गरियाबंद: मीठी-मीठी ये आवाज छत्तीसगढ़ी में बड़ा संदेश दे रही है. 17 साल की ये लड़की गाने के जरिए लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक कर रही है. लोहरसी गांव की रहने वाली नंदिनी यादव गाने के जरिए बता रही हैं कि खेतों और वनों में आग लगाने से पर्यावरण को कितना नुकसान होता है.
पढ़ाई के साथ-साथ संगीत का शौक
नंदनी यादव पढ़ाई के साथ-साथ संगीत का शौक रखती है. वे अपने गीतों के माध्यम से किसानों को खेतों और वनों में आग न लगाने की अपील कर रही है. वे अपनी सुरीली आवाज में संदेश दे रही हैं कि खेतों और वनों में आग लगाने से कितना नुकसान होता है और पर्यावरण पर इसका क्या असर पड़ता है. नंदिनी अब तक कई बड़े मंचों पर अपने गीत के माध्यम से पर्यावरण बचाने की अपील कर चुकी हैं. (आइए आप भी नंदिनी का ये गाना सुनिए)
पिता भी हैं संगीतकार
नंदनी 6 साल की उम्र से संगीत सीख रही हैं, उनके पिता राजकुमार यादव भी संगीतकार हैं इसलिए संगीत उसे विरासत में मिली. नंदिनी गौकरण मानिकपुरी को अपना गुरु मानती हैं और भविष्य में भारतीय लोक कला संस्कृति को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाने का सपना देखती हैं.
पर्यावरण प्रदूषण विश्व के लिए समस्या
खेतों और वनों की आग से कितना प्रदूषण फैलता है, ये कौन नहीं जानता है. पर्यावरण प्रदूषण आज विश्व के लिए एक बडी समस्या बन गयी है और इसका समाधान तभी हो सकता है जब हर व्यक्ति नंदनी की तरह प्रदूषण के प्रति जागरूकता दिखाए.