गरियाबंद: दूसरों के घर रोशन करने वालों का भविष्य इस दीपावली अंधकार में नजर आ रहा है. वजह है राज्य सरकार का गोबर से निर्मित दीये को प्रोत्साहन देना. गोबर के दीयों की वजह से मिट्टी के दीयों की डिमांड काफी कम हो गई है. इससे कुम्हारों का रोजगार न सिर्फ प्रभावित हुआ है बल्कि इनके जीवन यापन पर भी संकट आ गई है.
पहले ही कोरोना की वजह से सभी रोजगार ठप पड़े थे. उसपर राज्य सरकार का गोबर के दीयों को प्राथमिकता देना, जैसे कुम्हारों पर पेट पर दोहरी मार पड़ी है. कुम्हारों का कहना है कि उनके बनाए मिट्टी के दीए की बिक्री काफी घट गई है और इससे उनकी आर्थिक स्थिती बेहद खराब हो गई है.
इस दीपावली कुम्हारों के हाथ खाली
कुम्हार बताते हैं कि कुछ सालों पहले तक दीपावली में मिट्टी के दीये, लक्ष्मी माता की मूर्ति और कलश आदि बेचकर इतनी कमाई हो जाती थी कि आने वाले चार-पांच महीने का खर्च निकल जाता था. लेकिन इस दीपावली कुम्हारों के हाथ खाली हैं.
गोबर के दीये का प्रोत्साहन
कुम्हारों ने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि शासन-प्रशासन की ओर से गोबर के दीयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. बिहान की महिला समूह को ज्यादा से ज्यादा गोबर के दीए बनाने को कहा जा रहा है और सरकार की तरफ से लोगों से गोबर के इको फ्रेंडली दिए खरीदने की अपील भी की जा रही है.
पहले चाइनीज झालरों ने बढ़ाई थी मुश्किल
कुम्हारों की ये परेशानी सिर्फ आज की नहीं, पहले भी चाइनीज झालरों की वजह से मिट्टी के दीयों की खरीदारी पर काफी असर पड़ता रहा है. पिछले साल चाइनीज आइटम की वजह से मिट्टी के दीयों की बिक्री में 25% की कमी आई थी.
कुम्हारों का घर करें रोशन
कुम्हारों का ये भी कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिल रही है. ईटीवी भारत आपसे यही अपील करता है कि गोबर की दीयों के साथ-साथ मिट्टी के दीयों की भी खरीदारी करें, ताकि कुम्हारों के घर भी रोशन नजर आएं.