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Valentine Day Special: मन मिलने की इससे खूबसूरत प्रेम कहानी आपने देखी नहीं होगी

गरियाबंद: आज तक आपने कई लव स्टोरी देखी और सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी अनोखी प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे, जिसे देखकर आप भी कहेंगे प्यार हो तो ऐसा. एक रॉन्ग नंबर कॉल से शुरू हुई ये प्रेम कहानी, कैसे परवान चढ़ी, देखिए हमारी खास रिपोर्ट.

valentine day
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Published : Feb 14, 2019, 11:46 PM IST

Updated : Feb 15, 2019, 11:43 AM IST

जिले के कोसमबड़ा गांव के इंद्रजीत सोरी और बागबाहरा की शांति माझी के बीच की ये प्रेम कहानी वैलेंटाइन-डे के दिन एक मिसाल बन गई है. इस प्रेम कहानी की शुरूआत एक रॉन्ग नंबर से हुई. एक दिन इंद्रजीत का फोन गलती से शांति को लग गया. इस तरह दोनों के बीच बातें शुरू हुई और फिर दोस्ती हो गई, जो धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई, लेकिन फिर आया कहानी में ट्विस्ट. प्रेमिका ने युवक को बताया कि वो दिव्यांग है और उसके दोनों हाथ नहीं है.

वीडियो
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कहानी में आया ट्विस्ट
पहले तो इंद्रजीत को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन फिर उसने शांति से मिलने की ठानी और 100 किलोमीटर दूर युवती के गांव जा पहुंचा. शांति के आत्मविश्वास को देखते हुए इंद्रजीत का प्यार उसके लिए और बढ़ गया. इसके बाद साथ जीने-मरने का वादा कर दोनों ने मंदिर में शादी कर ली. लेकिन अब इनकी परेशानियां और बढ़ने वाली थी.

परिजनों को नहीं था मंजूर
युवक के परिजनों को दोनों का रिश्ता मंजूर नहीं था. उन्होंने दोनों को अलग करने का का खूब प्रयास किया. वे इंद्रजीत को वापस उसके गांव ले आए और उसकी दूसरी शादी कराने का प्रयास किए. जब शांति को इस बात की जानकारी हुई, तो वह बागबाहरा थाने पहुंची. यहां उसे लिखित शिकायत देने को कहा गया. अपनी सहेलियों की मदद से शांति ने लिखित में शिकायत की, लेकिन फिर भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

थाना प्रभारी ने की मदद
इसके बाद भी शांति ने हार नहीं मानी और अपना प्यार पाने गरियाबंद जिले के छुरा थाने पहुंच गई. यहां थाना प्रभारी से उसने अपने सुहाग को दिलाने मिन्नतें की. थाना प्रभारी ने स्थितियों को देखते हुए युवक को और उसके परिजनों को बुलवाया. परिजनों को दिव्यांग बहू स्वीकार नहीं थी, लेकिन इंद्रजीत शांति के साथ ही अपना जीवन बिताना चाहता था. दोनों बालिग थे, इसलिए थाना प्रभारी ने परिजनों को दोनों को साथ रहने की समझाइश दी.

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इसके बाद भी जब परिजनों ने दोनों को घर में रखने से इंकार कर दिया, तब युवक शांति को लेकर बागबाहरा के एक गांव चला गया. यहां वह मजदूरी कर किसी तरह से अपना परिवार चला रहा है. शांति के दोनों हाथ नहीं है, लेकिन उनकी ये कमी उनके कामों के आड़े नहीं आती, वो हाथों से करने वाले सभी काम अपने पैरों से बखूबी कर लेती हैं.

मिसाल है ये प्रेम कहानी
शांति मिसाल है, उन लोगों के लिए जो शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम होने के बाद भी बहुत से काम नहीं करते हैं. ये सच्ची प्रेम कहानी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक है. सुनने वाले बस यही कहते हैं कि प्यार हो तो ऐसा. बड़ी बात यह है कि इतनी तकलीफों के बावजूद दिव्याग शांति अपने आप को खुशनसीब मानती हैं. कहते हैं कि प्यार कमियां नहीं देखता. जब प्यार हो जाता है, तो सौ तकलीफों के बाद भी एक दूसरे के सहारे जिंदगी आसान हो जाती है.

