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जानलेवा इस बीमारी से 5 साल में 185 लोगों की मौत

बस्तर संभाग में टीबी की बिमारी से 733 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी से मौत का कारण यहां के लोगों की उदासीनता और लक्षणों को गंभीरता से न लेकर समय पर जांच न कराना है.

टीबी के मरीज
टीबी के मरीज
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Published : Dec 1, 2019, 9:13 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में टीबी (Tuberculosis) से बढ़ते मरीजों के चौंकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं. नेशनल टीबी रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर के हर चौथे व्यक्ति में टीबी के बैक्टीरिया पाए गए हैं. बावजूद इसके बस्तर के लोग इस बीमारी के लक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं. बस्तर संभाग में पिछले पांच साल में 733 से ज्यादा लोगों की जान टीबी से जा चुकी है. मरने वाले में जवानों की संख्या ज्यादा है.

जानलेवा इस बीमारी से 5 साल में 185 लोगों की मौत

जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. नारायण मैत्री ने बताया कि टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. दो हफ्तों से ज्यादा खांसी का रहना फेफड़े में टीबी का लक्षण है. इसके अन्य लक्षण में खांसी में खून आना, भूख कम लगना, वजन कम होने लगना, बुखार आना, शाम को बुखार बढ़ जाना, पसीना आना, छोटे बच्चे का विकास रुक जाना जैसे लक्षण शामिल हैं.

5 सालों में 185 लोगों की टीबी से मौत
बस्तर में इस बीमारी से मौत का कारण यहां के लोगों की उदासीनता और लक्षणों को गंभीरता से न लेकर समय पर जांच न कराना है. बस्तर जिले में बीते 5 सालों में 185 लोगों की मौत टीबी से हो चुकी है. जिला अधिकारी ने कहा कि इसके रोकथाम के लिए इस बीमारी का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है. साथ ही बस्तर संभाग के सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम को टीबी से पीड़ित मरीजों के घर जाकर दवा उपलब्ध कराने को कहा गया है.

साल 2023 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य
देश में टीबी के बढ़ते आकड़ें को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जड़ से खत्म करने के लिए मिशन मोड पर काम करने की जरूरत बताते हुए 2025 का लक्ष्य रखा है. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ से इस बीमारी को खत्म करने के लिए 2023 का लक्ष्य रखा है.

जगदलपुर: बस्तर में टीबी (Tuberculosis) से बढ़ते मरीजों के चौंकाने वाले आंकड़ें सामने आए हैं. नेशनल टीबी रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर के हर चौथे व्यक्ति में टीबी के बैक्टीरिया पाए गए हैं. बावजूद इसके बस्तर के लोग इस बीमारी के लक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं. बस्तर संभाग में पिछले पांच साल में 733 से ज्यादा लोगों की जान टीबी से जा चुकी है. मरने वाले में जवानों की संख्या ज्यादा है.

जानलेवा इस बीमारी से 5 साल में 185 लोगों की मौत

जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. नारायण मैत्री ने बताया कि टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. दो हफ्तों से ज्यादा खांसी का रहना फेफड़े में टीबी का लक्षण है. इसके अन्य लक्षण में खांसी में खून आना, भूख कम लगना, वजन कम होने लगना, बुखार आना, शाम को बुखार बढ़ जाना, पसीना आना, छोटे बच्चे का विकास रुक जाना जैसे लक्षण शामिल हैं.

5 सालों में 185 लोगों की टीबी से मौत
बस्तर में इस बीमारी से मौत का कारण यहां के लोगों की उदासीनता और लक्षणों को गंभीरता से न लेकर समय पर जांच न कराना है. बस्तर जिले में बीते 5 सालों में 185 लोगों की मौत टीबी से हो चुकी है. जिला अधिकारी ने कहा कि इसके रोकथाम के लिए इस बीमारी का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है. साथ ही बस्तर संभाग के सभी जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम को टीबी से पीड़ित मरीजों के घर जाकर दवा उपलब्ध कराने को कहा गया है.

साल 2023 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य
देश में टीबी के बढ़ते आकड़ें को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जड़ से खत्म करने के लिए मिशन मोड पर काम करने की जरूरत बताते हुए 2025 का लक्ष्य रखा है. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ से इस बीमारी को खत्म करने के लिए 2023 का लक्ष्य रखा है.

Intro:जगदलपुर। बस्तर मे टीबी से बढते मरीज के चौकाने वाले आंकडे सामने आये है,नेशनल टीबी रिपोर्ट के मुताबिक बस्तर जिले के हर चौथे व्यक्ति मे टीबी के बैक्टेरिया मौजुद है। बावजूद इसके बस्तर के लोग इस बीमारी के लक्षण को नजर अंदाज करते रहे हैं। और यही वजह है कि पिछले पांच साल में 733 से अधिक लोगों की जान टीबी से जा चुकी है। जिसमे नौ जवानो की संख्या ज्यादा है।


Body:जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. नाराय़ण मैत्री ने बताया कि लोगों की धारणा बन गई है कि टीबी का लक्षण सिर्फ दो हफ्ते से अधिक खांसने का है। जबकि यह केवल फेफड़े के टीबी का लक्षण हैं। जबकि टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। इसके अन्य लक्षण में खांसी में खून आना, भूख कम लगना, वजन कम होने लगना, बुखार आना, शाम को बुखार बढ़ जाना, पसीना आना, छोटे बच्चे की विकास रुक जाना जैसे लक्षण शामिल है। जिला अधिकारी ने कहा कि इसके रोकथाम के लिए इस बीमारी का ईलाज मुफ्त में किया जा रहा है और बस्तर संभाग के सभी  जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम को टीबी से पीडि़त मरीजो को  घर तक जाकर दवा उपलब्ध कराने को कहा गया है। 


Conclusion:वहीं बस्तर मे इस बीमारी से मौत के पीछे लोगों की टीबी के प्रति उदासीनता और लक्षणों को गंभीरता से न लेकर अपनी जांच नहीं कराना है। जब तक वे अपनी जांच कराने पहुंचते है, तब तक स्थिति बेकाबू हो जाती है और उनकी मौत हो जाती हैं। दरअसल व्यक्ति में टीबी का वायरस सुप्त अवस्था में होता है। जब शरीर कमजोर होता है यानी इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो यह बैक्टीरिया आगे चलकर सक्रिय हो जाता हैं और टीबी का रूप धारण कर लेता हैं। और बस्तर जिले मे ही विगत 5 सालों मे 185 लोगो की टीबी से मौत हो चुकी है।
गौरतलब है कि आज भी देश मे सबसे ज्यादा मौत जिस बीमारी से होती है उनमे टीबी का नाम सबसे आगे है, यही वजह है कि देश के प्रधानमंत्री ने इसे जड से खत्म करने के लिए मिशन मोड पर काम करने की जरूरत बताते हुए 2025 का लक्ष्य रखा है। वही प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ से इस बीमारी को खत्म करने के लिए 2023 का लक्ष्य रखा है।  लेकिन लक्ष्य के लिए विभाग लापरवाही न करें और ज्यादा से ज्यादा लोगो को इस बीमारी से बचने के लिए जागरूक करें ताकि बस्तर मे टीबी से बढ रहे मौत के आंकडे को कम किया जा सके।
 
बाईट1- नाराय़ण मैत्री, जिला क्षय नियंत्रण  
 
 
 
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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