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मां की मौत के बाद आठ दिन के बच्चे को थैले में लेकर थाने पहुंचा पिता, पसीजा पुलिसवालों का दिल

आठ दिन के बच्चे की मां की नदी में डूबने से मौत हो गई, जिसके बाद आठ घंटे से भूखे बच्चे को बैग में भरकर पिता थाने पहुंचा. इसके बाद सब-इंस्पेक्टर ने भूख से तड़पते बच्चे को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसे ग्लूकोज का पानी चढ़ाया गया.

च्चे को थैले में भर कर पुलिस थाने पहुंचा पिता
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Published : Aug 5, 2019, 1:18 PM IST

Updated : Aug 5, 2019, 6:45 PM IST

गरियाबंद : जिले के एक गांव से ऐसी कहानी सामने आई है, जिसे सुन आपका दिल पसीज जाएगा. जी हां यह कहानी एक ऐसे मासूम बच्चे की है जो कि अभी आठ दिन पहले ही जन्मा है और ईश्वर की लीला ऐसी की बच्चे के सिर से मां का आंचल ही छीन गया. बच्चे के पिता भूख से तड़पते इस बच्चे को लिए जिला अस्पताल पहुंचा, जहां बच्चे की कमजोरी के चलते उसे ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई गई है.

आठ महीने के बच्चे को थैले में भर कर पुलिस थाने पहुंचा पिता

बच्चे के पिता ने बताया कि तकरीबन 12 बजे वह अपने नवजात बच्चे को थैले में डालकर घने जंगलों से 20 किलोमीटर का सफर तय कर और बारिश समेत तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए सिटी कोतवाली थाना पहुंचा और पुलिस को बच्चे की मां की मौत की जानकारी दी.

नदी में डूबने के कारण हुई बच्चे की मां की मौत
बच्चे के पिता ने बताया कि बच्चे की मां की दोपहर में नदी में डूबने से मौत हो गई और गांव से कोई भी व्यक्ति मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. मेरे बच्चे को अपने पास रखने के लिए कोई भी तैयार नहीं है. मजबूरन लाश खुले में छोड़कर बच्चे को थैले में डालकर उसे गरियाबंद लाना पड़ा. पिता का कहना है कि गांव में उसे कोई काम नहीं दे रहा है. सरकारी काम और यहां तक कि मनरेगा में भी उसे आने से मना कर दिया जाता है क्योंकि लोग उसे पसंद नहीं करते है.

बच्चे को चढ़ाई गई ग्लूकोज की बोतलें
इधर बच्चे को रोता-बिलखता देख सब इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा का दिल पसीज गया और बच्चे के पिता से पूछा कि बच्चा कब से भूखा है तो पिता ने बताया कि दोपहर से मां लापता थी और बच्चा भूख से बिलख रहा था. शाम को उसकी लाश नदी में तैरती मिली. बच्चा आठ घंटे से भूखा है. यह सुनते ही सब इंस्पेक्टर ने तत्काल बच्चे को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी कमजोरी को देखते हुए उसे ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाई गई.

लाश को सब इंस्पेक्टर ने उसके घर भेजवाया
इसके बाद गांव में नदी किनारे खुले में पड़े शव को जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाने के डर से रात में ही थाने के स्टाफ को लाश लाने गांव भेजा और किसी तरह व्यवस्था कर रात में नदी किनारे से मृतका का शव गरियाबंद मर्चुरी लाया गया, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव को उसके गांव भेजवाया गया.

अंतिम संस्कार के लिए सीईओ ने दी 2 हजार रुपए की राशि
इधर नगर के दो युवा रिखि यादव और सनी मेमन को बच्चे की हालत का पता चला तो उन्होंने जनपद सीईओ से फोन पर पिता की समस्या बताई. जिस पर सीईओ ने उसके पत्नी की अंतिम संस्कार कराने के लिए 2 हजार रुपए की राशि उसके घर तत्काल भेजवाने की बात कही.

