जगदलपुर: हरेली अमावस्या के दिन पहली पूजा के साथ बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत होती है, लेकिन इस रस्म अदायगी में जल्दबाजी के चलते आयोजन को लेकर विवाद छिड़ गया है. दशहरा समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि पूजा पाठ में आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है.
बता दें कि बस्तर राजपरिवार के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने बस्तर दशहरा पर्व की 700 साल पुरानी परंपरा के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है. भंजदेव का कहना है कि पाटजात्रा की रस्म पूरी करने जनप्रतिनिधियों को इतनी हड़बड़ी थी कि उन्होंने इस रस्म में प्रतिवर्ष राज परिवार के घर से आने वाली पूजा की थाली का भी इंतजार नहीं किया और रस्म अदायगी कर दी गई.
2 घंटे पहले की गई रस्म अदायगी
कमलचंद ने कहा कि यह पहला मौका है जब इस रस्म को समय से पहले अंजाम दिया गया है, जबकि इस पर्व में शामिल होने माझी चालिकी के साथ ही बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचते हैं. यह रस्म सुबह 11 बजे अदा की जाती है, लेकिन समय से 2 घंटे पहले ही इस रस्म की अदायगी करने से मांझी और चालकियों में नाराजगी है.
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भविष्य में सभी लोगों के साथ किया जाएगा आयोजन
बस्तर सांसद दीपक बैज ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा है कि राज परिवार की आपत्ति को लेकर भविष्य में सभी लोगों को साथ लेकर आयोजन किया जाएगा. बता दें कि हरियाली अमावस्या पर सरकारी कार्यक्रम और नेताओं की व्यस्तता को ध्यान में रखते हुए जिले के प्रभारी मंत्री, सांसद और स्थानीय विधायक ने 2 घंटे पहले ही पूजा प्रक्रिया शुरू कर दी थी.