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छत्तीसगढ़ की इस तीर्थ यात्रा से मिलता है चारों धाम का पुण्य

छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में लोग पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं, जिसका राज्य में विशेष महत्व है. ये यात्रा पांच दिन तक चलती है. मान्यता है कि इस पंचकोशी यात्रा का महत्व चारधाम यात्रा के बराबर है.

पंचकोशी पदयात्रा
पंचकोशी पदयात्रा
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Published : Jan 13, 2020, 4:07 PM IST

गरियाबंद: प्रदेश में इन दिनों पंचकोशी यात्रा चल रही है. जो लोग किसी कारणवश चारधाम यात्रा पर नहीं जा पाते वे इस यात्रा में शामिल होते हैं. कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली इस यात्रा में चारों धाम का फल मिलता है.

पंचकोशी यात्रा से मिलेगा पुण्य

5 शिवलिंगों के करते हैं दर्शन

हजारों श्रद्धालु हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने का दावा करते हैं. इसमें प्रदेश के कौने-कौने से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. पांच दिन चलने वाली इस पंचकोशी पदयात्रा में श्रद्धालु 25 कोस पैदल चलकर 5 पड़ाव में 5 शिवलिंगों के दर्शन करते हैं.

इन पांच मंदिरों के करते है दर्शन

इस दौरान श्रद्धालू अपने दैनिक आवश्यकता के सामान भी साथ लेकर चलते हैं. कुछ श्रद्धालु तो हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं. इस पदयात्रा में श्रद्धालुओं को किसी तरह का कोई खर्च नहीं उठाना पड़ता है. पंचकोशी पदयात्रा का प्रारंभ और समापन राजिम त्रिवेणी संगम के बीचों-बीच स्थित कुलेश्वर मंदिर में पूजा पाठ से होता है. पदयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव पटेवा के पटेश्वरनाथ मंदिर में होता है. जो चंपेश्वरनाथ, बम्हनेश्वरनाथ, फणेश्वरनाथ, और कोपेश्वरनाथ के दर्शन के बाद कुलेश्वरनाथ मंदिर में खत्म होता है.

12 जनवरी से शुरू पंचकोशी पदयात्रा

छत्तीसगढ़ की पंचकोशी पदयात्रा की अहम बात ये है कि ये पदयात्रा 5 शिवलिंगों के दर्शन करने के लिए की जाती है. इस पदयात्रा के दौरान श्रद्धालु भोलेनाथ की बजाय सीताराम का भजन कीर्तन करते हुए आगे बढते हैं. पदयात्रा हर साल 12 जनवरी से शुरू होती है, पदयात्रा का जिस दिन, जिस गंव में पड़ाव होता है, वहां उस दिन मेले जैसा माहौल रहता है.

गरियाबंद: प्रदेश में इन दिनों पंचकोशी यात्रा चल रही है. जो लोग किसी कारणवश चारधाम यात्रा पर नहीं जा पाते वे इस यात्रा में शामिल होते हैं. कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली इस यात्रा में चारों धाम का फल मिलता है.

पंचकोशी यात्रा से मिलेगा पुण्य

5 शिवलिंगों के करते हैं दर्शन

हजारों श्रद्धालु हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण होने का दावा करते हैं. इसमें प्रदेश के कौने-कौने से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. पांच दिन चलने वाली इस पंचकोशी पदयात्रा में श्रद्धालु 25 कोस पैदल चलकर 5 पड़ाव में 5 शिवलिंगों के दर्शन करते हैं.

इन पांच मंदिरों के करते है दर्शन

इस दौरान श्रद्धालू अपने दैनिक आवश्यकता के सामान भी साथ लेकर चलते हैं. कुछ श्रद्धालु तो हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते हैं. इस पदयात्रा में श्रद्धालुओं को किसी तरह का कोई खर्च नहीं उठाना पड़ता है. पंचकोशी पदयात्रा का प्रारंभ और समापन राजिम त्रिवेणी संगम के बीचों-बीच स्थित कुलेश्वर मंदिर में पूजा पाठ से होता है. पदयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव पटेवा के पटेश्वरनाथ मंदिर में होता है. जो चंपेश्वरनाथ, बम्हनेश्वरनाथ, फणेश्वरनाथ, और कोपेश्वरनाथ के दर्शन के बाद कुलेश्वरनाथ मंदिर में खत्म होता है.

