जगदलपुर: बस्तर में मानसून की दस्तक के साथ ही ऐसे लोगों की परेशानी बढ़ गई है. शहर में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें अपनों ने ही बेसहारा छोड़ दिया है. वे अपनी बची हुई जिंदगी कच्चे मकान या टपरी में बिताने को मजबूर हैं. ऐसे ही लोगों की मदद करने का बीड़ा बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं ने उठाया है. युवाओं की यह टोली ऐसे लोगों को उनका घर बना कर दे रही है, जो टपरी में रहने को मजबूर हैं. कोरोना काल में जरूरतमंदों को 42 दिनों तक दो वक्त का भोजन पहुंचाने के बाद अब बस्तरिया बैक बेंचर्स (Bastariya Back Benchers) के सदस्यों ने बेसहारा और जरूरतमंदों के उजड़े आशियानों को बनाने का जिम्मा उठाया है. इसकी शुरुआत उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी वार्ड में रहने वाले बुजुर्ग दंपति से की है.
शहर के अटल बिहारी वाजपेयी वार्ड में रहने वाले बुजुर्ग दंपति कई सालों से टपरी में रह रहे थे. इस बुजुर्ग दंपति के अपने ही लोगों ने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया था. उसके बाद से दोनों ही लोग झिल्ली और झाड़ियों से बने टपरी में किसी तरह अपना जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं. लॉकडाउन के वक्त जब बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं ने इन लोगों तक भोजन पहुंचाया तो इनकी हालत देखी और उस वक्त ही दंपति को घर बनाकर देने का संकल्प लिया था. मानसून के शुरू होने से पहले ही युवाओं ने पैसे जमा कर तीन दिन में टीन के शेड से घर बनाकर उन्हें दिया. जिससे कि बारिश में उन्हें भीगते हुए न सोना पड़े. युवाओं ने दंपति को लड्डू खिलाकर गृह प्रवेश भी कराया.
बस्तरिया बैक बेंचर्स का हौसला बढ़ाने गढ़कलेवा पहुंचे कलेक्टर और एसपी, लिया भोजन का स्वाद
सदस्यों ने खुद के पैसे से बनाए घर
दरअसल, युवाओं ने देखा कि 80 वर्षीय दंपति के घर की छत और चार दीवारी झिल्ली और झाड़ियों से बनी है. बुजुर्ग महिला ठीक से चल नहीं पाती है. बुजुर्ग व्यक्ति को दिखाई देना भी बंद हो गया है. दोनों एक दूसरे की मदद से अपना जीवनयापन कर रहे हैं. कोई इन लोगों तक राशन पहुंचा देता है तो पेट भर जाता है. बारिश में कीचड़ की वजह से घर पर रहना मुश्किल हो जाता है. वहीं घर गिरने का भी डर बना हुआ है. ऐसे में बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं की टोली इनकी मदद के लिए आगे आई. टीन शेड से घर बनाना शुरू किया. 3 दिन के भीतर ही अपने पैसों से इन बुजुर्ग दंपति के लिए घर बनाकर तैयार कर दिया.
कोई भूखा न सोए इसलिए 3 बच्चियों ने ईदी और गुल्लक के पैसे दान कर दिए
शासन-प्रशासन ने भी नहीं की मदद
वार्ड में रहने वाली नेहा ध्रुव ने कहा कि वे पिछले कई सालों से बुजुर्ग दंपति को देख रही हैं. दोनों बेसहारा होने की वजह से टूटे-फूटे झिल्ली से बनी टपरी में रह रहे हैं. बारिश के समय तो इन्हें और भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो बारिश की वजह से दोनों बुजुर्ग दंपति भीगने को मजबूर हो जाते हैं. कई बार वार्ड के पार्षद से भी गुहार लगाई गई, लेकिन ना तो इन्हें घर मिला और ना ही कोई सहारा. जब अपनों ने ही इन्हें छोड़ दिया उसके बाद इनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया. वार्डवासी ने कहा कि जैसे-तैसे बुजुर्ग दंपति अपना जीवन यापन करते हैं. वार्डवासीयों ने कहा कि हम बस्तरिया बैक बेंचर्स के युवाओं का धन्यवाद करते है जिनकी मदद से बुजुर्ग दंपति को एक छोटा सा घर मिल पाया. जहां वे बारिश में भीगने से बचने के साथ ठीक से रह सकेंगे.
जगदलपुर में कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए कई संस्थानों ने बढ़ाए मदद के हाथ
3 नए घरों बनाकर करेंगे मदद
बस्तरिया बैक बेंचर्स के सदस्य परमेश्वर नायर और गौरव आंगयर ने कहा कि कोरोनाकाल की वजह से कई मजबूर लोग बुरे हालातों से गुजर रहे हैं. काम-काज छिन जाने की वजह से और आर्थिक तंगी से जूझने की वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 43 दिनों तक करीब हर दिन 200 लोगों को दो वक्त का भोजन पहुंचाने का काम किया. वहीं भोजन पहुंचाने के वक्त जब उन्होंने देखा कि बुजुर्ग दंपति का आशियाना पूरी तरह से उजड़ चुका है. 80 वर्षीय दंपति टपरी में रहने को मजबूर है. ऐसे में उन्होंने संकल्प लिया था कि ऐसे लोगों की मदद की जाएगी. बस इसी संकल्प के साथ उन्होंने खुद पैसे इकट्ठे कर बुजुर्ग दंपति का घर बनवाया है. युवाओं ने कहा कि उन्होंने इसे अभियान के रूप में लिया है. फिलहाल 3 घरों को चिन्हाकित भी किया है. उन घरों को भी जल्द ही तैयार कर उन्हें सौंप देंगे.