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मंत्री और ऑफिसर्स की मॉनिटरिंग के बावजूद सुपेबेड़ा में शो-पीस बने शौचालय

गरियाबंद में स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में पंचायत की ओर से शौचालय बनाए गए हैं, लेकिन मैदानी शासकीय अमले के लापरवाही की वजह से ग्रामीण इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

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Published : Oct 7, 2019, 12:44 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 2:03 PM IST

सुपेबेड़ा में नहीं हो रहा शौचालयों का उपयोग

गरियाबंद: जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायत ने गांव में शौचालयों के निर्माण कराए हैं, लेकिन उसकी गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है. शौचालय की हालत ऐसी हो गई है कि ग्रामीण इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर हैं.

सुपेबेड़ा में शो-पीस बन के रह गए शौचालय

बता दें कि सुपेबेड़ा के विकास कार्यों की मॉनिटरिंग सीधे मंत्री और आला अफसरों की निगरानी में होती है, उसके बावजूद भी मैदानी शासकीय अमला ऐसे कारनामे दिखाने से बाज नहीं आ रहा है.

सुपेबेड़ा में शौचालय का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन शौचालयों में न तो दरवाजे हैं और न ही पानी. इतना ही नहीं शौचालय को गांव के बाहर बनाए गए हैं, जिसके कारण ग्रामीण इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

गरियाबंद: जिले में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायत ने गांव में शौचालयों के निर्माण कराए हैं, लेकिन उसकी गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है. शौचालय की हालत ऐसी हो गई है कि ग्रामीण इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. शौच के लिए खुले में जाने को मजबूर हैं.

सुपेबेड़ा में शो-पीस बन के रह गए शौचालय

बता दें कि सुपेबेड़ा के विकास कार्यों की मॉनिटरिंग सीधे मंत्री और आला अफसरों की निगरानी में होती है, उसके बावजूद भी मैदानी शासकीय अमला ऐसे कारनामे दिखाने से बाज नहीं आ रहा है.

सुपेबेड़ा में शौचालय का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन शौचालयों में न तो दरवाजे हैं और न ही पानी. इतना ही नहीं शौचालय को गांव के बाहर बनाए गए हैं, जिसके कारण ग्रामीण इसका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

Intro:-दीपक तले अंधेरा

एंकर--सरकार गरियाबंद के किडनी प्रभावित सुपेबेडा के हालात बदलना चाहती है और ग्रामीणों की हर संभव मदद करने को तैयार है मगर मैदानी शसाकीय अमला सरकार की मंशा पर पलीता लगाने में कोई कोर कसर नही छोड रहा है, सुपेबेडा में जो शौचालय निर्माण हुआ है उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है, कि आज तक उनका किसी ने उपयोग किया है बिना दरवाजे और बिना पानी के शौचालय गांव के बाहर इस तरह बनाए गए हैं कि लगता है शौचालयों का ही एक पूरा मोहल्ला मौजूद है

Body: वीओ--स्वच्छ भारत मिशन के तहत पंचायत द्वारा गॉव में जो शौचालय निर्माण करवाये गये है उनमें गुणवत्ता का कोई ख्याल नही रखा गया, शौचालय सिर्फ कागजी खानापूर्ति बनकर रह गये ग्रामीण इनका इस्तेमाल नही करते बल्कि आज भी शौच के लिए खुले में ही जाने को मजबूर है, सबसे अहम बात ये है कि सुपेबेडा के विकासकार्यो की मॉनिटरिंग सीधे मंत्री और आला अफसरों की नगरानी में होती है उसके बावजूद भी मैदानी शासकीय अमला अपने कारनामे दिखाने से बाज नही आ रहे है।


Conclusion:बाइट 1----पंचायत सचिव, सुपेबेडा..........

बाइट 2---केएस नागेश, सीईओ, जनपद पंचायत देवभोग................
Last Updated : Oct 7, 2019, 2:03 PM IST
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