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जिले के कोसमबड़ा गांव के इंद्रजीत सोरी और बागबाहरा की शांति माझी के बीच की ये प्रेम कहानी वैलेंटाइन-डे के दिन एक मिसाल बन गई है. इस प्रेम कहानी की शुरूआत एक रॉन्ग नंबर से हुई. एक दिन इंद्रजीत का फोन गलती से शांति को लग गया. इस तरह दोनों के बीच बातें शुरू हुई और फिर दोस्ती हो गई, जो धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई, लेकिन फिर आया कहानी में ट्विस्ट. प्रेमिका ने युवक को बताया कि वो दिव्यांग है और उसके दोनों हाथ नहीं है.

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कहानी में आया ट्विस्ट
पहले तो इंद्रजीत को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन फिर उसने शांति से मिलने की ठानी और 100 किलोमीटर दूर युवती के गांव जा पहुंचा. शांति के आत्मविश्वास को देखते हुए इंद्रजीत का प्यार उसके लिए और बढ़ गया. इसके बाद साथ जीने-मरने का वादा कर दोनों ने मंदिर में शादी कर ली. लेकिन अब इनकी परेशानियां और बढ़ने वाली थी.

परिजनों को नहीं था मंजूर
युवक के परिजनों को दोनों का रिश्ता मंजूर नहीं था. उन्होंने दोनों को अलग करने का का खूब प्रयास किया. वे इंद्रजीत को वापस उसके गांव ले आए और उसकी दूसरी शादी कराने का प्रयास किए. जब शांति को इस बात की जानकारी हुई, तो वह बागबाहरा थाने पहुंची. यहां उसे लिखित शिकायत देने को कहा गया. अपनी सहेलियों की मदद से शांति ने लिखित में शिकायत की, लेकिन फिर भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

थाना प्रभारी ने की मदद
इसके बाद भी शांति ने हार नहीं मानी और अपना प्यार पाने गरियाबंद जिले के छुरा थाने पहुंच गई. यहां थाना प्रभारी से उसने अपने सुहाग को दिलाने मिन्नतें की. थाना प्रभारी ने स्थितियों को देखते हुए युवक को और उसके परिजनों को बुलवाया. परिजनों को दिव्यांग बहू स्वीकार नहीं थी, लेकिन इंद्रजीत शांति के साथ ही अपना जीवन बिताना चाहता था. दोनों बालिग थे, इसलिए थाना प्रभारी ने परिजनों को दोनों को साथ रहने की समझाइश दी.

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इसके बाद भी जब परिजनों ने दोनों को घर में रखने से इंकार कर दिया, तब युवक शांति को लेकर बागबाहरा के एक गांव चला गया. यहां वह मजदूरी कर किसी तरह से अपना परिवार चला रहा है. शांति के दोनों हाथ नहीं है, लेकिन उनकी ये कमी उनके कामों के आड़े नहीं आती, वो हाथों से करने वाले सभी काम अपने पैरों से बखूबी कर लेती हैं.

मिसाल है ये प्रेम कहानी
शांति मिसाल है, उन लोगों के लिए जो शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम होने के बाद भी बहुत से काम नहीं करते हैं. ये सच्ची प्रेम कहानी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक है. सुनने वाले बस यही कहते हैं कि प्यार हो तो ऐसा. बड़ी बात यह है कि इतनी तकलीफों के बावजूद दिव्याग शांति अपने आप को खुशनसीब मानती हैं. कहते हैं कि प्यार कमियां नहीं देखता. जब प्यार हो जाता है, तो सौ तकलीफों के बाद भी एक दूसरे के सहारे जिंदगी आसान हो जाती है.

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Intro:गरियाबंद---- गरियाबंद जिले में दो प्यार करने वालों की एक ऐसी सच्ची कहानी सामने आई है जो किसी फिल्म से भी कहीं अधिक रोचक है......... इस कहानी को सुनकर आप मजबूरन हीं कह उठेंगे की..... प्यार हो तो ऐसा........ दुनिया के लिए मिसाल बन रही है यह अनोखी जोड़ी...... इन दिनों काफी तकलीफों से गुजर रही है फिर भी इनका प्यार कम होने की बजाए और बढ़ता जा रहा है...... जब सच्चा प्यार किसी से होता है तो वह न जाती देखता है ना मजहब देखता है ना उम्र देखता है और ना शरीर की कमजोरी और दिव्यांगता प्यार एक रूहानी ताकत है ना की जिस्म और सुंदरता के प्रति आकर्षण इसका ताजा तरीन उधारण इस वैलेंटाइन डे पर आप भी देखिए ईटीवी भारत के साथ --------अजब प्रेम की गजब कहानी-------


