गरियाबंद: पूरे भारत वर्ष में होली की धूम है. रंग और गुलाल लगाकर लोगों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं दी है, लेकिन एक गांव ऐसा है जहां कभी होली नहीं खेली जाती है.
जिले के अंतिम छोर में बसे खजुरपदर गांव के ग्रामीण होली का त्योहार नहीं मनाते. इसके पीछे का कारण ये है कि होली के अवसर पर रंग गुलाल यदि कोई लगाता है तो देवी इसे सहन नहीं कर पाती और गांव में अनहोनी हो जाती है. इसे आस्था कहे या अंधविश्वास यह बताना मुशिकल है, लेकिन गांव में होली के दिन मातम सा लगता है. गांव के आसपास होली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस गांव में होली का एक भी रंग नहीं चढ़ता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसके कारण गांव में होली का रौनक दिखाई नहीं देता है.
ग्रामीण होली का त्योहार नहीं मनाते
वहीं ग्रामीण बताते है कि 'यदि कोई जबरदस्ती होली खेलता है तो देवी उसे माफ नहीं करती है और कुछ भी अनहोनी या अनिष्ट हो जाता है, जिसके भय से ग्रामीण होली का त्योहार नहीं मनाते'. हालांकि युवाओं में होली को लेकर दिलचस्पी देखी जाती है, लेकिन वे चाहकर भी गांव की परंपरा में बंध जाते है.