गरियाबंद: जिला कोविड अस्पताल में आज एक अज्ञात व्यक्ति की मौत हो गई. जिसका अंतिम संस्कार गरियाबंद के समाजसेवी युवाओं ने किया है. युवाओं का दल गरियाबंद में लगातार लावारिस शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. कई परिवार कोरोना के डर के कारण अंतिम संस्कार से बच रहे हैं, ऐसे शव का अंतिम संस्कार भी गरियाबंद के युवा कर रहे हैं.
युवा जानते हैं कि कोरोना संक्रमित मृतकों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में उन्हें भी कोरोना हो सकता है, लेकिन वो समाजसेवा से पीछे नहीं हटना चाहते हैं. इनमें ताहिर खान, सन्नी मेमन, हसन रजा, अरबाज खान, पुनाराम यादव, इमरान अली के साथ कुछ अन्य युवक शामिल हैं.
जिला मुख्यालय में नहीं मिल पाया शव वाहन
अज्ञात व्यक्ति बीते कुछ सालों से इंदागांव थानापारा क्षेत्र के जंगल में रहता था. वह कहां से आया और उसका क्या नाम था, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. एक अज्ञात व्यक्ति के बीमार होने पर इंदागांव पुलिस ने उसे जिला कोविड अस्पताल में भर्ती कराया था. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. कोविड अस्पताल प्रबंधन से परिवारिक जानकारी नहीं मिलने पर सिटी कोतवली ने मर्ग कायम किया. जिसकी जानकारी के पश्चात प्रशासन ने इन युवाओं से सहयोग लिया, लेकिन जिले में शव वाहनों की हालत बेहद खराब है. यहां 10-10 साल पुराने शव वाहनों का प्रयोग हो रहा है. जो समय पर ठीक से काम भी नहीं दे पा रहे हैं.
अंतिम संस्कार से पहले शव देखा ताे रह गए हैरान, भागे अस्पताल
युवा जब शव के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे तो उन्हें शव वाहन नहीं मिल सका. शव वाहन की उपलब्धता न होने के कारण मरीजों को ले जाने वाले एक एंबुलेंस को शव वाहन के रूप में इस्तेमाल किया गया. अंतिम संस्कार के लिए शव को एंबुलेंस से भेजा गया. तब जाकर उसका अंतिम संस्कार संभव हो पाया.
10 मृतकों का किया अंतिम संस्कार
शहर के समाजसेवी युवाओं ने कोविड प्रोटोकॉल तहत मृतक का टोनही नाला के पास कफन दफन किया. युवकों का दल अबतक ऐसे 10 करोना मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुका है. खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर युवक मुस्लिम समाज के हैं जो पूरी तरह से समर्पण भावना से अपनी जान को जोखिम में डालकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं. इनके कार्यों की पूरे जिले में इसकी प्रशंसा हो रही है.
500 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कराने वाले प्रवीण कुमार की कोरोना से मौत
क्या कहते हैं युवा?
समाजसेवी युवकों के प्रमुख ताहिर खान कहते हैं कि वर्तमान दौर संक्रमण का दौर है. कई शवों का अंतिम संस्कार ठीक से नहीं हो पा रहा है. ऐसे मामले देखकर कई बार हम परेशान हो जाया करते थे. ऐसे में हम सबने ठाना कि अंतिम संस्कार में हो रही दिक्कतों को कम करने के लिए हम काम करेंगे. हम उन्हें सम्मान के साथ अंतिन विदाई देंगे. सन्नी मेमन उनके ग्रुप को काफी मदद करते हैं. सन्नी से हुई चर्चा के अनुसार उन्होंने तय किया उन्हें ये सेवा करनी है. इस सेवा के लिए उनका ग्रुप लगभग 10 से 20 लोगों का है. जब भी कहीं से कोई खबर आती है वे 100 किलोमीटर दूर जाकर भी अंतिम संस्कार कर रहे हैं.