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गरियाबंद में भटककर गांव पहुंचा था चीतल, आवारा कुत्तों ने मार डाला - Chital died in Gariaband

गरियाबंद के छुरा विकासखंड में जंगलों से भटककर एक चीतल पानी की तलाश में तौरंगा गांव पहुंचा, जहां आवारा कुत्तों ने हिरण को नोच-नोचकर मार डाला. बीते 3 महीनों में जिले में वन्यजीवों की मौत के मामले बढ़े हैं, जिसके कारण वन विभाग भी सवालों के घेरे में है.

Chital deer
चीतल हिरण
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Published : May 25, 2021, 12:37 PM IST

गरियाबंद: वन्यजीवों की मौत या शिकार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वहीं गर्मी के मौसम में पानी और भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में वन्यजीवों के पहुंचने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. ताजा मामला गरियाबंद के छुरा विकासखंड के तौरंगा गांव का है, जहां एक चीतल भटककर आ गया और आवारा कुत्तों का शिकार हो गया. चीतल जान बचाने के लिए भागा भी था, लेकिन वो तार में फंस गया. जिसके बाद कुत्तों ने उसे मार डाला.

लोगों ने किया बचाने का प्रयास

जब कुत्तों ने चीतल को घेरकर मारने का प्रयास किया, तो उसकी आवाज सुनकर ग्रामीण इकट्ठा हो गए. उन्होंने चीतल को बचाने की कोशिश की. लेकिन तब तक कुत्तों ने उसे काफी घायल कर दिया था. तार काटकर ग्रामीणों ने उसे बाहर निकाला और पानी पिलाया, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी. ग्रामीणों ने घटना की जानकारी तत्काल वन विभाग को दी, लेकिन वन विभाग की टीम को पहुंचने में वक्त लग गया. टीम के पहुंचने तक हिरण की मौत हो गई थी.

बेमेतरा के भनसुली गांव में दिखा हिरण, देखें VIDEO

वन विभाग का कहना है कि जंगल में नहीं है पानी की कमी

इस घटना के बाद जहां एक ओर ग्रामीणों का कहना है कि चीतल प्यासा होने के कारण गांव की ओर आया होगा. वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगल में पर्याप्त पानी है. तौरंगा गांव के पास ही बांध है. हिरण को प्यास लगती तो वो उस ओर रुख कर लेता, गांव नहीं आता.

उदंती में वन्यजीवों की कमी

एक समय था जब प्रदेशवासी गरियाबंद के घनघोर जंगल और यहां के जंगली जीव-जंतुओं से काफी आकर्षित हुआ करते थे और अक्सर जंगल की सैर-सपाटे के लिए जिले में आना पसंद करते थे. लेकिन बीते कुछ सालों से वन्यजीव कम हो गए हैं. जिससे लोगों का यहां आना कम हो गया है. हालांकि यहां अब भी जंगलों की सुंदरता में कोई कमी नहीं आई है, लेकिन वन्यजीवों के कम होने से टूरिज्म प्रभावित हुआ है.

उदंती अभयारण्य वन भैंसे के लिए जाना जाता है. वहीं गौर, खरगोश, चीतल, तेंदुआ, हिरण, बारहसिंगा, भालू के अलावा कई जंगली जीव-जंतु बड़े पैमाने में इस अभयारण्य में पाए जाते थे, लेकिन लगातार बढ़ते शहरीकरण की वजह से जंगलों को काटा जा रहा है. जिससे जानवरों के निवास के लिए जगह की कमी होती जा रही है. यही कारण है कि जानवर हरियाली की तलाश में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं. जिसके बाद आवारा कुत्तों, करंट या अन्य किसी अनहोनी का शिकार हो जाते हैं.

गरियाबंद में कोटरी और हिरण का शिकार करने वाले 16 आरोपी भेजे गए जेल

वन्यजीवों की सुरक्षा पर दिया जाए ध्यान

फिलहाल वन विभाग ने चीतल के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. वहीं जिले में वन्यजीवों की मौत के मामले बढ़े हैं. इनमें शिकार और अज्ञात कारणों से मौत की घटनाएं शामिल हैं, जिन्हें रोकने का प्रयास करना होगा.

गरियाबंद: वन्यजीवों की मौत या शिकार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वहीं गर्मी के मौसम में पानी और भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में वन्यजीवों के पहुंचने के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. ताजा मामला गरियाबंद के छुरा विकासखंड के तौरंगा गांव का है, जहां एक चीतल भटककर आ गया और आवारा कुत्तों का शिकार हो गया. चीतल जान बचाने के लिए भागा भी था, लेकिन वो तार में फंस गया. जिसके बाद कुत्तों ने उसे मार डाला.

लोगों ने किया बचाने का प्रयास

जब कुत्तों ने चीतल को घेरकर मारने का प्रयास किया, तो उसकी आवाज सुनकर ग्रामीण इकट्ठा हो गए. उन्होंने चीतल को बचाने की कोशिश की. लेकिन तब तक कुत्तों ने उसे काफी घायल कर दिया था. तार काटकर ग्रामीणों ने उसे बाहर निकाला और पानी पिलाया, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी. ग्रामीणों ने घटना की जानकारी तत्काल वन विभाग को दी, लेकिन वन विभाग की टीम को पहुंचने में वक्त लग गया. टीम के पहुंचने तक हिरण की मौत हो गई थी.

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वन विभाग का कहना है कि जंगल में नहीं है पानी की कमी

इस घटना के बाद जहां एक ओर ग्रामीणों का कहना है कि चीतल प्यासा होने के कारण गांव की ओर आया होगा. वहीं वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जंगल में पर्याप्त पानी है. तौरंगा गांव के पास ही बांध है. हिरण को प्यास लगती तो वो उस ओर रुख कर लेता, गांव नहीं आता.

उदंती में वन्यजीवों की कमी

एक समय था जब प्रदेशवासी गरियाबंद के घनघोर जंगल और यहां के जंगली जीव-जंतुओं से काफी आकर्षित हुआ करते थे और अक्सर जंगल की सैर-सपाटे के लिए जिले में आना पसंद करते थे. लेकिन बीते कुछ सालों से वन्यजीव कम हो गए हैं. जिससे लोगों का यहां आना कम हो गया है. हालांकि यहां अब भी जंगलों की सुंदरता में कोई कमी नहीं आई है, लेकिन वन्यजीवों के कम होने से टूरिज्म प्रभावित हुआ है.

उदंती अभयारण्य वन भैंसे के लिए जाना जाता है. वहीं गौर, खरगोश, चीतल, तेंदुआ, हिरण, बारहसिंगा, भालू के अलावा कई जंगली जीव-जंतु बड़े पैमाने में इस अभयारण्य में पाए जाते थे, लेकिन लगातार बढ़ते शहरीकरण की वजह से जंगलों को काटा जा रहा है. जिससे जानवरों के निवास के लिए जगह की कमी होती जा रही है. यही कारण है कि जानवर हरियाली की तलाश में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं. जिसके बाद आवारा कुत्तों, करंट या अन्य किसी अनहोनी का शिकार हो जाते हैं.

गरियाबंद में कोटरी और हिरण का शिकार करने वाले 16 आरोपी भेजे गए जेल

वन्यजीवों की सुरक्षा पर दिया जाए ध्यान

फिलहाल वन विभाग ने चीतल के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. वहीं जिले में वन्यजीवों की मौत के मामले बढ़े हैं. इनमें शिकार और अज्ञात कारणों से मौत की घटनाएं शामिल हैं, जिन्हें रोकने का प्रयास करना होगा.

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