गरियाबंद : इंसानी रिश्तों को तार तार करने के कई मामले यूं तो सामने आते रहते हैं.लेकिन जो वाक्या हम आपको बताने और दिखाने जा रहे हैं.वो अपने आप में अनोखा है.क्योंकि इसमें बुजुर्ग को उसके बेटों ने मरने के लिए श्मशान में छोड़ दिया. जिस बाप की उंगली पकड़कर बेटे चलना सीखते हैं. जिनके कंधे पर बैठ कर दुनिया देखते हैं. उसी बाप को घर से निकालकर बेटे अपने से दूर छोड़ आए. इसकी वजह थी एक बीमारी जिसकी जानकारी ना होने पर गांववालों के कहने पर ऐसा खतरनाक निर्णय लिया गया.जब एक समाजसेवी को इसकी सूचना मिली तो बुजुर्ग तक मदद पहुंची.
क्या है पूरी घटना : मैनपुर विकासखंड के मदागंमुडा निवासी गोन्चू यादव को गैंग्रीन बीमारी हो गई. इलाज के बाद भी जब फायदा नहीं हुआ तो गांववालों ने इसे कुष्ठरोग माना और पूरे गांव में बीमारी फैलने की आशंका जताई.यदि ऐसे में गोन्चू की मौत होती तो उसकी अर्थी को कोई कंधा देने भी नहीं पहुंचता.क्योंकि गांववालों को लगता कि बीमारी उन तक भी फैल जाएगी.
श्मशान में बना दी झोपड़ी : ग्रामीणों ने परिवार से राय मशविरा करने के बाद गोन्चू को गांव के श्मशान के पास ही रहने के लिए कहा. बच्चों ने भी गैंग्रीन को कुष्ठ रोग मानकर अपने पिता के लिए श्मशान के पास एक झोपड़ी बना दी. इस झोपड़ी में गोन्चू के लिए जरुरत का सामान रखा गया.गोन्चू की पत्नी एक बर्तन में रोजाना गोन्चू के लिए खाना रख आती.बस इंतजार था गोन्चू की मौत का.
समाजसेवी ने पहुंचाई मदद : इस घटना की जानकारी जैसे ही गांव के समाजसेवी गौरी शंकर कश्यप को लगी तो उन्होंने तत्काल मौके पर पहुंचकर गोन्चू की सुध ली.इसके बाद मीडिया के माध्यम से मैनपुर स्वास्थ्य केंद्र तक सूचना पहुंची.जहां से डॉक्टरों ने आकर बीमार गोन्चू का परीक्षण किया. जिसमें पता चला कि उसे गैंग्रीन है.डॉक्टरों के दल ने तत्काल उसका वहीं पर इलाज करते हुए उसे गरियाबंद स्वास्थ्य केंद्र में लाकर भर्ती कराया.
ये भी पढ़ें- गरियाबंद में मिली चार आंखों वाली मछली
क्या है गैंग्रीन और कुष्ठ रोग में फर्क :आपको बता दें कि गैंग्रीन और कुष्ठ रोग में फर्क यही होता है कि कुष्ठ रोग में जब घाव होते हैं तो दर्द बिल्कुल नहीं होता.जबकि गैंग्रीन में जब घाव होते हैं तो रोगी को काफी दर्द महसूस होता है. अब गोन्चू को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है. जहां पर उसका इलाज किया जा रहा है. उम्मीद है कि गोन्चू जल्द ही स्वस्थ्य होकर गांव वापस लौटेगा.