गरियाबंद: कराटे एक कला तो है लेकिन इसके साथ ही ये आत्मरक्षा का एक बड़ा हथियार भी है. खासकर महिलाओं और युवतियों के लिए आत्मरक्षा का ये कला बहुत ही कारगर साबित हो सकती है. इसी सोच और जज्बे के साथ गरियाबंद की कुछ स्कूली छात्राएं गर्मियों में भी पसीना बहा कर ये कला सीख रही हैं.
सेल्फ डिफेंस में माहिर बन रही छात्राएं
स्कूल की छुट्टियों के बाद भी चिलचिलाती गर्मी में पसीना बहा रही इन छात्राओं की तस्वीर गरियाबंद के देवभोग कस्तूरबा गांधी आश्रम की है. ये छात्राएं छुट्टियों में मौज मस्ती करने के बजाय कराटे की ट्रेनिंग ले रही हैं. इनका मकसद है कि ये सेल्फ डिफेंस में माहिर बनें और अपने साथियों को भी आत्मरक्षा के गुर सिखाएं.
निशुल्क ट्रेनिंग दे रही कराटे कोच बरखा राजपूत
स्कूल की इन छात्राओं को ये ट्रेनिंग कोच बरखा राजपूत द्वारा निशुल्क दी जा रही है. बरखा समय-समय पर देवभोग पहुंचकर इन छात्राओं को कराटे के गुर सिखाती हैं. साथ ही अच्छी खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं में भेजने की जिम्मेदारी भी निभाती हैं. बरखा का कहना है कि 20 दिन की ट्रेनिंग के बाद अब ये छात्राएं इतनी निपुण हो चुकी हैं कि किसी के भी दांत खट्टे कर सकती हैं. इन्हीं छात्राओं में से मीनाक्षी साहू और पदमलता कराटे प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर देवभोग और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर चुकी हैं.
थाना प्रभारी ने किया छात्राओं को सम्मानित
कराटे प्रशिक्षण ले रही इन छात्राओं पर थाना प्रभारी सत्येन्द्र श्याम की नजर पड़ी तो उन्होंने अन्य छात्राओं को भी प्रेरित करने के लिए देवभोग कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में कस्तुरबा गांधी की यहां इन नन्ही छात्राओं ने कॉलेज की छात्राओं के सामने अपने कौशल का प्रदर्शन किया. साथ ही उन्हें कराटे सीखने पर मजबूर कर दिया. इस दौरान थाना प्रभारी ने कराटे की इन नन्ही खिलाड़ियों को सम्मानित भी किया.
ट्रेनिंग के बाद छात्राओं के हौसलें देखकर लगता है कि अब इन्हें किसी की मदद की जरुरत नहीं है. ये छात्राएं अपनी सुरक्षा तो कर ही सकती है साथ ही दुसरों की मदद भी बेहतर ढंग से कर सकती हैं.