जगदलपुर: बस्तर दशहरा में आज डोली विदाई की रस्म निभाई गई है. परंपरा के मुताबिक बस्तर के राजा इस आखिरी रस्म में मावली माता को विदाई देने राजमहल से 3 किलोमीटर पैदल चलकर जाते हैं. मौके पर धूमधाम से भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है और जिया डेरा मंदिर में माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें विदा किया जाता है.
बस्तर में आज भी यह रस्म पूरे विधि-विधान से निभाई जाती है. गाजे-बाजे के साथ माता के डोली को सत्रों से सलामी दी जाती है. बस्तर के राजकुमार कमलचंद भंजदेव ने मावली माता की डोली और छत्र की विधि-विधान से पूजा कर डोली को दंतेवाड़ा के लिए कर दिए हैं.
बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे थे श्रद्धालु
माता की डोली को विदाई देने बड़ी संख्या में श्रद्धालु जिया डेरा मंदिर पहुंचे थे, मावली परघाव रस्म में परंपरागत रूप से मावली माता की डोली का स्वागत करने के बाद डोली को चार दिनों तक माई दंतेश्वरी के मंदिर परिसर में रखा जाता है. जहां मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. डोली विदाई के साथ विश्व प्रसिध्द बस्तर दशहरा समाप्त हो जाती है.