जगदलपुर: बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लिए संजीवनी कहे जाने वाली 108 एंबुलेंस पिछले कई महीनों से कबाड़ में पड़ी हुई है. बस्तर संभाग के लगभग 18 से 20 संजीवनी 108 एंबुलेंस मेंटेनेंस के अभाव में पूरी तरह से कबाड़ हो चुकी है. जिसे महारानी अस्पताल के परिसर में खड़ा कर दिया गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और एंबुलेंस के इंचार्ज इन खराब एंबुलेंस को शासन को सुपुर्द करने की बात कह रहे हैं और इनके एवज में बस्तर जिले में नई एंबुलेंस दिए जाने की बात कह रहे हैं. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में खराब पड़े इन एंबुलेंस को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि बस्तर जिले में एंबुलेंस के अभाव में किस तरह से ग्रामीण अंचलों में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा होगा.
जानकारी के मुताबिक यह सभी एंबुलेंस पूरे बस्तर संभाग से मंगाए गए हैं. बताया जा रहा है कि कुछ सालों में ही मेंटेनेंस के अभाव में यह सभी एंबुलेंस कबाड़ हो गए हैं. जिन्हें शासन ने महारानी अस्पताल के परिसर में खड़ा करने को कहा है. इस एंबुलेंस के इंचार्ज ने बताया कि सन 2014 में JVK नाम की कंपनी से इन एम्बुलेंस को बस्तर संभाग में सेवा के लिए लिया गया था. उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक एंबुलेंस खराब होने लगी और मेंटेनेंस के अभाव में आलम यह हुआ कि एक-एक कर संभाग के लगभग 20 से ज्यादा एंबुलेंस खराब हो गई.
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इंचार्ज ने बताया कि शासन को पत्र लिखकर नई एंबुलेंस देने की मांग की गई जिसके बाद शासन की ओर से बस्तर जिले में कुल 10 एंबुलेंस भेजे गए हैं. इनमें से दो एंबुलेंस कोविड-19 के लिए उपयोग किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिले में 7 ब्लॉक होने की वजह से और भी एंबुलेंस की जरूरत है और प्रशासन को एंबुलेंस जल्द मुहैया कराने मांग की गई है.
वहीं संभाग के अन्य जिलों में भी अब तक जरुरत के मुताबिक एंबुलेंस नहीं दिए गए हैं. ऐसे में संभाग के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा की हालत क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता हैं. गौरतलब है कि, एंबुलेंस की कमी के चलते सुकमा जिले के कोंटा इलाके में एक महिला के एंबुलेंस के अभाव में रास्ते में डिलीवरी हो गई थी. इस घटना में बच्चे की मौत हो गई.
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सही समय पर एंबुलेंस की मदद से गर्भवती महिला अस्पताल पहुंच पाती तो शायद बच्चे की जान बच सकती थी. वहीं बस्तर संभाग के जिलों के अंदरूनी गांव में खाट पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के वाकये भी आम हो चले हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि बस्तर में संजीवनी के नाम से जाने जाने वाली एंबुलेंस की जरूरत को जल्द से जल्द पूरा करें. ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा का और इन एंबुलेंस का लाभ मिल सके.