गरियाबंद: मजरकट्टा गांव में बंदर के आंतक से लोग बेहद परेशान हैं. पिछले चार दिनों में बंदरों ने 12 लोगों को घायल कर दिया है. वहीं इस समस्या को लेकर वन विभाग से शिकायत की गई, तो वह अटपटा बयान दे रहा है.
बता दें कि बंदरों की दहशत से माता-पिता बच्चों को स्कूल छोड़ने खुद ही जा रहे हैं और घर के दरवाजों को भी हमेशा बंद रखना पड़ता है.
घायल बंदर को पकड़ना संभव नहीं!
वहीं इस मामले में वन विभाग से शिकायत की गई, तो वन विभाग भी असमंजस में नजर आ रहा है. विभाग के डिप्टी रेंजर ने इसे लेकर बड़ा अटपटा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हाथी भगाने का जो तरीका अपनाया जाता है, बंदरों को भगाने के लिए भी वही तरीका अपनाना पड़ेगा. उन्होंने एक और विचित्र बात कही कि घायल बंदर को पकड़ना संभव ही नहीं है, उसे बस हाथी की तरह भगाया जा सकता है.
मशाल, डंडे और टीन का टीपा बजाकर बंदर को भगाएं
इस संबंध में जब वन विभाग से पूछा गया कि लोगों की सुरक्षा बंदरों से कौन करेगा, तो उन्होंने कहा कि डिप्टी रेंजर इन आतंकी बंदरों को भगाने के लिए विभाग की टीम भेजने की बजाय गांव वालों को ही मशाल, डंडे और बजाने के लिए टीन का टीपा देकर भेजने की बात कह रहे हैं.