गरियाबंद : बारिश ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है. उफनते नदी नालों के पुल और सड़क का पता नहीं चल रहा है. पुल बना भी है तो उसका कोई उपयोग नहीं है. ऐसा ही कुछ हाल है देवभोग का, जहां तेल नदी पर करोड़ों रुपए खर्च कर ब्रिज बनाने के बाद भी बारिश में लोग अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. तेल नदी तक पहुंचने से पहले ही राहगीरों को अपना रास्ता बदलना पड़ता है या फिर 'खतरों के खिलाड़ी' बनकर जान जोखिम में डालना पड़ता है.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर 13 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद लोग इस पुल का फायदा क्यों नहीं उठा पा रहे हैं, तो इसकी वजह है तेल नदी से पहले पड़ने वाले दो नाले, जो तेज बारिश के कारण उफान पर हैं. इन नालों पर पुल नहीं बनाए गए हैं, जिसके चलते ग्रामीण यहीं फंसे रहते हैं और मुख्य पुल तक पहुंच ही नहीं पाते, जिससे 36 गांव के 30 हजार ग्रामीण मुख्यालय से कट जाते हैं.
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तेल नदी पर पुल का निर्माण
दरअसल, करोड़ों रुपए खर्च कर तेल नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था, लेकिन इस पुल तक पहुंचने के लिए लोगों को उससे पहले बने दो पुल को पार करना पड़ता है इसके बाद ही वे तेल नदी पर बने ब्रिज तक पहुंच सकते हैं. करोड़ों रुपए खर्च कर बना ये पुल लोगों के लिए बारिश के मौसम में अनुपयोगी साबित होता है.
दोनों नालों पर पुल बनाने की मांग
लोगों का कहना है कि इन दोनों नालों पर पुल नहीं होने के कारण वो तेल नदी पर बने पुल तक पहुंच ही नहीं पाते, लिहाजा ये पुल उनके किसी काम का नहीं है. ग्रामीण जल्द से जल्द दोनों नालों पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि, 'प्रशासन से जल्द ही नाले पर पुल निर्माण का आश्वासन दिया गया है'.
'बारिश के समय नाले उफान पर आ जाते है'
गांव के शिक्षकों का कहना है कि, 'दोनों नालों पर छोटे-छोटे पुल बनाने को लेकर प्रशासन से मांग की गई है, लेकिन अब तक मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है, जब बारिश होती है तो नाले उफान पर आ जाते हैं, जिससे लोग नाले ही नहीं पार कर पाते तो बड़ा पुल व्यर्थ साबित होता है. ऐसे में ड्यूटी पर जाने के लिए कई बार बरसात में इन्हें जान जोखिम में डालकर बेलाज नाला और मुंगिया नाला पार करना पड़ता है. इस दौरान कई बार लोग बह जाते हैं फिर आगे जाकर तैर कर बाहर निकलना पड़ता है'.