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VIDEO: पाटजात्रा के साथ शुरू हुआ दुनिया का सबसे बड़ा लोकपर्व बस्तर दशहरा

हरेली के अमावस्या पाटजात्रा की रस्म के साथ बस्तर दशहरे की शुरुआत हो गई है. 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है. हरेली अमावस्या के दिन शहर के दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में पाटजात्रा की रस्म अदायगी की जाती है.

बस्तर दशहरे की तैयारी शुरू
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Published : Aug 1, 2019, 12:03 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

बस्तर: छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा अपने रंग, संस्कृति और महत्व के लिए दुनियाभर में मशहूर है. बस्तर का दशहरा दुनिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला लोक पर्व माना जाता है. अपनी अनोखी संस्कृति की वजह से बस्तर हमेशा सबका ध्यान अपनी तरफ खींचता है और दशहरे के दौरान तो यहां के अद्भुत रंग देखने को मिलते हैं.

पाटजात्रा के साथ शुरू होगा दुनिया का सबसे बड़ा लोकपर्व बस्तर दशहरा

हरेली के अमावस्या पाटजात्रा की रस्म के साथ बस्तर दशहरे की शुरुआत हो जाएगी. 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है. हरेली अमावस्या के दिन शहर के दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में पाटजात्रा की रस्म अदायगी की जाती है.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ का मैन मेड जंगल सफारी, यहीं हुई थी PM मोदी की टाइगर से 'यारी'

रस्मों के बारे में जानिए-

  • परंपरा के मुताबिक इस रस्म में बिंरिगपाल गांव से दशहरा पर्व के रथ के निर्माण के लिए लकड़ी लाई जाती है.
  • पुजारियों द्वारा विधि-विधान से पूजा करने के बाद रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है.
  • विश्व प्रसिध्द दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है.
  • इस रस्म मे रथ निर्माण के लिए परंपरा के मुताबिक बिंरिगपाल ग्राम से लकड़ी लाई जाती है, जिससे रथ का चक्के का निर्माण किया जाता है.
  • हरेली अमावस्या के दिन विधि-विधान से पूजा के पश्चात बकरे की बलि औरमुगंरी मछली की बलि दी जाती है, जिसके बाद इसी लकड़ी से दशहरा पर्व के विशाल रथ का निर्माण किया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है.
  • कहा जाता है कि बस्तर के लोग 600 साल से ये लोकपर्व मनाते आ रहे हैं.
  • बस्तर दशहरे के दौरान रावण दहन नहीं किया जाता है.
  • बस्तर का दशहरा यहां का आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की आराधना से जुड़ा हुआ है.
  • बस्तर दशहरे पर छत्तीसगढ़ में रहने वाला हर व्यक्ति गर्व करता है.
  • ETV भारत आप तक बस्तर दशहरे से जुड़ी हर रस्म की तस्वीरें और जानकारी पहुंचाएगा.

बस्तर: छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा अपने रंग, संस्कृति और महत्व के लिए दुनियाभर में मशहूर है. बस्तर का दशहरा दुनिया का सबसे लंबे समय तक चलने वाला लोक पर्व माना जाता है. अपनी अनोखी संस्कृति की वजह से बस्तर हमेशा सबका ध्यान अपनी तरफ खींचता है और दशहरे के दौरान तो यहां के अद्भुत रंग देखने को मिलते हैं.

पाटजात्रा के साथ शुरू होगा दुनिया का सबसे बड़ा लोकपर्व बस्तर दशहरा

हरेली के अमावस्या पाटजात्रा की रस्म के साथ बस्तर दशहरे की शुरुआत हो जाएगी. 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है. हरेली अमावस्या के दिन शहर के दंतेश्वरी मंदिर के प्रांगण में पाटजात्रा की रस्म अदायगी की जाती है.

पढ़ें- SPECIAL: छत्तीसगढ़ का मैन मेड जंगल सफारी, यहीं हुई थी PM मोदी की टाइगर से 'यारी'

रस्मों के बारे में जानिए-

  • परंपरा के मुताबिक इस रस्म में बिंरिगपाल गांव से दशहरा पर्व के रथ के निर्माण के लिए लकड़ी लाई जाती है.
  • पुजारियों द्वारा विधि-विधान से पूजा करने के बाद रथ निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है.
  • विश्व प्रसिध्द दशहरा पर्व की शुरुआत पाटजात्रा रस्म के साथ होती है.
  • इस रस्म मे रथ निर्माण के लिए परंपरा के मुताबिक बिंरिगपाल ग्राम से लकड़ी लाई जाती है, जिससे रथ का चक्के का निर्माण किया जाता है.
  • हरेली अमावस्या के दिन विधि-विधान से पूजा के पश्चात बकरे की बलि औरमुगंरी मछली की बलि दी जाती है, जिसके बाद इसी लकड़ी से दशहरा पर्व के विशाल रथ का निर्माण किया जाता है.
  • छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा 75 दिनों तक मनाया जाता है.
  • कहा जाता है कि बस्तर के लोग 600 साल से ये लोकपर्व मनाते आ रहे हैं.
  • बस्तर दशहरे के दौरान रावण दहन नहीं किया जाता है.
  • बस्तर का दशहरा यहां का आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की आराधना से जुड़ा हुआ है.
  • बस्तर दशहरे पर छत्तीसगढ़ में रहने वाला हर व्यक्ति गर्व करता है.
  • ETV भारत आप तक बस्तर दशहरे से जुड़ी हर रस्म की तस्वीरें और जानकारी पहुंचाएगा.
Intro:बस्तर मे 75 दिनो तक चलने वाली विश्व प्रसिध्द दशहरा पर्व की
पाटजात्रा रस्म के साथ शुरूआत होती है। हरेली अमावस्या के दिन शहर के दंतेश्वरी मंदिर के
प्रांगण मे पाटजात्रा की रस्म अदायगी की जाती है। पंरपरानुसार इस रस्म मे
बिंरिगपाल गांव से दशहरा पर्व के ऱथ निर्माण के लिए लकडी लाया जाता है,
और पुजारियो द्वारा विधि विधान से पूजा करने के पश्चात रथ निर्माण का
कार्य आंरभ किया जाता है।


Body: बस्तर मे एतिहासिक विश्व प्रसिध्द दशहरा पर्व की पहली पाटजात्रा
की रस्म अदायगी कल की जायेगी। इस रस्म मे रथ निर्माण के लिए पंरपरानुसार
बिंरिगपाल ग्राम से लकडी लाई जाती है, जिससे रथ का चक्के का निर्माण किया
जाता है, हरेली अमावस्या के दिन विधि विधान से पूजा के पश्चात बकरे की बलि और
मुगंरी मछली की बलि दी जाती है, जिसके बाद इसी लकडी से दशहरा पर्व की
विशाल रथ का निर्माण किया जाता है।


Conclusion: हरेली के अमावस्या के दिन यह रस्म अदायगी के साथ बस्तर मे
दशहरा पर्व की शुरूआत होती है, 75 दिनो तक चलने वाले इस पर्व मे इस
रस्म के पश्चात इस लकडी से रथ निर्माण का कार्य प्रांरभ किया जाता है।
कल 1 अगस्त को इस पाटजात्रा रस्म अदायगी की जायेगी।

बाईट1- राजकुमार मंडावी , मांझी दशहरा पर्व समिति

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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