12 जनवरी से शुरू पंचकोशी पदयात्रा

छत्तीसगढ़ की पंचकोशी पदयात्रा की अहम बात ये है कि ये पदयात्रा 5 शिवलिंगों के दर्शन करने के लिए की जाती है. इस पदयात्रा के दौरान श्रद्धालु भोलेनाथ की बजाय सीताराम का भजन कीर्तन करते हुए आगे बढते हैं. पदयात्रा हर साल 12 जनवरी से शुरू होती है, पदयात्रा का जिस दिन, जिस गंव में पड़ाव होता है, वहां उस दिन मेले जैसा माहौल रहता है.

Intro:स्लग---पंचकोशी यात्रा
एंकर---छत्तीसगढ को पर्वो और त्यौहारों का प्रदेश माना जाता है, प्रदेश के किसी ना किसी हिस्से में हर रोज कोई ना कोई पर्व और त्यौहार जरुर मनाया जाता है, प्रदेश में इन दिनों पंचकोशी यात्रा चल रही है।
Body:वीओ 1----बद्रीनाथ केदारनाथ चारधाम यात्रा की तरह छत्तीसगढ में भी पंचकोशी यात्रा निकाली जाती है, जिसमें प्रदेश के कौने कौने से हजारों श्रद्धालू शामिल होते है, मान्यता है कि जो लोग किसी कारणवश बद्रीनाथ केदारनाथ चारधाम यात्रा पर नही जा सकते वे लोग इस यात्रा में शामिल हो सकते है और उन्हें उस यात्रा की तरह ही इस यात्रा से भी उतना ही फल प्राप्त होता है, पांच दिन चलने वाली इस पंचकोशी पदयात्रा में श्रद्धालू 25 कोश पैदल चलकर 5 पडाव में 5 शिवलिंगो के दर्शन करते है, इस दौरान श्रद्धालू अपने दैनिक आवश्यकता का सामान भी साथ लेकर चलते है, इसलिए इस पदयात्रा में श्रद्धालूओं को कोई खर्च नही करना पडता, कुछ श्रद्धालू तो हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते है।
बाइट 1----सरस्वती बाई, श्रद्धालू..............
बाइट 2---खेदीन बाई, श्रद्धालू.............
वीओ 1-----पंचकोशी पदयात्रा का प्रारंभ और समापन राजिम त्रिवेणी संगम के बीचों बीच स्थित कुलेश्वर मंदिर में पुजा पाठ से होता है, पदयात्रा के दौरान श्रद्धालूओं का पहला पडाव पटेवा के पटेश्वरनाथ मंदिर में होता है उसके बाद चंपेश्वरनाथ, बम्हनेश्वरनाथ, फणेश्वरनाथ, और कोपेश्वरनाथ के दर्शन के बाद श्रद्धालू कुलेश्वरनाथ मंदिर पहुंचते है, छत्तीसगढ की पंचकोशी पदयात्रा की अहम बात ये है कि ये पदयात्रा 5 शिवलिंगो के दर्शन करने के लिए की जाती है मगर पदयात्रा के दौरान श्रद्धालू भोलेनाथ की बजाय सीताराम का भजन कीर्तन करते हुए आगे बढते है, पदयात्रा हर साल 12 जनवरी से शुरु होती है, पदयात्रा का जिस दिन जिस गॉव में पडाव होता है वहॉ उस दिन मेले जैसा माहौल रहता है।
बाइट 3----मदन मोहन वैष्णव, पुजारी, पटेश्वरनाथ मंदिर..........
बाइट 4-----सिद्धेश्वरानंद स्वामी, पुजारी, लोमशऋषि आश्रम............
Conclusion:फाईनल वीओ----मानो तो पत्थर में भगवान है और ना मानो तो देवालय भी पत्थर से ज्यादा कुछ और नही है, इसी श्रद्धा और भक्ति के साथ हजारों श्रद्धालू हर साल इस पंचकोशी यात्रा में शामिल होते है और अपनी मनोकामना पुर्ण होने का दावा करते है, यही कारण है कि छत्तीसगढ को पर्वो और त्यौहारों का प्रदेश माना जाता है।
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