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VIDEO: पाटजात्रा की रस्म के साथ शुरू हुआ बस्तर दशहरा, देखिए रस्म के रंग

विश्व प्रसिध्द ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की शुरुआत आज यानी गुरुवार को हरेली अमावस्या के दिन पाटजात्रा पूजा विधि-विधान के साथ हो गई है. इस विधान के बाद बस्तर दशहरे में चलने वाले दुमंजिले काष्ठ (लकड़ी से बनी रथ) रथ के निर्माण के लिए जंगल से लकड़ियां लाने का क्रम शुरू हो जाएगा.

बस्तर दशहरे
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Published : Aug 1, 2019, 10:29 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: बस्तर सांस्कृतिक रंगों से भरा है, बस्तर दशहरा का त्योहार माई दंतेश्वरी की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है. 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है. विशालकाय रथ निर्माण के लिए साल की लकड़ी से हथौड़े और चक्के तैयार किए जाते हैं, उसे ठुरलू खोटला कहा जाता है.

पाटजात्रा की रस्म के साथ शुरू हुआ बस्तर दशहरा

विश्व प्रसिध्द ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की शुरुआत आज यानी गुरुवार को हरेली अमावस्या के दिन पाटजात्रा पूजा विधि-विधान के साथ हो गई है. इस विधान के बाद बस्तर दशहरे में चलने वाले दुमंजिले काष्ठ (लकड़ी से बनी रथ) रथ के निर्माण के लिए जंगल से लकड़ियां लाने का क्रम शुरू हो जाएगा. परंपरानुसार गांव बिलोरी के ग्रामीणों ने साल की लकड़ी लेकर जगदलपुर पहुंचे, जहां इसी लकड़ी से रथ बनाने के बड़े हथौड़े और चक्के का निर्माण किया जाता है.

मां दंतेश्वरी को बकरे की बली का प्रसाद
जिसके बाद विधि-विधान से मांई दंतेश्वरी मंदिर के सामने पूजा-अर्चना करने के बाद बकरा और मोंगरी मछली की बलि देकर माई को प्रसाद के स्वरूप में चढ़ाया जाता है.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ी नृत्य ने बांधा समां, अखाड़े के पहलवानों ने दर्शकों को किया रोमांचित

बस्तर सांसद रहे पूजा में मौजूद
रथ निर्माण करने वाले कारीगर, खाता पुजारी और दशहरा पर्व से जुड़े मांझी-चालकी के कार्यक्रम में बस्तर सांसद दीपक बैज, प्रदेश स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम मौजूद रहे.

जगदलपुर: बस्तर सांस्कृतिक रंगों से भरा है, बस्तर दशहरा का त्योहार माई दंतेश्वरी की सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है. 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है. विशालकाय रथ निर्माण के लिए साल की लकड़ी से हथौड़े और चक्के तैयार किए जाते हैं, उसे ठुरलू खोटला कहा जाता है.

पाटजात्रा की रस्म के साथ शुरू हुआ बस्तर दशहरा

विश्व प्रसिध्द ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की शुरुआत आज यानी गुरुवार को हरेली अमावस्या के दिन पाटजात्रा पूजा विधि-विधान के साथ हो गई है. इस विधान के बाद बस्तर दशहरे में चलने वाले दुमंजिले काष्ठ (लकड़ी से बनी रथ) रथ के निर्माण के लिए जंगल से लकड़ियां लाने का क्रम शुरू हो जाएगा. परंपरानुसार गांव बिलोरी के ग्रामीणों ने साल की लकड़ी लेकर जगदलपुर पहुंचे, जहां इसी लकड़ी से रथ बनाने के बड़े हथौड़े और चक्के का निर्माण किया जाता है.

मां दंतेश्वरी को बकरे की बली का प्रसाद
जिसके बाद विधि-विधान से मांई दंतेश्वरी मंदिर के सामने पूजा-अर्चना करने के बाद बकरा और मोंगरी मछली की बलि देकर माई को प्रसाद के स्वरूप में चढ़ाया जाता है.

पढ़ें- छत्तीसगढ़ी नृत्य ने बांधा समां, अखाड़े के पहलवानों ने दर्शकों को किया रोमांचित

बस्तर सांसद रहे पूजा में मौजूद
रथ निर्माण करने वाले कारीगर, खाता पुजारी और दशहरा पर्व से जुड़े मांझी-चालकी के कार्यक्रम में बस्तर सांसद दीपक बैज, प्रदेश स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय टेकाम मौजूद रहे.

Intro:जगदलपुर। विश्व प्रसिध्द ऐतिहासिक बस्तर दशहरे की शुरूआत आज गुरूवार को हरेली अमावस्या के दिन पाटजात्रा पूजा विधान के साथ हुई, विधि-विधान से मांई दंतेश्वरी मंदिर के सामने पूजा-अर्चना करने के पश्चात बकरा और मोंगरी मछली की बलि देकर मांई को प्रसाद स्वरूप चढ़ाया गया। परंपरानुसार विशेष गांव बिलोरी के ग्रामीण साल की लकड़ी लेकर जगदलपुर पहुंचे, दरअसल इसी लकड़ी से रथ बनाने के बड़े हथौड़े और चक्के का निर्माण किया जाता है।



Body:रथ निर्माण करने वाले कारीगर, खाता पुजारी और दशहरा पर्व से जुड़े मांझी-चालकी व प्रदेश स्कूल शिक्षा मंत्री व बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री प्रेमसाय टेकाम,बस्तर सांसद दीपक बैज, जगदलपुर विधायक व स्थानीय जनप्रतिनीधियों और मांई दंतेश्वरी के सेवादारों की उपस्थिति में पूरा विधान संपन्न हुआ।
Conclusion: 75 दिनो तक चलने वाले दशहरा पर्व की शुरूआत आज पाट जात्रा रस्म के साथ शुरू हो चुकी है, विशालकाय रथ निर्माण के लिए जिस लकड़ी से हथौड़े और चक्के तैयार किए जाते हैं, उसे ठुरलू खोटला कहा जाता है। जिसे विशेष गांव बिलोरी से आज जगदलपुर के दंतेश्वरी मंदिर प्रागंण मे लाकर विधि विधान से पूजा अर्चना किया गया, इस विधान के पश्चात बस्तर दशहरे में चलने वाले दुमंजिले काष्ठ (लकडी से बनी रथ) रथ के निर्माण के लिए जंगल से लकडिय़ां लाने का क्रम शुरू हो जाएगा। रथ निर्माण के दौरान ठुरलू खोटला का उपयोग किया जाता है। हरेली अमावस्या के दिन यह रस्म अदायगी के साथ ही बस्तर मे दशहरा पर्व की शुरूआत हो चुकी है।विश्व प्रसिध्द यह पर्व पूरे 75 दिनों तक चलता है।

बाईट1- दीपक बैज, सांसद बस्तर

बाईट2- जमुना, मांझी, दशहरा समिति

बाईट2- अनुप मिश्रा, सदस्य टेपंल कमेटी

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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