गरियाबंद : जिले के एक गांव से ऐसी कहानी सामने आई है, जिसे सुन आपका दिल पसीज जाएगा. जी हां यह कहानी एक ऐसे मासूम बच्चे की है जो कि अभी आठ दिन पहले ही जन्मा है और ईश्वर की लीला ऐसी की बच्चे के सिर से मां का आंचल ही छीन गया. बच्चे के पिता भूख से तड़पते इस बच्चे को लिए जिला अस्पताल पहुंचा, जहां बच्चे की कमजोरी के चलते उसे ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई गई है.

आठ महीने के बच्चे को थैले में भर कर पुलिस थाने पहुंचा पिता

बच्चे के पिता ने बताया कि तकरीबन 12 बजे वह अपने नवजात बच्चे को थैले में डालकर घने जंगलों से 20 किलोमीटर का सफर तय कर और बारिश समेत तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए सिटी कोतवाली थाना पहुंचा और पुलिस को बच्चे की मां की मौत की जानकारी दी.

नदी में डूबने के कारण हुई बच्चे की मां की मौत
बच्चे के पिता ने बताया कि बच्चे की मां की दोपहर में नदी में डूबने से मौत हो गई और गांव से कोई भी व्यक्ति मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. मेरे बच्चे को अपने पास रखने के लिए कोई भी तैयार नहीं है. मजबूरन लाश खुले में छोड़कर बच्चे को थैले में डालकर उसे गरियाबंद लाना पड़ा. पिता का कहना है कि गांव में उसे कोई काम नहीं दे रहा है. सरकारी काम और यहां तक कि मनरेगा में भी उसे आने से मना कर दिया जाता है क्योंकि लोग उसे पसंद नहीं करते है.

बच्चे को चढ़ाई गई ग्लूकोज की बोतलें
इधर बच्चे को रोता-बिलखता देख सब इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा का दिल पसीज गया और बच्चे के पिता से पूछा कि बच्चा कब से भूखा है तो पिता ने बताया कि दोपहर से मां लापता थी और बच्चा भूख से बिलख रहा था. शाम को उसकी लाश नदी में तैरती मिली. बच्चा आठ घंटे से भूखा है. यह सुनते ही सब इंस्पेक्टर ने तत्काल बच्चे को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी कमजोरी को देखते हुए उसे ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाई गई.

लाश को सब इंस्पेक्टर ने उसके घर भेजवाया
इसके बाद गांव में नदी किनारे खुले में पड़े शव को जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाने के डर से रात में ही थाने के स्टाफ को लाश लाने गांव भेजा और किसी तरह व्यवस्था कर रात में नदी किनारे से मृतका का शव गरियाबंद मर्चुरी लाया गया, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव को उसके गांव भेजवाया गया.

अंतिम संस्कार के लिए सीईओ ने दी 2 हजार रुपए की राशि
इधर नगर के दो युवा रिखि यादव और सनी मेमन को बच्चे की हालत का पता चला तो उन्होंने जनपद सीईओ से फोन पर पिता की समस्या बताई. जिस पर सीईओ ने उसके पत्नी की अंतिम संस्कार कराने के लिए 2 हजार रुपए की राशि उसके घर तत्काल भेजवाने की बात कही.

