जगदलपुर: 75 दिनों तक चलने वाला ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व अब समाप्ति की ओर है. कुछ ही दिनों के बाद इस पर्व की समाप्ति हो जाएगी. दशहरा पर्व की एक और महत्वपूर्ण रसम कुटुंब जात्रा शुक्रवार को निभाई गई. पूरे विधि विधान के साथ जगदलपुर शहर के महात्मा गांधी स्कूल परिसर में बस्तर दशहरे की इस खास रस्म को संपन्न कराया गया. बस्तर संभाग के तमाम इलाकों व पड़ोसी राज्यों से पहुंचे देवी देवताओं का पूजा पाठ किया गया और जात्रा किया गया. इस रस्म के दौरान 24 बकरों की बलि दी गई.
संपन्न हुई कुटुंब जात्रा रस्म: बस्तर राज परिवार सदस्य कमलचंद्र भंजदेव ने बताया कि गंगामुण्डा जात्रा और कुटुंब जात्रा में दंतेश्वरी देवी के साथ ही जितने भी देवी देवता शामिल हुए हैं. उनकी विदाई का यह कार्यक्रम है. देवी दंतेश्वरी का छत्र जो दंतेवाड़ा से आया है. जिया बाबा उसको लेकर आये हैं. उन सभी को आज विदाई दिया गया है. लेकिन शनिवार को ग्रहण लगने के कारण सूतक लगने की वजह से दंतेश्वरी देवी का छत्र और मावली देवी की डोली को दो दिन बाद भेज दिया जायेगा.
जिस प्रकार से परिवार का कुटुंब होता है. वैसे ही देवी दंतेश्वरी के कुटुंब से जितने भी देवी देवता दशहरा पर्व में शामिल होने के लिए आये थे. उन सभी को विदाई देने का काम किया गया. जैसे पंचमी में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया था.- कमलचंद्र भंजदेव, बस्तर राज परिवार
पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी ने बताया कि परंपरा अनुसार आज विधि विधान से कुटुंब जात्रा रस्म निभाई गई. रियासत काल में जिस तरह से इस रस्म तो निभाया जाता था आज भी उसी तरह रस्म निभाई गई. इस साल के नवरात्रि में जितने भी लोगों ने मन्नत मांगा था. वो अपने मन्नत के अनुसार भेंट चढ़ाते हैं. दिनों दिन यह इसमें आस्था बढ़ते जा रहा है. भक्त भी बढ़चढ़कर बलि के लिए बकरे दे रहे हैं.
आसपास के राज्यों से पहुंचे देवी देवता: कोंटा से लेकर कांकेर जिले व सीमावर्ती राज्य ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना के देवी देवता भी इस बस्तर दशहरा में शामिल होते हैं जिन्हें विदा किया गया. अगले साल बस्तर दशहरा 2024 में फिर से सभी देवा देवता दशहरे में शामिल होने बस्तर पहुंचेंगे.