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SPECIAL: छग का अमृत कुंड, इसका पानी अंग्रेजों से लेकर अटलजी तक ने आखिर क्यों पीया

आपने कुएं का पानी तो पीया ही होगा. अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें भला नया क्या है, ऐसा तो हर किसी ने किया है, तो हम आपको एक ऐसे गांव लेकर चलेंगे जहां मौजूद एक कुएं का पानी पीने के बाद आपके पेट में मौजूद सारी बीमारियां छू मंतर हो जाएंगी.

अमृतकुंड
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Published : Jun 22, 2019, 5:50 PM IST

Updated : Jun 22, 2019, 6:00 PM IST

गरियाबंद: मैनपुर ब्लॉक के तौरंगा गांव में मौजूद कुएं का पानी पीने आस-पास के लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग आते हैं. इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक इसके पानी के कद्रदान रहे हैं और शायद यही वजह है कि गांव और उसके आस-पास के लोग इसे अमृत कुंड के तौर पर जानते हैं.

स्टोरी पैकेज

'कभी नहीं सूखता कुएं का पानी'
गांववालों का कहना है कि, इस कुएं का पानी मीठा और एकदम मिनरल वाटर की तरह साफ है. इस लोगों का यह भी कहना है कि चाहे इलाके में अकाल ही क्यों न पड़ जाए लेकिन इस कुएं का पानी कभी सूखता नहीं.

'दूर होती है पेट की बीमारी'
इस कुएं को सन 1818 में ब्रिटिश हुकूमत के वक्त बनवाया गया था. ग्रामीण बताते हैं कि इस कुएं का पानी औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण अंग्रेज अपने बड़े अधिकारियों के लिए इसे भेजते थे और बड़े अधिकारी भी ऐसा मानते थे कि यहां का पानी पीने से वे कम से कम पेट की बीमारी से हमेशा दूर रहते थे.

नहीं होती कुएं की सफाई
इस पानी की खासियत यह है कि वो गंदा नहीं होता, चाहे इसे बोतल में बंद कर कितने भी दिनों तक रख सकते हैं, क्योंकि ये न कभी गंदा नहीं होता. इस कुएं की सफाई नहीं की जाती, बस कभी-कभार इसपर पड़ी पत्तियों को बाहर निकाला जाता है.

इस पानी से नहाने से दूर होता है चर्म रोग
ऐसा कहा जाता है कि इस कुएं के पानी से नहाने से चर्म रोग और पीने से पेट संबंधी रोग ठीक हो जाता है. यही वजह है कि इस कुएं से आज भी लोग भरकर अपने साथ ले जाते हैं. 1993 में ओडिशा में कालाहांडी ने चुनाव प्रचार कर वापस जाते समय पूर्व प्रधामंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गांव में अंग्रेजों की ओर से बनवाए रेस्ट हाउस में रुके थे और जब लोगों ने इस कुएं के पानी की खासियत ग्रामीणों की ओर से उन्हें बताई गई. अटल जी इससे इतने प्रभावित हुए कि, यहां से जाते वक्त वो अपने साथ यहां का पानी लेकर गए थे.

ऐतिहासिक धरोहर मानते हैं लोग
201 साल पुराना यह कुआं अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए है. ऐसी ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की जरूरत है. इसके साथ ही प्रशासन को इसके पानी को हो रहे दावों की सच्चाई जानने के लिए भी प्रयास करना चाहिए.

गरियाबंद: मैनपुर ब्लॉक के तौरंगा गांव में मौजूद कुएं का पानी पीने आस-पास के लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग आते हैं. इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक इसके पानी के कद्रदान रहे हैं और शायद यही वजह है कि गांव और उसके आस-पास के लोग इसे अमृत कुंड के तौर पर जानते हैं.

स्टोरी पैकेज

'कभी नहीं सूखता कुएं का पानी'
गांववालों का कहना है कि, इस कुएं का पानी मीठा और एकदम मिनरल वाटर की तरह साफ है. इस लोगों का यह भी कहना है कि चाहे इलाके में अकाल ही क्यों न पड़ जाए लेकिन इस कुएं का पानी कभी सूखता नहीं.

'दूर होती है पेट की बीमारी'
इस कुएं को सन 1818 में ब्रिटिश हुकूमत के वक्त बनवाया गया था. ग्रामीण बताते हैं कि इस कुएं का पानी औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण अंग्रेज अपने बड़े अधिकारियों के लिए इसे भेजते थे और बड़े अधिकारी भी ऐसा मानते थे कि यहां का पानी पीने से वे कम से कम पेट की बीमारी से हमेशा दूर रहते थे.

नहीं होती कुएं की सफाई
इस पानी की खासियत यह है कि वो गंदा नहीं होता, चाहे इसे बोतल में बंद कर कितने भी दिनों तक रख सकते हैं, क्योंकि ये न कभी गंदा नहीं होता. इस कुएं की सफाई नहीं की जाती, बस कभी-कभार इसपर पड़ी पत्तियों को बाहर निकाला जाता है.