Body:यह सच्ची प्रेम कहानी है गरियाबंद जिले के छूरा के कोसमबड़ा गांव के एक युवक इंद्रजीत सोरी और बागबाहरा के एक गांव की युवती शांति माझी की एक रॉन्ग नंबर कॉल से शुरू हुई यह प्रेम कहानी कैसे परवान चढ़ी देखिए गरियाबंद संवाददाता फरहाज मेमन की इस रिपोर्ट में क्या है पूरा मामला---- एक युवक का फोन रॉन्ग नंबर अर्थात गलती से एक युवती को लग गया फिर बातें हुई और फोन पर दोस्ती हुई जो धीरे धीरे बात करते हुए प्यार में बदल गई लेकिन फिर युवती ने प्रेमी को बताया कि वह दिव्यांग है उसके दोनों हाथ है ही नहीं........ पहले तो युवक को विश्वास नहीं हुआ फिर युवक 100 किलोमीटर दूर युवती के गांव जा पहुंचा.... जहां दोनों हाथ के बगैर इस युवती को देख उसकी शारीरिक अक्षमताओ के बावजूद युवक का प्यार कम नहीं हुआ और अधिक बढ़ता चला गया युवक ने उसका पूरा साथ देने और साथ जीने मरने की कसमें खाई एक मंदिर में शादी कर ली फिर सामने आया जमाने का कठोर रूप रिश्ते नाते दारो ने दोनों को अलग करने का खूब प्रयास किया और युवक को वापस उसके गांव ले गरियाबंद जिले के छूरा ले आए जहां युवक के परिजनों ने लड़के की फिर से शादी कराने का प्रयास किया दिव्यांग युवती को इसका पता लगते हैं पहले युवती बागबाहरा थाने पहुंचे जहां दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद युवती को लिखकर शिकायत देने को कहा गया काफी परेशान होने के बाद अपनी कुछ सहेलियों से मदद मांग कर युवती ने लिखित में शिकायत दी फिर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसके बाद युवती ने गरियाबंद के छूरा थाने पहुंच गए यहां थाना प्रभारी से अपने सुहाग को दिलाने मिन्नतें करने लगि थाना प्रभारी ने स्थितियों को देखते हुए युवक के परिजनों और युवक को बुलवाया परिजन दिव्यांग बहू स्वीकार करने तैयार नहीं थे मगर युवक उस युवती के साथ ही अपना जीवन बिताना चाहता था दोनों बालिग थे इसलिए थाना प्रभारी ने दोनों को साथ रहे देने की समझाइश परिजनों को दी परिजनों ने अपने घर में नहीं रखने की बात कही तो युवक दिव्यांग युवती को लेकर बागबाहरा के 1 गांव चला गया जहां रोजी मजदूरी कर किसी तरह अपना परिवार चला रहा है इन सबके बीच दिव्यांग युवति किस तरह अपने सभी काम खुद करती है घर के काम निपटाती है उसे देख कर किसी निर्दयी आदमी का भी दिल पसीज जाए अपने पैरों से ही हाथ का भी काम लेती है खाना तक पैरों से खाती है बकायदा पैरों से ही छोटे बड़े सारे काम करती है और बिना हाथ के बिना किसी सहारे के ना सिर्फ खड़े होती है बल्कि काफी वजन वाले सामान उठाकर झुक कर चलती भी है युवती दिव्यांग का को अपने आड़े नहीं आने दिया और हर काम बखूबी खुद पूरा कर लेती है यह लड़की मिसाल है उन लोगों के लिए जो शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम होने के बावजूद बहुत से काम नहीं करते हैं और इस की सच्ची प्रेम कहानी तो पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक और सुनने वाले बस यही कहते हैं कि प्यार हो तो ऐसा बड़ी बात यह है कि इतनी तकलीफो के बावजूद दिव्याग लड़की अपने आप को खुशनसीब बताती है वह कहती है कि मेरे लिए अपने माता पिता को छोड़कर मेरे साथ रहने पति तैयार हो मैं बहुत भाग्यशाली हूं कहते हैं कि प्यार यह नहीं देखता की प्रेमी में क्या कमियां है जब प्यार हो जाता है तो 100 तकलीफों के बावजूद एक दूसरे को मदद करते हुए जीवन अच्छा लगने लगता है


Conclusion:बाइट--- शांति मांझी एवं इंद्रजीत सोरी--- प्रेमी युवक युवाति साथ बैठे हुए बाइट---इंदल राम एस आई थाना छुरा थाने में बैठे हूंए बाइट--- कुलेश्वर सिन्हा स्थानीय युवक छुरा पी टू सी--- फरहाज मेमन संवाददाता गरियाबंद
Last Updated : Feb 15, 2019, 11:43 AM IST
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