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Substandard Seed :सहकारी समितियों से मिला बीज घटिया, किसान को नुकसान होना तय

Substandard Seed :गौरेला पेंड्रा मरवाही में सहकारी समितियों से खरीदे गए बीजों में कमी देखने को मिली है.जिसके कारण किसान बेहद परेशान हैं. रोपाई के दौरान सिर्फ आधे बीज ही अंकुरित हुए. जिससे किसानों को नुकसान होने की उम्मीद है.

Gaurela pendra marwahi news
सहकारी समितियों से मिला बीज घटिया
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Published : Jul 21, 2023, 3:17 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है.क्योंकि यहां धान की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. उन्नत किस्म के धान के कारण यहां मिलने वाला चावल काफी मशहूर है.लेकिन इस बार बीज निगम ने जो धान के बीज किसानों को उपलब्ध करवाएं उनमें अंकुरण पचास फीसदी ही हुआ.इस वजह से किसानों को नुकसान होने की उम्मीद है. खेतों में रोपा लगाने से पहले किसानों ने जो धान की नर्सरी तैयार की है.उनमें आधे बीज ही अंकुरित हो पाए हैं.

मॉनसून से पहले रोपाई की तैयारी : मानसून की बारिश होने से पहले ही किसान धान की फसल के लिए खेतों को तैयार करना शुरू करते हैं. किसान छत्तीसगढ़ शासन के बीज निगम द्वारा सहकारी समितियों में आपूर्ति किए गए उन्नत किस्म के बीजों को खरीदते हैं. क्योंकि इन बीजों की उत्पादन क्षमता के साथ-साथ रोगों से लड़ने की क्षमता दूसरे बीजों से अधिक मानी जाती है. लेकिन इस बार पेंड्रा में सहकारी समितियों ने जो बीज किसानों को उपलब्ध करवाएं वो सही साबित नहीं हुए.

बीज ने किसानों को दिया धोखा : उन्नत किस्म के बीज में 1010 किस्म का धान शामिल है. जिसे क्षेत्र के लोग काफी संख्या में बोते हैं. इस बार किसानों ने जब, 1010 किस्म के धान बीज की नर्सरी तैयार करने के लिए उसे खेतों में बोया तो उनमें अंकुरण नहीं हुआ. जबकि कुछ किसानों के खेतों में इसका अंकुरण और भी कम रहा. जिसकी वजह से किसान अब दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. क्योंकि बीज बेकार होने के कारण धान बोवाई का समय भी निकल रहा है.लिहाजा किसान अब रोपा पद्धति छोड़कर सूखी बुआई करेंगे. जिसमें किसानों को नुकसान होना तय है. क्योंकि सूखी पद्धति में बीज अंकुरित होने के बाद धान, रोग की चपेट में आ सकता है.

क्यों सहकारी समितियों से किसान खरीदते हैं बीज : धान के अच्छे उत्पादन के लिए किसान अधिक मूल्य पर सहकारी समितियों से उन्नत किस्म के बीज खरीदते हैं. ताकि उनकी फसल रोग मुक्त हो. साथ ही साथ उत्पादन भी अच्छा हो. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इस पूरे मामले की जानकारी कृषि विभाग के पास भी है. उन्होंने कुछ किसानों के बीज का सैंपल भी लिया है. लगभग 80 सैंपल में से 10 सैंपल की रिपोर्ट आई है.

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कृषि विभाग बाकी रिपोर्ट का भी इंतजार कर रहा है. घटिया बीज से किसानों को जो नुकसान हो रहा है. उसकी भरपाई करने के लिए विभाग के पास भी कोई कार्य योजना नहीं है. छत्तीसगढ़ शासन, कृषि विभाग और बीज निगम की जिम्मेदारी है कि किसानों को उन्नत किस्म के बढ़िया बीज उपलब्ध कराएं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया जा सका.

गौरेला पेंड्रा मरवाही : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है.क्योंकि यहां धान की पैदावार सबसे ज्यादा होती है. उन्नत किस्म के धान के कारण यहां मिलने वाला चावल काफी मशहूर है.लेकिन इस बार बीज निगम ने जो धान के बीज किसानों को उपलब्ध करवाएं उनमें अंकुरण पचास फीसदी ही हुआ.इस वजह से किसानों को नुकसान होने की उम्मीद है. खेतों में रोपा लगाने से पहले किसानों ने जो धान की नर्सरी तैयार की है.उनमें आधे बीज ही अंकुरित हो पाए हैं.

मॉनसून से पहले रोपाई की तैयारी : मानसून की बारिश होने से पहले ही किसान धान की फसल के लिए खेतों को तैयार करना शुरू करते हैं. किसान छत्तीसगढ़ शासन के बीज निगम द्वारा सहकारी समितियों में आपूर्ति किए गए उन्नत किस्म के बीजों को खरीदते हैं. क्योंकि इन बीजों की उत्पादन क्षमता के साथ-साथ रोगों से लड़ने की क्षमता दूसरे बीजों से अधिक मानी जाती है. लेकिन इस बार पेंड्रा में सहकारी समितियों ने जो बीज किसानों को उपलब्ध करवाएं वो सही साबित नहीं हुए.

बीज ने किसानों को दिया धोखा : उन्नत किस्म के बीज में 1010 किस्म का धान शामिल है. जिसे क्षेत्र के लोग काफी संख्या में बोते हैं. इस बार किसानों ने जब, 1010 किस्म के धान बीज की नर्सरी तैयार करने के लिए उसे खेतों में बोया तो उनमें अंकुरण नहीं हुआ. जबकि कुछ किसानों के खेतों में इसका अंकुरण और भी कम रहा. जिसकी वजह से किसान अब दोहरी मार झेलने को मजबूर हैं. क्योंकि बीज बेकार होने के कारण धान बोवाई का समय भी निकल रहा है.लिहाजा किसान अब रोपा पद्धति छोड़कर सूखी बुआई करेंगे. जिसमें किसानों को नुकसान होना तय है. क्योंकि सूखी पद्धति में बीज अंकुरित होने के बाद धान, रोग की चपेट में आ सकता है.

क्यों सहकारी समितियों से किसान खरीदते हैं बीज : धान के अच्छे उत्पादन के लिए किसान अधिक मूल्य पर सहकारी समितियों से उन्नत किस्म के बीज खरीदते हैं. ताकि उनकी फसल रोग मुक्त हो. साथ ही साथ उत्पादन भी अच्छा हो. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. इस पूरे मामले की जानकारी कृषि विभाग के पास भी है. उन्होंने कुछ किसानों के बीज का सैंपल भी लिया है. लगभग 80 सैंपल में से 10 सैंपल की रिपोर्ट आई है.

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कृषि विभाग बाकी रिपोर्ट का भी इंतजार कर रहा है. घटिया बीज से किसानों को जो नुकसान हो रहा है. उसकी भरपाई करने के लिए विभाग के पास भी कोई कार्य योजना नहीं है. छत्तीसगढ़ शासन, कृषि विभाग और बीज निगम की जिम्मेदारी है कि किसानों को उन्नत किस्म के बढ़िया बीज उपलब्ध कराएं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया जा सका.

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