बस्तर: नक्सली राजनीतिक दलों को अपने प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में अभियान नहीं चलाने देते हैं. पिछले छह महीनों में विद्रोहियों ने बस्तर क्षेत्र में कथित तौर पर चार भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी है. जिसके बाद भगवा पार्टी ने इसे टारगेट किलिंग करार देकर कांग्रेस पर हमला किया. जबकि राज्य सरकार ने आरोपों का खंडन किया.
बस्तर में सुरक्षा की पुख्ता तैयारी: हालांकि बस्तर में पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि पिछले चुनावों की तुलना में राजनीतिक हत्याओं में गिरावट देखी गई है. वे सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं. भाजपा नेताओं ने दावा किया कि उन्हें अपनी जान जोखिम में डालकर चुनाव प्रचार के लिए बाहर आना होगा.
बस्तर में टारगेट किलिंग पर राजनीति: इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने बातचीत शुरू की है. लेकिन प्रतिबंधित संगठन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. जगदलपुर में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता केदार कश्यप ने कहा कि टारगेट किलिंग के लिए कुछ हद तक राज्य की कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है.
कांग्रेस नेताओं पर नक्सलियों से सांठगांठ का आरोप: बस्तर में कांग्रेस नेताओं के आंदोलन पर सवाल उठाते हुए, कश्यप ने कहा कि सत्तारूढ़ दल के विधायक बिना किसी सुरक्षा के आंतरिक क्षेत्रों में खुलेआम जाते हैं. कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए, कश्यप ने कहा, 'यह रिश्ता क्या कहलाता है' इस बारे में चिंता करने की जरूरत है. हम चुनाव अभियानों में कभी पीछे नहीं रहे हैं और हम पहले भी लड़ते हुए (सत्ता में) आए हैं और भविष्य में भी लड़ते रहेंगे.
''वे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते हैं तो वे विरोध करेंगे. लोगों ने मुझसे पूछा कि क्या मैं नक्सलियों से बात करूंगा. नक्सलियों को संविधान में विश्वास है तो बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं है. इस मामले में नक्सलियों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.''- भूपेश बघेल, सीएम
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने कहा, "यह प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) की कार्यप्रणाली है कि वे हमेशा लोकतंत्र के खिलाफ साजिश रचते हैं और इस साजिश के तहत वे जन प्रतिनिधियों और राजनेताओं पर हमला करते हैं."
"अगर 2013 और 2018 की समीक्षा की जाएगी, तो नक्सलियों ने राजनीतिक दलों से जुड़े 41 लोगों की हत्या कर दी है और इन घटनाओं में झीरम हमला भी शामिल है., 2019 की तुलना में 2023 में उग्रवादियों ने 12 घटनाओं को अंजाम दिया है. हमारा प्रयास भविष्य में ऐसी घटनाओं को नियंत्रित करना और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करना है ताकि राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया जा सके."- सुंदरराज पी, आईजी बस्तर
चुनावी दस्तक के बीच बस्तर की राजनीति अलग तरीके से करवट लेती है. यहां चुनाव में हिंसा का सिलसिला चुनाव दर चुनाव जारी रहा है. लेकिन इस हिंसा में कमी का दावा सुरक्षाबल के जवान कर रहे हैं.