इस पानी से नहाने से दूर होता है चर्म रोग
ऐसा कहा जाता है कि इस कुएं के पानी से नहाने से चर्म रोग और पीने से पेट संबंधी रोग ठीक हो जाता है. यही वजह है कि इस कुएं से आज भी लोग भरकर अपने साथ ले जाते हैं. 1993 में ओडिशा में कालाहांडी ने चुनाव प्रचार कर वापस जाते समय पूर्व प्रधामंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गांव में अंग्रेजों की ओर से बनवाए रेस्ट हाउस में रुके थे और जब लोगों ने इस कुएं के पानी की खासियत ग्रामीणों की ओर से उन्हें बताई गई. अटल जी इससे इतने प्रभावित हुए कि, यहां से जाते वक्त वो अपने साथ यहां का पानी लेकर गए थे.

ऐतिहासिक धरोहर मानते हैं लोग
201 साल पुराना यह कुआं अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुए है. ऐसी ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की जरूरत है. इसके साथ ही प्रशासन को इसके पानी को हो रहे दावों की सच्चाई जानने के लिए भी प्रयास करना चाहिए.

Intro:पैकेज लायक स्टोरी है।

अमृतकुंड: 201 साल पुराना कुआ, जहाँ का जल पीते थे अंग्रेज,


एंकर--- कुंड अर्थात कुंआ तो आपने कितने ही देखे होंगे ,वहां का पानी भी पीया होंगा, लेकिन हम आपको जिस कुएं के बारे में बताने जा रहे हैं उसका इतिहास और उसकी विशेषताएं जानकर आप निश्चित ही हैरान हो जाएंगे जी हां एक ऐसा कुआं जिसका पानी अपने समय में बड़े बड़े अंग्रेज शासक और अधिकारी मंगवा कर पिया करते थे और आज भी इसके कदरदान दूर-दूर तक है अटल बिहारी वाजपेई भी अपने साथ जरकिन में ले गए थे यहां से पानी... वैसे यहां के ग्रामीण इसे अमृत कुंड का नाम दे चुके हैं

Body:वीओ--
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक ऐसा कुंआ है जहां का पानी अमृत के समान है जिसे रोज पीने से पेट संबंधी बीमारी जल्द ही ठीक हो जाता है ,पीने से मीठा शीतल मिनरल वाटर जैसे साफ। लगता है आजतक उस कुंआ का कभी जल खतम नही होता यह कुआं कभी सूखता नहीं चाहे कितनी भी अकाल पड़ जाए ।

वीवो आज आपको ऐसे कुंआ के बारे में बताने जा रहे हैं जहां का पानी पीने के लिए एक वक्त में विदेशी लोग भी तरसते हैं दूर-दूर से मंगा कर पिया करते थे । ये कुंआ है गरियाबंद जिले के मैनपुर ब्लाक के तौरंगा ग्राम में , इस कुंआ की खासियत ये है कि ब्रिटिश शासन काल मे सन 1818 में इस कुंआ की खुदाई कर बनवाया गया है वहाँ के लोग बताते हैं कि इस कुंआ का पानी औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण अंग्रेज अपने बड़े अधिकारियों के लिए भेजते थे और बड़े अधिकारी भी ऐसा मानते थे कि यहां का पानी पीने से वे कम से कम पेट की बीमारी से काहमेशा स्वस्थ रहते थे । अब इसकी खासियत भी सुन लीजिए इस कुएं का पानी कभी भी गंदा नही होता चाहे बोतल में कितने भी दिनों तक रख सकते हैं । बिल्कुल गंगा जल की तरह पानी पीने के बाद पेट भारी नहीं बल्कि और हल्का लगता है तेज गर्मी में भी स्कूल से हमेशा ठंडा पानी ही निकलता है कुए का वाटर लेवल कभी भी 30 फीट से नीचे जाता ही नहीं चाहे कितनी भी गर्मी क्यों ना पड़े हर तरफ जल संकट हो जाए मगर यह हुआ हर समय एक ही लेबल पर पानी इसमें बना रहता है इस कुएं के पानी के औषधीय गुणों की प्रसिद्धि के चलते आज भी देश के कई कोनो के लोग जो इस कुएं की राज जानते हैं वे बड़े डिब्बों में भरकर ले जाते हैं । इसके बारे में यह प्रसिद्ध है और बताया जाता है कि आज तक इस कुएं को साफ करना नही पड़ा है । बस ऊपर से गिरी पत्तियों को कभी-कभार निकलवाया जाता है ऐसा प्रसिद्ध है कि इस कुएं के पानी से नहाने से चर्म रोग और पीने से पेट संबंधी रोग सब ठीक हो जाता है । यही कारण है कि देवभोग रायपुर मार्ग पर स्थित इस कुएं से आज भी कई बाहरी लोग पानी भर कर अपने साथ ले जाते हैं वैसे सन 1993 में उड़ीसा में कालाहांडी ने चुनाव प्रचार कर वापस जाते समय अटल बिहारी वाजपेई इस गांव में अंग्रेजों द्वारा बनवाए गए रेस्ट हाउस में रुके थे और यहां का पानी पीने के बाद जब उन्हें इसकी खासियत बताई गई तो उन्होंने जरकिन मंगवाई और अपने साथ यहां का पानी लेकर भी गए थे

Conclusion:वैसे 201 साल पुराना यह कुआं अपने आप में इतिहास के कई पन्ने समेटे हुआ है ऐसे ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की जरूरत है वही इसके पानी को लेकर किए जाने वाले कई दावों की सच्चाई जानने के लिए भी प्रयास होना चाहिए।

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Last Updated : Jun 22, 2019, 6:00 PM IST
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