Intro:एंकर---महज 8 दिन के इस नन्ही सी जान पर आई विपत्ति की कहानी सुनकर आपका दिल भी जरूर पसीज जाएगा जन्म लेने के बाद शुरुआती दिनों में जब बच्चे को मां की सबसे अधिक जरूरत होती है तभी ईश्वर ने इससे इसकी मां छीन ली परिस्थितियों से हारे इसके पिता ने मजबूरन इस दूध मुहे बच्चे को एक थैले में डालकर थैला लेकर रात 12:00 बजे घने जंगलों से 20 किलोमीटर का सफर कर खटारा सी मोटरसाइकिल में जिला मुख्यालय के सिटी कोतवाली थाना पहुंच गया और इस मासूम की मां की मौत की जानकारी दी 20 किलोमीटर के सफर के दौरान हल्की बारिश और कड़ाके की ठंड के बीच थैले में रखे महज 8 दिन के मासूम की हालत बेहद खराब हो रही थी बीते 8 घंटे से भूख से बिलखते बच्चा रोना बंद ही नहीं कर रहा था थाने में रोते बिलखते इस बच्चे को देखकर पूरा थाना स्टाफ द्रवित हो उठा सब इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा ने तत्परता दिखाते हुए सीधे बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे गए और वहां बच्चे की कमजोरी के चलते उसे ग्लूकोस की बोतल चढ़ानी पड़ी मां की मौत के बाद अब सबको इस नवजात के भविष्य की चिंता सता रही हैBody:वीओ---बीती रात 12:00 बजे गरियाबंद सिटी कोतवाली थाने में उस वक्त अलग ही माहौल बन गया जब एक बाप कमार जनजाति का सुखराम कमर थैली में अपने 8 दिन के बच्चे को लेकर थाने पहुंचा और बताया कि इसकी मा दोपहर को नदी में डूब कर मर गई गांव वाला कोई मदद नहीं कर रहा नातो कोई लास की रखवाली करने तैयार हुआ और ना ही कोई इस 8 दिन के मासूम को अपने पास रखने तैयार हुआ मजबूरन लास खुले में छोड़कर बच्चे को थलैं में डालकर से उसे गरियाबंद लाना पड़ा थाने में बच्चा लगातार रोता भी लगता रहा जब सब इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा ने बच्चे के पिता से पूछा कि कब से अब भूखा है तो पिता ने बताया दोपहर से माला पता थी और बच्चा भूख से बिलख रहा था शाम को उसकी लाश नदी में तैरती मिली बच्चा अब तक भूखा है भूख से बिलख रहे बच्चे को सब इंस्पेक्टर ने तत्काल जिला चिकित्सालय पहुंचाया जहां उसकी कमजोरी को देखते हुए उसे ग्लूकोज की बोतलें चढ़ाई गई इसके बाद गांव में नदी किनारे खुले में पड़े शव को जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाने के डर से रात में ही थाने के स्टाफ में लाश लाने गांव जाने का निर्णय लिया और किसी तरह व्यवस्था कर रात में नदी किनारे से मृतका का शव गरियाबंद मर्चुरी लाया गया जहां पोस्टमार्टम के बाद शव को मुक्तांजलि वाहन के माध्यम से उसके गांव भिजवाया गया
बाइट--- प्रशांत मिश्रा सब इंस्पेक्टर गरियाबंद

वीओ---&लेकिन इन सबके बीच इस दूध में बच्चे का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है पिता का कहना है कि गांव में उसे कोई काम नहीं दे रहा सरकारी काम यहां तक कि मनरेगा में भी उसे आने से मना कर दिया जाता है क्योंकि लोग उसे पसंद नहीं करते
बाइट---- बच्चे का पिता

वीओ--इस बच्चे की पीड़ा के बारे में जब नगर के दो युवाओं रिखि यादव एवं सनी मेमन को मालूम चला तो उन्होंने जनपद सीईओ से फोन पर कमार पिता की समस्या बताई जिस पर उन्होंने अंतिम संस्कार हेतु ₹2000 की राशि उसके घर तत्काल भेजवाने की बात कही।

बाइट---रिकी यादव जागरूक युवाConclusion:फाइनल
वीओ--बड़ा सवाल यह भी है कि अगर अब बाप काम में जाता भी है तो बच्चे की देखभाल कौन करेगा और अगर बच्चे की देखभाल करता है तो रोजी रोटी की व्यवस्था कौन करेगा घर कैसे चलेगा क्योंकि ना तो इसके परिवार में कोई है और ना गांव का कोई व्यक्ति से मदद करने तैयार ऐसे में बच्चे का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है
Last Updated : Aug 5, 2019, 6:45 PM IST
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