बस्तर: छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा अपने रंग, संस्कृति और महत्व के लिए दुनियाभर में मशहूर है. बस्तर का दशहरा दुनिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला लोक पर्व माना जाता है. अपनी अनोखी संस्कृति की वजह से बस्तर हमेशा सबका ध्यान अपनी तरफ खींचता है और दशहरे के दौरान तो यहां के अद्भुत रंग देखने को मिलते हैं.
हरेली के अमावस्या पाटजात्रा की रस्म के साथ बस्तर दशहरे की शुरुआत हो जाएगी. 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है. हरेली अमावस्या के दिन शहर के दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में पाटजात्रा की रस्म अदायगी की जाती है.
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रस्मों के बारे में जानिए-
- परंपरा के मुताबिक इस रस्म में बिंरिगपाल गांव से दशहरा पर्व के रथ के निर्माण के लिए लकड़ी लाई जाती है.
- पुजारियों द्वारा विधि-विधान से पूजा करने के बाद रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है.
- विश्व प्रसिध्द दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है.
- इस रस्म मे रथ निर्माण के लिए परंपरा के मुताबिक बिंरिगपाल ग्राम से लकड़ी लाई जाती है, जिससे रथ का चक्के का निर्माण किया जाता है.
- हरेली अमावस्या के दिन विधि-विधान से पूजा के पश्चात बकरे की बलि औरमुगंरी मछली की बलि दी जाती है, जिसके बाद इसी लकड़ी से दशहरा पर्व के विशाल रथ का निर्माण किया जाता है.
- छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है.
- कहा जाता है कि बस्तर के लोग 600 साल से ये लोकपर्व मनाते आ रहे हैं.
- बस्तर दशहरे के दौरान रावण दहन नहीं किया जाता है.
- बस्तर का दशहरा यहां का आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की आराधना से जुड़ा हुआ है.
- बस्तर दशहरे पर छत्तीसगढ़ में रहने वाला हर व्यक्ति गर्व करता है.
- ETV भारत आप तक बस्तर दशहरे से जुड़ी हर रस्म की तस्वीरें और जानकारी पहुंचाएगा.