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बस्तर दशहरा: पूजा-अर्चना के बाद मावली मां को दी गई नम आंखों से विदाई

75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा में आज (शनिवार) डोली विदाई की रस्म निभाई गई. गीदम रोड स्थित जिया डेरा मंदिर में मां मावली की पूजा-अर्चना के बाद उन्हें डोली में बिठा विदा किया गया. मौके पर शहर में विशाल कलश यात्रा भी निकाली गई.

बस्तर दशहरा की विदाई
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Published : Oct 12, 2019, 7:10 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर: बस्तर दशहरा में आज डोली विदाई की रस्म निभाई गई है. परंपरा के मुताबिक बस्तर के राजा इस आखिरी रस्म में मावली माता को विदाई देने राजमहल से 3 किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं. मौके पर धूमधाम से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है और जिया डेरा मंदिर में माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें विदा किया जाता है.

बस्तर दशहरा की विदाई

बस्तर में आज भी यह रस्म पूरे विधि-विधान से निभाई जाती है. गाजे-बाजे के साथ माता के डोली को सत्रों से सलामी दी जाती है. बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने मावली माता की डोली और छत्र की विधि-विधान से पूजा कर डोली को दंतेवाड़ा के लिए कर दिए हैं.

बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे थे श्रद्धालु

माता की डोली को विदाई देने बड़ी संख्या में श्रद्धालु जिया डेरा मंदिर पहुंचे थे, मावली परघाव रस्म में परंपरागत रूप से मावली माता की डोली का स्वागत करने के बाद डोली को चार दिनों तक माई दंतेश्वरी के मंदिर परिसर में रखा जाता है. जहां मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. डोली विदाई के साथ विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा समाप्त हो जाती है.

जगदलपुर: बस्तर दशहरा में आज डोली विदाई की रस्म निभाई गई है. परंपरा के मुताबिक बस्तर के राजा इस आखिरी रस्म में मावली माता को विदाई देने राजमहल से 3 किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं. मौके पर धूमधाम से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है और जिया डेरा मंदिर में माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें विदा किया जाता है.

बस्तर दशहरा की विदाई

बस्तर में आज भी यह रस्म पूरे विधि-विधान से निभाई जाती है. गाजे-बाजे के साथ माता के डोली को सत्रों से सलामी दी जाती है. बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने मावली माता की डोली और छत्र की विधि-विधान से पूजा कर डोली को दंतेवाड़ा के लिए कर दिए हैं.

बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे थे श्रद्धालु

माता की डोली को विदाई देने बड़ी संख्या में श्रद्धालु जिया डेरा मंदिर पहुंचे थे, मावली परघाव रस्म में परंपरागत रूप से मावली माता की डोली का स्वागत करने के बाद डोली को चार दिनों तक माई दंतेश्वरी के मंदिर परिसर में रखा जाता है. जहां मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. डोली विदाई के साथ विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा समाप्त हो जाती है.

Intro:जगदलपुर। 75 दिनो तक चलने वाले विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व की आज अंतिम डोली विदाई की रस्म अदा की गई , शहर के गीदम रोड स्थित जिया डेरा मंदिर मे मां मावली माता को माटी पूजारी बस्तर  राजकुमार और स्थानीय लोगो द्वारा पूजा अर्चना कर मावली देवी के डोली को विदा किया गया, इस मौके पर शहर मे विशाल कलश यात्रा निकाली गई, माता के डोली को विदा करने शहर मे लोगो का जनसैलाब उमड पडा, पंरपरानुसार इस महत्वपूर्ण रस्मअदा के बाद ही बस्तर दशहरा पर्व की समाप्ति होती है।
 



Body:जगदलपुर मे आज दशहरा पर्व की अंतिम डोली विदाई की रस्म अदा की गई, पंरपरानुसार इस रस्म मे कालांतर समय से बस्तर के राजा अन्नम देव बस्तर दशहरा के इस आखिरी रस्म मे मावली माता को विदाई देने राजमहल से 3 कि.मी पैदल चलकर और बडे धूमधाम से भव्य शोभा यात्रा निकालकर जिया डेरा मंदिर मे माता की पूजा अर्चना कर विदाई देते थे, वर्तमान समय मे आज भी रस्म को विधी विधान से निभाया जाता है, गाजे बाजे के साथ माता के डोली को बंदूक से सलामी दी जाती है, बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने मावली माता के डोली और छत्र की विधी विधान से पूजा अर्चना कर डोली को दंतेवाडा के लिए विदा किया ।


Conclusion:माता के डोली को विदाई देने नम आँखों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जिया डेरा मंदिर पहुंचते है , दरसअल  मावली परघाव रस्म मे पंरपरागत भव्य रूप से मावली माता के डोली का स्वागत करने के पश्चात डोली को चार दिनो तक मांई दंतेश्वरी के मंदिर परिसर मे रखा जाता है, जंहा डोली के दर्शन के लिए बडी संख्या मे भक्तो की भीड उमडती है, और आज इसी डोली के विदाई के साथ विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा पर्व की समाप्ति होती है।

बाईट1-कमलचंद भंजदेव, सदस्य राजपरिवार
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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