गरियाबंद: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच एक बार फिर विवाद गहराने लगा है. छत्तीसगढ़ से लगे ओडिशा सीमा पर इंसानियत को तार-तार करने वाला यह मामला दिल को झकझोरने वाला है. इस बार गरियाबंद के बुरजाबहाल की सीमा इसका कारण बन सकती है. ओडिशा से आये आला अफसरों ने सीमा विवाद को लेकर एक किसान की मक्के की खड़ी फसल काटकर अपने साथ ले गए हैं.
मामले में 15 माह पहले तय हो गया था कि किसानों के सीमा से लगे जमीनों पर कब्जे यथावत रहेंगे, बावजूद छत्तीसगढ़ राजस्व अधिकारियों को सूचना दिए बगैर ओड़िसा नुवापडा जिले के राजस्व अफसर बुरजाबहाल पहुंचे और किसानों को धमकाया और उनके मक्के के खड़ी फसल को भी बर्बाद कर दिए.
पढे़ं : निगम कमिश्नर को गर्भवती महिलाओं की तस्वीरें वायरल करना पड़ा भारी, भाजयुमो ने खोला मोर्चा
ओड़िसा नुवापडा तहसीलदार कपिलदेव साहू, नायब तहसीलदार लक्छ्मण मांझी, राजस्व दल और सीमा पार के मालपडा के किसान बुरजाबहाल ग्राम पहुंचे. टीम ने सीमा पर जमीन में मक्का का फसल लगाने वाले किसान हरिराम साहू, कृपाल साहू, लखीराम, निर्भय मरार समेत सीमा पर खेती कर रहे सभी किसानों को मौके पर बुलवाया. ओड़िसा राजस्व दल ने नाप-जोख की औपचारिकता पूरी करने के बाद हरिराम साहू के खेत में बोए मक्के के 100 से ज्यादा पौधे तोड़कर साथ लेकर चले गए. इसके बाद से किसानों में अफसरों को लेकर भारी रोष है.
15 माह पहले सुलझा था विवाद
15 माह पहले तय हो गया था कि किसानों के कब्जे यथावत रहेंगे. मामला ने उस वक्त तुल पकड़ा था जब 20 जून 2018 को बुरजाबहाल के 7 किसान लगभग 25 एकड़ जमीन पर खेती की तैयारी में जुटे थे और तभी ओडिशा मालपाडा के किसानों के दावे पर सिनापाली के जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में ओडिशा अमला ने जुताई कार्य रुकवा दिया था. मामला तूल पकड़ा तो सम्बलपूर के बन्दोबस्त अधिकारी के साथ मौके पर ओडिशा के कलेक्टर पहुंचे थे. तात्कालीन एसडीएम ने भी कुशलता से ओड़िसा के हर दावे का तथ्य परखकर जवाब दिया. अंत में तय हुआ था कि त्रुटि दोनों ओर से हुई है इसलिए किसानों के जमीनी दावे और कब्जे यथावत ही रहे.