेस के बड़े नेता: इस घटना पर कैमरे के सामने कांग्रेस के नेता कुछ भी कहने से बचते नजर आए. लेकिन कांग्रेस नेताओं के बीच किचकिच के इस माहौल से पार्टी की फजीहत हुई. संगठन के कार्यक्रम को देखते हुए शहर जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य ने सभी को शांत कराने की कोशिश की. लेकिन कांग्रेसी नेता एक नहीं सुनने को तैयार थे. फिर कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य ने कांग्रेस माइक पर कांग्रेस के पक्ष में नारेबाजी की. फिर उसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को शांत कराया गया.
"कोई किसी का नारा यहां नहीं लगाएगा. जिसको जो बातें बोलनी है वे अपनी बात रखेंगे. यह संगठन का कार्यक्रम है. नारेबाजी का नहीं है. पर्यवेक्षक श्रीवेल्ला जी ने सभी का नारा सुन लिया है. रेखचंद जैन जी का सुन लिया है, और राजीव शर्मा जी का भी सुन लिया है. साथ ही राजमन वेंजाम का भी नारा सुन लिया है. जितने दावेदार हैं सभी का सुन लिया गया है": सुशील मौर्य, कांग्रेस जिलाध्यक्ष
बस्तर कांग्रेस में हंगामे से पार्टी की हुई किरकिरी: बस्तर कांग्रेस में अंदरुनी बवाल छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए अच्छी बात नहीं है. ऐसा माना जाता है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सत्ता की चाबी बस्तर से ही मिलती है. ऐसे में अगर जल्द ही बस्तर में कांग्रेस अपने अंदरुनी कलह पर काबू नहीं पाती है तो यह पार्टी के लिए ठीक नहीं होगा.