गौरेला पेंड्रा मरवाही: आंगनबाड़ी केंद्र के सामने मधुमक्खी के हमले से 5 साल के बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई. एक बच्चा घायल है. जिसका इलाज चल रहा है. जिस समय ये घटना हुई उस समय आंगनबाड़ी सहायिका भी वहां मौजूद थी, बावजूद इसके बच्चे को मधुमक्खियों के हमले से बचाया नहीं जा सका.
आंगनबाड़ी के टॉयलेट में मधुमक्खियों का छाता: मामला गौरेला विकासखंड की दौजरा गांव के ऊपरपारा आंगनवाड़ी का है. आंगनबाड़ी के टॉयलेट के अंदर मधुमक्खियों का एक बड़ा छाता मौजूद है. बावजूद इसके इस भवन में छोटे छोटे बच्चों को बैठाया जा रहा है. लापरवाही की वजह से मधुमक्खी का छाता उसी हाल में छोड़ दिया गया जो धीरे धीरे बड़ा होते होते लगभग 2 फीट का हो गया. बुधवार को 5 साल का ऋषभ आंगनबाड़ी के दूसरे बच्चों के साथ बाहर खेल रहा था. तभी मधुमक्खियों के छाते ने बच्चों पर हमला कर दिया.
हमले के बाद सारे बच्चे भाग गए. ऋषभ और लक्ष्य मधुमक्खियां के हमले की वजह से आगनबाड़ी केंद्र के सामने रखे जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत रखे पाइप रोल के अंदर गिरकर फंस गए. इस दौरान लगातार मधुमक्खियां का झुंड ऋषभ और लक्ष्य के सिर, हाथ, पैर में काटता रहा. इसी बीच लक्ष्य किसी तरह से वहां से भाग निकला लेकिन 5 साल का ऋषभ खुद को वहां से निकाल नहीं सका. मधुमक्खियां के डंक से पीड़ित ऋषभ लगातार चीख पुकार करता रहा लेकिन आंगनबाड़ी सहायिका भी अपने आप को बचाने भवन के अंदर चली गई.
बच्चे को बचाने मधुमक्खियों के झुंड के बीच कूद पड़ी मां: घटना के थोड़ी देर बाद ऋषभ की मां बेटे की चीख पुकार सुनकर पहुंची और पाइप के अंदर से बच्चे को बाहर निकाली. लेकिन तब तक मधुमक्खियों के हमले से बच्चा बुरी तरह घायल हो चुका था. घायल ऋषभ को तुरंत इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. बच्चे की मौत से व्यथित मां ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर बच्चे को नहीं बचाने का आरोप लगाया है.
जब एक लड़का बच सकता तो मेरा बच्चा भी बच सकता था, मेरा घर पास में ही, कोई आकर बता देता तो मैं ही आकर बचा लेती. मैडम को मधुमक्खियों ने काटा तो वो किनारे चली गई. किसी ने मेरे बच्चे को नहीं बचाया- चंद्रकली मराबी - ऋषभ की मां
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए बच्चे को बचाने की कोशिश करने का दावा कर रही है.
टॉयलेट के अंदर मधुमक्खियों का छाता था ये पता ही नहीं था. टॉयलेट काफी दिनों से बंद था. कलावती पोर्ते, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि जिस टॉयलेट के अंदर मधुमक्खियों का छाता था उसे काफी लंबे समय से खोला नहीं गया था. यानी भवन में मौजूद शौचालय का इस्तेमाल नहीं होता था. कार्यकर्ता कलावती बताती हैं कि बच्चों को शौचालय के लिए तालाब के किनारे ले जाया जाता था या उनके बच्चों के घर वालों को बताया जाता था. बारिश का समय है. नदी, नाले, तालाब लबालब है. ऐसे में शौचलय नहीं होने के कारण तालाब में बच्चों को ले जाना कितना सुरक्षित है. ?