ETV Bharat / state

अब नहीं चलेगी सरपंच पतियों की मनमानी, जिपं CEO ने जारी किया आदेश

गरियाबंद जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह ने 25 अप्रैल को एक आदेश जारी किया है, जिसमें उऩ्होंने पंचायती राज संस्थाओं में पदस्थ निर्वाचित महिला पदाधिकारियों के कामकाज के संचालन में उनके सगे-संबंधियों के हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाया है.

sarpanch husband will not act arbitrarily in gariaband
जिला सीईओ ने जारी किया आदेश
author img

By

Published : Apr 28, 2020, 12:16 AM IST

गरियाबंद: ग्राम पंचायतों में अक्सर देखा जाता है कि महिला सरपंच और पंच के पतियों की ओर से अक्सर पंचायतों के कामों में ना सिर्फ दखलअंदाजी की जाती है, बल्कि अपने आप को सरपंच प्रतिनिधि बताकर पंचायत और जनपद पंचायत की बैठकों में उपस्थित भी रहा जाता है, लेकिन अब गरियाबंद जिले में ऐसा नहीं हो सकेगा.

sarpanch husband will not act arbitrarily in gariaband
जिला सीईओ ने जारी किया आदेश

महिला सरपंचों और पंचों के कामकाज में उनके सगे-संबंधियों की दखलअंदाजी कोई नई बात नहीं है. महिला प्रतिनिधियों से ज्यादा उनके परिजनों का पंचायत कार्यों में हस्तक्षेप बढ़ने लगा हैं, मगर इस बार ऐसे सरपंच और पंच के पतियों के मंसूबे कामयाब होने वाले नहीं हैं, क्योंकि जिला पंचायत सीईओ ने एक आदेश जारी कर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है.

सरपंच पति नहीं करेंगे हस्तक्षेप

जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह ने 25 अप्रैल को एक आदेश जारी किया है, जिसमें उऩ्होंने पंचायती राज संस्थाओं में पदस्थ निर्वाचित महिला पदाधिकारियों के कामकाज संचालन में उनके सगे-संबंधियों के हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाया है. आदेश में उऩ्होंने कहा कि पंचायती कामकाज संचालन के दौरान पंचायत कार्यालय परिसर के भीतर महिला पंचायत पदाधिकारियों को उनके कोई भी सगे संबंधी, रिश्तेदार पंचायत के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप और दखलअंदाजी नहीं करेंगे.

किसी विषय पर किसी भी पदाधिकारी या कर्मियों को महिला पंचायत पदाधिकारी की ओर से निर्णय लेकर सुझाव, निर्देश नही देंगे. ऐसा करते पाए जाने पर संबंधित महिला पंचायत पदाधिकारी के खिलाफ पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, इसके लिए उऩ्होंने जिले की सभी महिला पंचायत पदाधिकारियों को पालन सुनिश्चित करने के लिए आदेशित किया है. इस आदेश का उल्लंघन होने पर संबंधित पंच, सरपंच प्रतिनिधियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई है.

निर्णय लेने में महिला सरपंच होगी सक्षम

बता दें कि पंचायती राज अधिनियम के तहत जिले की पंचायतों में महिला पदाधिकारियों की भागीदारी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, ताकि निर्वाचित महिला पंचायत पदाधिकारियों को पंचायतों के कामकाज, नियोजन, क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण, नियंत्रण में खुद निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके. भारत सरकार पंचायती राज नई दिल्ली भी इसे लेकर गंभीर है और समय-समय पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों को सक्षम बनाने की दिशा में इस तरह के कदम उठाता रहता है.

गरियाबंद: ग्राम पंचायतों में अक्सर देखा जाता है कि महिला सरपंच और पंच के पतियों की ओर से अक्सर पंचायतों के कामों में ना सिर्फ दखलअंदाजी की जाती है, बल्कि अपने आप को सरपंच प्रतिनिधि बताकर पंचायत और जनपद पंचायत की बैठकों में उपस्थित भी रहा जाता है, लेकिन अब गरियाबंद जिले में ऐसा नहीं हो सकेगा.

sarpanch husband will not act arbitrarily in gariaband
जिला सीईओ ने जारी किया आदेश

महिला सरपंचों और पंचों के कामकाज में उनके सगे-संबंधियों की दखलअंदाजी कोई नई बात नहीं है. महिला प्रतिनिधियों से ज्यादा उनके परिजनों का पंचायत कार्यों में हस्तक्षेप बढ़ने लगा हैं, मगर इस बार ऐसे सरपंच और पंच के पतियों के मंसूबे कामयाब होने वाले नहीं हैं, क्योंकि जिला पंचायत सीईओ ने एक आदेश जारी कर इनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है.

सरपंच पति नहीं करेंगे हस्तक्षेप

जिला पंचायत सीईओ विनय कुमार लंगेह ने 25 अप्रैल को एक आदेश जारी किया है, जिसमें उऩ्होंने पंचायती राज संस्थाओं में पदस्थ निर्वाचित महिला पदाधिकारियों के कामकाज संचालन में उनके सगे-संबंधियों के हस्तक्षेप पर प्रतिबंध लगाया है. आदेश में उऩ्होंने कहा कि पंचायती कामकाज संचालन के दौरान पंचायत कार्यालय परिसर के भीतर महिला पंचायत पदाधिकारियों को उनके कोई भी सगे संबंधी, रिश्तेदार पंचायत के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप और दखलअंदाजी नहीं करेंगे.

किसी विषय पर किसी भी पदाधिकारी या कर्मियों को महिला पंचायत पदाधिकारी की ओर से निर्णय लेकर सुझाव, निर्देश नही देंगे. ऐसा करते पाए जाने पर संबंधित महिला पंचायत पदाधिकारी के खिलाफ पंचायती राज अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी, इसके लिए उऩ्होंने जिले की सभी महिला पंचायत पदाधिकारियों को पालन सुनिश्चित करने के लिए आदेशित किया है. इस आदेश का उल्लंघन होने पर संबंधित पंच, सरपंच प्रतिनिधियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही गई है.

निर्णय लेने में महिला सरपंच होगी सक्षम

बता दें कि पंचायती राज अधिनियम के तहत जिले की पंचायतों में महिला पदाधिकारियों की भागीदारी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, ताकि निर्वाचित महिला पंचायत पदाधिकारियों को पंचायतों के कामकाज, नियोजन, क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण, नियंत्रण में खुद निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके. भारत सरकार पंचायती राज नई दिल्ली भी इसे लेकर गंभीर है और समय-समय पर महिला पंचायत प्रतिनिधियों को सक्षम बनाने की दिशा में इस तरह के कदम उठाता रहता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.